नमक के गुण और उससे होने वाले आयुर्वेदिक इलाज

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परिचय (Introduction)

नमक के बिना सभी प्रकार के मसालों का स्वाद निरर्थक है अत: मसालों के स्वाद को बढ़ाने के लिए नमक का उपयोग किया जाता है। यह सभी प्रकार के रसों का केन्द्र माना जाता हैं क्योंकि इसके बिना सभी व्यंजन बेस्वाद पड़ जाते हैं। नमक को सब्जी में डाला जाता है, यदि नमक सब्जी में न डाला जायें तो सब्जी में स्वाद नहीं आता है। नमक की अनेक किस्मे होती हैं लेकिन मुख्य रूप से पांच प्रकार के नमक का उपयोग अधिक होता है। सौंचर या सौवर्चल नमक (कालानमक), सैंधानमक, बीड़ नमक, समुद्री नमक तथा सांभर नमक आदि। औषधियों के रूप में सेंधानमक का उपयोग अधिक होता है।

गुण (Property)

सैंधानमक कुछ चिकना, ठण्डी प्रकृति का और भूख बढ़ाने वाला होता है। यह पाचक, उत्तेजना को बढ़ाने वाला, आंखों के लिए लाभकारी, मल-स्तम्भक (मल को रोकने वाला) तथा हृदय के रोगों को ठीक करने वाला होता है। सैंधानमक को बारीक पीसकर सलाई (माचिस की तिल्ली) से आंख में लगाने से आंखों की खुजली, जाला तथा धुंध आदि विकार दूर हो जाते हैं। सैंधानमक पचने में आसान होता है। यह त्रिदोष (वात, पित्त और कफ) को नष्ट करता है। गर्म पानी में इसे घोलकर गरारे करने से गले की खरास दूर होती है। कालानमक जमीन में से निकाला जाता है। यह नमक स्वाद में खारा तथा तीखा होता है। यह भूख को बढ़ाने वाला और कब्ज की समस्या को दूर करने वाला होता है। यह खाने की इच्छा को बढ़ता है। कालानमक हडिड्यों को मजबूत करता है। उच्च रक्तचाप (हाई ब्लाड प्रेशर) को बढ़ाता है। इसे मुंह में रखकर चूसने से बलगम (कफ) ढीला होकर निकल जाता है और खांसी दूर हो जाती है। बीड़ नमक की प्रकृति गर्म होती है। यह सूखा होता है और भूख को बढ़ाने वाला होता है। बीड़ नमक दर्द, वायु, मधुमेह, पेट में गैस का गोला बनना, कफ और दाह (जलन) को दूर करता है। बीड़ का सेवन करने से पेट के कीड़े खत्म हो जाते हैं।

हानिकारक प्रभाव (Harmful effects)

नमक का ज्यादा सेवन करने से पाचन क्रिया, खून, मांस और धातुओं तथा वात नाड़ियों (नसों) में दोष उत्पन्न होता है। इसका अधिक मात्रा में सेवन करने से आमाशय और शरीर के अन्य अंगों में जलन उत्पन्न होती है। उच्च रक्तचाप, गुर्दे के रोग, हिस्टीरिया, मिर्गी, जलोदर (पेट में पानी भरना), सूजन, चेचक, खुजली, कोढ़ और रक्तदोष के रोग (खून में खराबी के कारण उत्पन्न रोग) से पीड़ित रोगी को नमक का सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे उन्हें हानि हो सकती है। यह मांस की गांठों को फोड़ने तथा कुरेदने वाला, इन्द्रियों को कमजोर बनाकर काम शक्ति को कम करने वाला व शरीर वृद्ध बनाने वाला होता है। इसका अधिक मात्रा में सेवन करने से बाल सफेद व झड़ने लगते हैं।

विभिन्न रोगों में उपचार (Treatment of various diseases)

अधिक पसीना आना:

यदि पसीना अधिक आता हो तथा इसमें बदबू भी आती हो तो नमक का सेवन करना बन्द कर दें या जरूरत भी पड़े तो इसका कम मात्रा में प्रयोग करें।

पेशाब करने में रुकावट होना:

1 ग्राम नमक को 200 मिलीलीटर ठंडे पानी में मिलाकर रोज सुबह पीएं इससे पेशाब की रुकावट दूर होती है तथा पेशाब से बदबू भी नहीं आती है।

गठिया (जोड़ों का दर्द):

  • 1 किलो गर्म पानी में 4 चम्मच नमक डालकर इस पानी से गठिया को धोएं इससे लाभ मिलेगा।
  • गठिया के रोग में कमजोरी के कारण होने वाले दर्द में सैंधानमक, सोया, देवदारू, पीपल, कालीमिर्च, चीता, बायबिडंग, अजमोद, पीपरामूल को 20-20 ग्राम लें और विधारा तथा सोंठ 200-200 ग्राम लें व 100 ग्राम हरड़ लेकर इन सबको कूट-पीस लें। फिर इस चूर्ण को छानकर अच्छी तरह मिला लें। इसके बाद 680 ग्राम गुड़ को पानी में मिलाकर आग पर पकाकर चाशनी बना लें। चाशनी बन जाने के बाद प्राप्त चूर्ण को उसमें मिलाकर 4-4 ग्राम की गोलियां बना लें। प्रतिदिन सुबह-शाम 1-1 गोली गर्म पानी के साथ लें।

जहरीले कीड़ों के काटने पर:

मक्खी या भिण्ड आदि के द्वारा काटने पर पानी में नमक डालकर रगड़ने से तथा नमक का पानी पीने से आराम मिलता है।

बिच्छू के काटने पर:

  • नमक को घोलकर बिच्छू के द्वारा काटे हुए अंग पर लगाएं व एक गिलास पानी में आधा चम्मच नमक मिलाकर पीने लाभ मिलता है।
  • 10 ग्राम नमक को 50 मिलीलीटर को पानी में मिलाकर आंखों पर काजल की तरह लगाएं इससे बिच्छू का विष (जहर) तुरन्त उतर जाता है।

सिर का दर्द:

  • 1 चुटकी भर पिसा हुआ नमक जीभ पर रखें और 10 मिनट के बाद 1 ठंड़ा गिलास पानी पीनें से सिर में दर्द ठीक हो जाता है।
  • चौथाई कप जल में 3 ग्राम नमक मिलाकर उस पानी को सूंघने से सिर के दर्द में आराम मिलता है।
  • सनाय और नमक के चूर्ण को पानी के साथ मिलाकर सेवन करने से सिर दर्द में आराम मिलता है।
  • लगभग 10 ग्राम नमक को लगभग 1 किलोग्राम पानी में मिलाकर सूंघने से सिर का दर्द दूर हो जाता है।
  • सिर में दर्द होने पर ठंड़े पानी में चुटकीभर नमक डालकर पीएं इससे लाभ मिलेगा।
  • लगभग 1.5 ग्राम लाहौरी नमक को 10 ग्राम पानी में मिलाकर नाक के नथुनों में डालने से सिर का दर्द और आधासीसी का दर्द दूर हो जाता है।

मासिकधर्म का बन्द होना:

2 ग्राम नमक पानी में मिलाकर दिन में 3 बार (सुबह, दोपहर और शाम) सेवन करने से मासिकधर्म आने लगता है।

दाद:

  • मिट्टी के तेल में सेंधानमक को पीसकर दाद पर लगाएं इससे दाद बिल्कुल ठीक हो जाता है।
  • नमक को पानी में घोलकर लेप बना लें, इसके 1 घंटे के बाद इसे दाद पर लगाएं इससे दाद ठीक हो जाता है।

दस्त (अतिसार):

  • 6 ग्राम सेंधानमक, 6 ग्राम कालीमिर्च और 6 ग्राम हल्दी को बराबर मात्रा में पीसकर मिला लें, इसमें से आधा चम्मच की मात्रा लेकर ठंड़े पानी के साथ दिन में 2 बार रोजाना भोजन के बाद सेवन करने से अपच के कारण होने वाले दस्त बन्द हो जाते हैं।
  • सेंधानमक, पीपल, छोटी हर्र को समान मात्रा में पीसकर इसमें से आधा चम्मच ठंड़े पानी के साथ रोजाना दिन में 2 बार भोजन के बाद लेने से दस्त का आना बन्द हो जाता है।

पेट में दर्द होना :

  • 1 गिलास पानी में आधा चम्मच नमक मिलाकर पीने से पेट का दर्द बन्द हो जाता है तथा मल साफ आता है।
  • कालानमक, सोंठ और भुनी हुई हींग को पीसकर चूर्ण बना लें, इसमें से थोड़ा चूर्ण पानी के साथ सेवन करने से पेट में बनी गैस दूर हो जाती है और पेट का दर्द ठीक हो जाता है।
  • कालानमक, कालीमिर्च और पीपल को 20-20 ग्राम की मात्रा में लें तथा भुना हुआ सुहागा 10 ग्राम की मात्रा में लेकर इन सबको मिलाकर पीस लें। इसके बाद इसमें नींबू का रस मिला दें। इसमें से एक ग्राम की मात्रा का सेवन करने से भूख बढ़ती है और पेट का दर्द भी ठीक हो जाता है।
  • कालानमक, सैंधानमक, सादा नमक, खुरासानी बच, जवाखार, दन्ती, कूट और सोंठ को अच्छी तरह पीसकर चूर्ण लें। इसमें से आधा चम्मच चूर्ण को गर्म पानी के साथ सेवन करें। इससे पेट दर्द ठीक हो जाता है।
  • कालानमक, हींग और पुदीने को पीसकर थोड़ी-से पानी में मिलाकर पका लें, इसमें से दो चम्मच की मात्रा बच्चे को पिलाएं इससे बच्चे का पेट दर्द ठीक हो जाएगा।
  • सैंधानमक, कालानमक, नौसादर, चव्य, चित्रक, शुण्ठी, पिप्पली की जड़ और हींग को बराबर मात्रा में लेकर अच्छी तरह से पीसकर चूर्ण बना लें। इसमें से चूर्ण 3 ग्राम की मात्रा गर्म पानी के साथ लें, इससे कफ के कारण उत्पन्न पेट दर्द समाप्त होता है।
  • आधा चम्मच सेंधानमक को 1 गिलास गर्म पानी में मिलाकर पीने से शरीर में मौजूद विजातीय तत्व बाहर निकल जाते हैं जिसके फलस्वरूप पेट के दर्द से आराम मिलता है।
  • सेंधानमक 5 ग्राम, छोटी इलायची 5 ग्राम, भुनी हींग 5 ग्राम और भारंगी 5 ग्राम को अच्छी तरह पीसकर छान लें, फिर इस बने चूर्ण को 240 मिलीलीटर गर्म पानी के साथ पीने से लाभ मिलता है।

टायफाइड:

1 चम्मच नमक को 1 गिलास में घोलकर दिन में 1 बार कुछ दिनों तक पीने से टायफाइड ठीक हो जाता है।

कनपटी की सूजन:

गर्म पानी में नमक मिलाकर गरारे करने तथा इस पानी को पीने से कनपटी की सूजन ठीक हो जाती है।

वात-ज्वर:

  • नमक को साफ कपड़े में रखकर पोटली बना लें और इस पोटली को हल्का गर्म करके इससे सूजनयुक्त स्थान पर सिंकाई करें इससे लाभ मिलेगा।
  • सेंधानमक, संचर नमक, त्रिकुटा और हींग को 4-4 ग्राम लेकर 40 ग्राम सुखे लहसुन के साथ पीस लें, फिर इसे 1 ग्राम की मात्रा में प्रतिदिन सेवन करें। इसका प्रयोग एक महीने तक करने से वात-ज्वर ठीक हो जाता है।

निर्जलीकरण (डायडेशन, शरीर में पानी की कमी):

नमक और ग्लूकोज पानी में घोलकर पीने से शरीर में पानी की कमी दूर होती है।

अंगुली (अंगुलबेड़ा या विटलो):

नमक के पानी में अंगूठे को डुबाने से अंगुली का दर्द कम होता है।

मोच या चोट का लगना:

  • नमक को धीमी आग पर सेंक लें, इसे गर्म-गर्म ही मोटे कपड़े में बांधकर पीड़ित अंग पर सिंकाई करें इससे लाभ मिलेगा।
  • सेंधानमक और बूरा को समान मात्रा में मिलाकर 1 चम्मच सुबह-शाम पानी के साथ सेवन करने से लाभ मिलता है।
  • नमक और हल्दी को बारीक पीसकर चोट पर लगाने से मोच या चोट के कारण होने वाले दर्द में आराम मिलता है।
  • नमक को पीसकर सूजन वाले स्थान (अंग) पर लगाने से सूजन दूर हो जाती है।
  • नमक और सरसों के तेल को मिलाकर गर्म करके सूजन पर लगायें।
  • 10 ग्राम सेंधानमक को 300 मिलीलीटर ठंडे पानी में घोलकर इससे रोग ग्रस्त स्थान पर धारा दें या पीड़ित अंग को इसमें डूबोकर रखें इससे लाभ मिलेगा।
  • नमक को तवे पर सेंककर इसे हल्का गर्म मोटे कपड़े में बांधकर पोटली बना लें, इससे दर्द वाली जगह पर सिंकाई करें इससे लाभ मिलेगा।

घाव (जख्म):

  • नमक के पानी में रूई को भिगोकर इसे घाव पर बांधे इससे लाभ मिलता है।
  • लहसुन की 10 कली (पुत्ती) को आधा चम्मच नमक के साथ पीसकर देशी घी में डालकर पका लें इसके बाद इसे घाव पर लगाने से घाव ठीक होने लगता है।
  • सेंधानमक और गुलकाकरी की जड़ पीसकर मिला लें फिर इसे पका लें इसके बाद इसे हल्का गर्म ही घाव पर लगाएं इससे घाव ठीक हो जाता है।
  • सेंधानमक को कबूतर की बीट में मिलाकर पिट्ठी बना लें और इसे घाव पर लगाकर पट्टी बांध लें, इससे घाव ठीक हो जाता है।

मसूढ़ों की सूजन:

  • नमक तथा फुली हुई फिटकरी को पीसकर चूर्ण बना लें और इसे मसूढ़े पर लगाएं इससे लाभ मिलेगा।
  • पिसी हुई सेंधानमक 1 ग्राम तथा मीठी सोडा 1 ग्राम को 100 मिलीलीटर पानी में उबालें और फिर इस हल्का गर्म पानी से रोजाना सुबह-शाम कुल्ला करें इससे मसूढ़ों की सूजन ठीक होती है।
  • नमक को पानी में मिलाकर प्रतिदिन 2-3 बार कुल्ला करें। इससे मसूढ़ों की सूजन खत्म होती है।

अग्निमान्द्य (जठराग्नि का मन्दा होना):

  • चौथाई चम्मच अदरक के टुकड़ों पर सेंधानमक डालकर भोजन से पहले खा लें इससे लाभ मिलेगा।
  • सौंठ और सेंधानमक को समान मात्रा में मिला लें, इसमें से 1 चम्मच की मात्रा गर्म पानी के साथ लें इससे अग्निमान्द्य ठीक होता है।
  • 10 ग्राम सेंधानमक, छोटी हरड़ 5 ग्राम को पीसकर 1 चम्मच रोजाना सुबह-शाम गर्म पानी के साथ लें।
  • 1 चम्मच कालानमक, खाने का सोडा और आधा नींबू को निचोड़कर आधा गिलास पानी में मिलाकर पीने से लाभ मिलता है और अपच दूर होती है।
  • नमक, सूखा धनियां, कालीमिर्च और कालानमक को मिलाकर पीस लें, इसमें से आधा चम्मच की मात्रा गुनगुने पानी के साथ लेने लाभ मिलता है।
  • अदरक के रस में, नींबू का रस और नमक को मिलाकर सुबह-शाम पीने से अपच के रोग में लाभ मिलता है, इससे पाचन क्रिया भी ठीक होती है।
  • नमक को तवे पर अच्छी तरह सेंक लें, फिर 5 ग्राम गुनगुने पानी के साथ इसका सेवन करें इससे अपच दूर हो जाती है।
  • 10 ग्राम सैंधानमक, 40 ग्राम देशी चीनी (बूरा) को मिलाकर बारीक पीस लें और इसमें से आधा चम्मच 100 मिलीलीटर गर्म पानी के साथ दिन में 3 बार लें। इस प्रकार से प्रतिदिन उपचार करने से अपच शिकायत दूर होती है।

अण्डवृद्धि (अण्डकोष का बढ़ना):

सैंधानमक को पीसकर गाय के घी में मिलाकर 7 दिनों तक सेवन करने से अण्डकोष में होने वाली वृद्धि दूर होती है।