संतरे के गुण और उससे होने वाले आयुर्वेदिक इलाज

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परिचय (Introduction)

भारत में नागपुर व झालावाड़ में बड़े पैमाने पर संतरे की खेती होती है। संतरा ठंडा, शक्तिवर्द्धक, अम्ल, मीठा, स्वादिष्ट, खट्टा-मीठा, मूत्रल (पेशाब का बार-बार), क्षुधावर्द्धक (भूख का बढ़ना) है। गर्मी में इसकी खपत सबसे ज्यादा होती है। संतरा लोकप्रिय फल है। संतरे के अंदर विटामिन `ए´, `बी´ और `सी´ तथा कैल्शियम होता है। यह पाचन में अत्यंत लाभकारी होता हैं। संतरा खून को साफ करता है। संतरे के रस या इससे बनाया गया मार्मेलेड ज्यादा पौष्टिक है। संतरा तन और मन को प्रसन्नता देने वाला फल है। व्रत और सभी रोगों में संतरा खाया जा सकता है। जिस व्यक्ति की पाचन-शक्ति (भोजन पचाने की क्रिया) खराब हो उसको संतरे का रस 3 गुने पानी में मिलाकर देना चाहिए। संतरा सुबह खाली पेट या खाना खाने के 5 घंटे बाद सेवन करने से सबसे ज्यादा लाभ करता है। एक व्यक्ति को एक बार में 1 या 2 संतरे का सेवन ही उपयुक्त है। संतरे में विटामिन `सी´ भरपूर मात्रा में पाया जाता है। एक व्यक्ति को जितने विटामिन `सी´ की आवश्यकता होती है वह एक संतरा रोजाना खाने से पूरी हो जाती है।

गुण (Property)

संतरे में विटामिन `सी´ व `डी´ का अद्भुत मिश्रण होता है। यह पेड़ पर ही धूप एवं हवा के संयोग से पक जाता है। संतरा रोग निरोधक शक्ति को बढ़ाता है। इसमें ग्लूकोज व डेक्सटोल 2 ऐसे तत्त्व होते हैं, जो जीवनदायिनी शक्ति से परिपूर्ण होते हैं। इसलिए संतरा न केवल रोगी के शरीर में ताजगी लाता है बल्कि अनेक रोगों के लिए लाभदायक भी होता है।
संतरे के रस में घुलनशील ग्लूकोज, फ्रुक्टोज, सूक्रोज कार्बनिक एसिड भरपूर मात्रा में होते हैं। इसमें विटामिन `सी´, विटामिन `बी´ कॉम्लेक्स, विटामिन `ए´, खनिज तत्त्व, कुछ मात्रा में पौष्टिक पदार्थ एवं अन्य पोषक तत्त्व होने के कारण इसकी गणना पौष्टिक भोजन के रूप में की जाती है। बुखार के रोगी को संतरे का रस देने से शांति और ताकत मिलती है। मुंह सूखने व प्यास लगने की शिकायत दूर होती है। शरीर में खुश्की नहीं बढ़ पाती है। इसके रस को दिन में बार-बार भी पी सकते हैं।
खून साफ करने के लिए व्रत में इसके रसाहार पर अनेक प्रयोग किए गए हैं। इसे शरीर शोधक व लगातार भोजन में जगह देने योग्य बताया गया है।
संतरे में 23 स्वास्थ्यवर्द्धक गुण पाये जाते हैं। यूरोपवासी इसे बहुत उपयोगी मानकर इसे गोल्डन एप्पल के नाम से संबोधित करते हैं।
गर्भवती औरतों को चाहिए कि वे गर्भावस्था के समय रोजाना 1 गिलास संतरे का रस पियें इससे संतान गोरे रंग की उत्पन्न होती है। इसके साथ ही यह गर्भवती की उल्टी को रोकने में सहायता करता है।
रोगी के लिए संतरे का रस पानी, दवा और आहार का काम करता है। यह पेट की बढ़ती गर्मी को रोकता है और मुंह के स्वाद को सुधारता है।

विभिन्न रोगों में उपचार (Treatment of various diseases)

चेचक के दाग :
संतरे के छिलकों को सुखा कर पीस लें। 4 चम्मच गुलाबजल को मिलाकर लेप बनाकर रोजाना चेहरे पर मलने से चेचक के दाग हल्के हो जाते है।

लम्बी उम्र के लिए :
1 गिलास संतरे का रस रोजाना पीने से मनुष्य की उम्र लम्बी होती हैं।

खून की कमी :
संतरे का रस रोजाना सेवन करने से खून की कमी, पायरिया, आंखों की जलन, त्वचा के रोग, हाथ-पैर की जलन आदि रोगों में बहुत लाभ मिलता है।

अपच :
अपच के रोगियों को चाहिए कि वह संतरे के रस को गर्म करके उसमें काला नमक ओर सोंठ का चूर्ण पीसकर मिला लें। आमाशय के रोग में यह पेय रामबाण का काम करता है।

मधुमेह :
मधुमेह के रोगियों को संतरा दिया जा सकता है। मानसिक तनाव, हाईब्लडप्रेशर, गर्मी के रोग, अजीर्ण (भूख न लगना), कोष्ठबद्धता (कब्ज) आदि में इसका रस बहुत उपयोगी एवं प्रभावी है।
संतरे के छिलकों को छाया में सुखाकर पीस लें। फिर इस 4 चम्मच चूर्ण को 1 गिलास पानी में उबालकर छान लें और रोजाना पीयें। इससे मधुमेह (डायबिटीज) रोग में लाभ मिलता है।

बच्चों के रोग :
छोटे बच्चों को संतरे का रस पिलाने से उनका शरीर मजबूत और खून साफ होता है। हडि्डयां मजबूत होती हैं तथा त्वचा निरोग रहती है।

पायरिया :
संतरे के रस को गाय के दूध के साथ सेवन करने से पायरिया रोग, पाचनशक्ति कमजोर होना, कमजोरी, नींद न आना, पुरानी खांसी, आंखों के रोग, उल्टी, पथरी, जिगर के रोगों में बहुत ही लाभ होता है। संतरे में दिल के रोग, वात विकार और पेट के रोगों को दूर करने की अदभुत क्षमता है।
रोजाना संतरा खाने से पायरिया रोग में लाभ होता है। संतरे के छिलकों को छाया में सुखाकर पीस लें और उससे रोज मंजन करें। इससे दान्तों का पायरिया रोग दूर हो जाता है और दांत भी मजबूत होते हैं।

कब्ज :
जिन व्यक्तियों को कब्ज की शिकायत रहती है उन्हें चाहिए कि कुछ दिनों तक संतरे का रस रोजाना पियें।
रोजाना खाना खाने के बाद और सोने से पहले संतरा खाने से पेट में कब्ज नहीं बनती है।
सुबह नाश्ते में संतरे का रस कुछ दिन तक पीते रहने से मल प्राकृतिक रूप से आने लगता है। यह पाचनशक्ति (भोजन पचाने की क्रिया) को बढ़ाता है।

इनफ्लूएन्जा :
संसार के कुछ हिस्सों में विश्वास है कि इन्फ्लूएन्जा हो रहा हो या महामारी के रूप में फैल रहा हो तो संतरे का सेवन करने से बचा जा सकता है। फ्लू होने पर भी संतरा लाभदायक है। इन्फ्लूएंजा होने पर केवल संतरे का ही सेवन करें और गर्म पानी ही पीना चाहिए।

गुर्दे के रोग :
सुबह नाश्ते से पहले 1-2 संतरे खाकर ऊपर से गर्म पानी पीने से या संतरे का रस पीने से गुर्दे के रोग अच्छे हो जाते हैं। संतरा गुर्दे को स्वस्थ रखने में लाभदायक है। सेब और अंगूर भी एक जैसा ही लाभ पहुंचाते हैं। गुर्दे को स्वस्थ रखने के लिए सुबह खाली पेट फलों का रस लाभदायक होता है।

सर्दी-खांसी:
सर्दी या खांसी होने पर गर्मी में ठंडे पानी के साथ और सर्दी में गर्म पानी के साथ संतरे का रस पीने से लाभ होता हैं।

जुकाम :
खांसी या जुकाम होने पर 1 गिलास संतरे का रस पीने से लाभ होता है। स्वाद के लिए इसमें नमक या मिश्री मिलाकर पी सकते हैं।
जुकाम होने पर सर्दी में गर्म पानी के साथ और गर्मी में ठंडे पानी के साथ संतरे का रस पीने से आराम आता है। 1 संतरे के छोटे-छोटे टुकड़े करके 1 गिलास पानी में डालकर उबाल लें। उबलने पर जब पानी आधा बाकी रह जाये तो इसे छानकर सुबह-शाम पीने से जुकाम में आराम आता है।
संतरे के छिलको का काढ़ा बनाकर पीने से जुकाम दूर हो जाता है।

बच्चों का सर्दी से बचाव :
बच्चों को रोजाना मीठे संतरे का रस पिलाते रहने से सर्दी के मौसम में कोई बीमारी नहीं होती। दूध पीते बच्चों के लिए यह लाभदायक है। इससे शरीर में ताकत भी बढ़ती है।

बच्चों का पौष्टिक भोजन :
बच्चे को जितना दूध पिलायें उसमें उस दूध का 1 भाग मीठे संतरे का रस मिला कर पिलायें। यह बच्चों का पौष्टिक पेय है। इससे शरीर का वजन भी बढ़ता हैं।

गर्भवती का भोजन :
गर्भवती महिला को पूरे गर्भ के समय में रोजाना 2 संतरे खिलाते रहने से होने वाला बच्चा सुन्दर होता है।

शराब छुडाना :
सुबह नाश्ते से पहले संतरे के रस का सेवन करने से शराब पीना की इच्छा कम होती है।

प्यास :
प्यास अधिक लगने पर संतरा का सेवन करने से प्यास कम होती है।
प्यास अधिक लगने पर संतरा खाने से प्यास कम हो जाती है।

शक्तिवर्धक :
कमजोर व्यक्ति रोजाना 1 गिलास संतरे का रस सुबह, दोपहर कुछ सप्ताह तक पीते रहें तो उनके शरीर में ताकत आ जाती है जो बच्चे बोतल से दूध पीते हैं, कमजोर होते है, उनके लिए संतरे का रस बहुत लाभदायक होता है।

मुंहासे :
संतरे के सूखे छिलकों को पीसकर चेहरे पर मलने से चेहरे के मुंहासे दूर हो जाते हैं।

पीलिया :
रोजाना संतरे का सेवन करने से पीलिया रोग में बहुत आराम मिलता है।

मलेरिया :
2 संतरे के छिलकों को 2 कप पानी में उबालें। उबलते हुए आधा पानी रहने पर छानकर गर्म-गर्म ही पीने से मलेरिया का रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।

छाती के रोग :
हृदय (दिल), टी.बी., सांस और छाती के हर रोगों में संतरे का सेवन बहुत ही लाभदायक होता है।

दमे या श्वास का रोग :
संतरे के रस में शहद को मिलाकर पीने से हृदय रोगियों को आराम मिलता है। टी.बी., दमा, जुकाम, श्वास (सांस) के रोग और बलगम होने पर संतरे के रस को चुटकी भर नमक और 1 चम्मच शहद के साथ पीना स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभकारी होता है।

बुखार के लिए :
संतरे को रोजाना खाने से बुखार और प्यास शांत होती है और यह भोजन करने की रूचि को भी बढ़ाता है।