सनाय के गुण और उससे होने वाले आयुर्वेदिक इलाज

9328

परिचय (Introduction)

सनाय का स्वाद कषैला और स्वभाव गर्म होता है। यह बलगम तथा मल को दस्त के साथ बाहर निकाल देता है। मस्तक को निर्मल करता है। श्वास, कास, खुजली, गठिया, हाथ-पैरों में झनझनाहट व शूल में लाभदायक है। सनाय को गुलकंद के साथ प्रयोग करने से ही सर्दी भी दूर हो जाती है। सनाय का शहद के साथ सेवन करने से शक्ति बढ़ती है। घी के साथ सेवन से दर्द को आराम होता है। सनाय का चीनी के साथ सेवन करने से सुस्ती व छाती का दर्द ठीक हो जाता है। सनाय का दही के साथ सेवन से जहर शांत हो जाता है। सनाय का मिश्री के साथ सेवन करने से चुस्ती आ जाती है। सनाय का पानी के साथ सेवन करने से शरीर निरोग्य हो जाता है। सनाय का गाय के दूध के साथ सेवन से नया खून बनता है। सनाय को चोपचीनी के साथ खाने से आंखों की रोशनी बढ़ती है। सनाय को छुहारे के साथ खाने से मुंह की दुर्गंध खत्म हो जाती है। सनाय को इमली के रस के साथ खाने से छाती का दर्द ठीक हो जाता है। सनाय को अनार के शर्बत के साथ खाने से पेट साफ हो जाता है। सनाय को गर्म पानी के साथ खाने से कान, नाक व सिर के रोग ठीक हो जाते हैं। 40 ग्राम सनाय और 10 ग्राम आंवले को पीस-छानकर पानी से मटर के बराबर की गोलियां बनाकर छाया में सुखायें और 1-1 गोली सुबह-शाम खायें इससे खांसी और दमा रोग ठीक हो जाते हैं। अदरक के साथ सनाय खाने से अजीर्ण (भूख ना लगना) ठीक हो जाता है।

गुण (Property)

सनाय मलबद्ध, मंदाग्नि, लीवर (जिगर), पेट के रोग, बद्धगुद, अजीर्ण, हल्का बुखार, पीलिया आदि में लाभदायक है।

विभिन्न रोगों में उपचार (Treatment of various diseases)

सन्निपात ज्वर :
20 ग्राम सनाय और 20 ग्राम काला नमक को पीसकर छान लें। इस 5-5 ग्राम चूर्ण को सुबह और शाम गर्म पानी से सेवन करने से सन्निपात ज्वर में लाभ होता है।

श्वास या दमा :
सनाय और लौंग का चूर्ण दमा के रोग में सेवन करने से बहुत उपयोगी होता है।
सोनामुखी (सनाय) को बराबर मात्रा में लेकर पीसकर 5 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम पानी के साथ लेने से दमा के रोग में फायदा होता है।
वायु विकार : 20 ग्राम सनाय, 40 ग्राम सुरंजान और सौंठ, 10-10 ग्राम नेत्रवाला, सफेद जीरा और पीपल को पीसकर छान लें। इस बने चूर्ण को शहद में मिलाकर 1-1 ग्राम की मात्रा में सुबह और शाम लेने से वायुविकार के रोग मे लाभ होता है।

कब्ज होने पर :
50 ग्राम सनाय की पत्ती, 100 ग्राम सौंफ और 20 ग्राम मिश्री का चूर्ण बनाकर रख लें। फिर इस 10 ग्राम चूर्ण को गर्म पानी के साथ खाने से कब्ज (पेट मे गैस) के रोग में राहत मिलती है।
15 ग्राम सनाय, 15 ग्राम सौंठ, 15 ग्राम सौंफ और 15 ग्राम सैंधा नमक को एकसाथ पीसकर छान लें। रात को सोने से पहले गुनगुने पानी मे इस चूर्ण को डालकर मसलकर और छानकर इसमें चीनी को मिलाकर पीने से कब्ज (पेट मे गैस) में लाभ होता है।
20 ग्राम सनाय के पत्तों को पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण में बीज रहित 30 ग्राम मुनक्के को घोट लें। इसमें पानी न डालें, इस मिश्रण की छोटी-छोटी गोलियां बना लें। यह 2 गोलियां रात में दूध या पानी के साथ खाने से कब्ज (पेट मे गैस) मिटती है।
6 ग्राम सनाय, 6 ग्राम जागी हरड, 6 ग्राम निशोत और 6 ग्राम मुनक्का को मिलाकर और 10 ग्राम मिश्री को दूध के साथ पीने से दस्त आने शुरू हो जाते हैं और पेट साफ हो जाता हैं। ध्यान रहें कि शाम को भोजन में केवल चावल और दहीं का ही सेवन करें।
लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग सनाय की पत्ती के चूर्ण को लौंग और मुलेहठी के साथ रात में लेने से सुबह शौच खुलकर आती है। ध्यान रहें कि अवेष्टग सुक्त विबन्ध (स्पेटिक कांसटेंसिप) या प्रक्षोभयुक्त वृहादन्त्र (इरीटेबल कोलोन) सहस रोगों में देना नहीं चाहिए।

आंव रक्त (पेचिश) होने पर :
सनाय की पत्ती, त्रिफला और कालानमक को बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण में नींबू का रस मिलाकर गोली बना लें। यह 1 गोली सुबह-शाम खाने से पेचिश के रोगी का रोग दूर हो जाता है।

अग्निमांद्यता (अपच) होने पर :
सनाय की पत्ती, सोंठ, बड़ी हर्रे, सौंफ, आंवला को खूब बारीक से पीसकर चूर्ण बनाकर कपड़े में छान लें। यह चूर्ण 2 चम्मच गर्म पानी में रोजाना खाना खाने के पहले सेवन करने से अपच (भोजन का ना पचना) में लाभ होता हैं।

दस्तावर :
सनाय का काढ़ा बनाकर पीने से दस्त साफ होते है। सनाय, सौंफ, सौंठ, सेंधा नमक, हर्र इन पांचों का चूर्ण खाने से दस्त आकर पेट साफ होता है।

पेट के अंदर सूजन और जलन :
सनाय को बकरी के पेशाब में पीसकर पीने से पेट की सूजन में आराम मिलता है।