पीपल के गुण और उससे होने वाले आयुर्वेदिक इलाज

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परिचय (Introduction)

पीपल के पेड़ सारे भारत में लगाए भी जाते हैं और अपने आप भी उग आते हैं। पीपल के पत्ते मार्च के महीने में झड़ जाते हैं और गर्मी के मौसम में इसमें फल की बहार आती है, जो बारिश के मौसम में पकते हैं। पुराने पीपल के पेड़ से लाक्षा (लाख, चपड़ा) भी प्राप्त होती है। पीपल वायु में ऑक्सीजन छोड़ता है और विषैली कार्बन डाईऑक्साईड सोखता है। पीपल बहुत ठंडा होता है। पीपल के पेड़ के अनेक अलौकिक गुणों के कारण इसे हिन्दू लोग बहुत ही पवित्र मानते हैं और पूजा करते हैं। हिन्दुओं में पीपल की लकड़ियां जलाना निषेध है। पीपल के फल छोटे-छोटे होते हैं। पीपल के पेड़ को छाया के लिए देव-मन्दिरों के आस-पास और रास्तों पर लगाया जाता है। पीपल की छाया स्वास्थ्यवर्द्धक होती है।

गुण (Property)

पीपल पाचनशक्तिवर्द्धक, वीर्यवर्द्धक (धातु को बढ़ाने वाला), मधुर-रसायन, वातकफनाशक, हल्की, दस्तावर, श्वास (दमा), खांसी, बुखार, कोढ़, प्रमेह (वीर्य विकार), बवासीर, प्लीहा शूल तथा आमवात आदि रोगों में लाभकारी है। यह पेशाब और मासिक-धर्म के बहने को जारी करती है, गर्भ को गिरने नहीं देती है। हृदय (दिल) की बीमारियों को हटाती है। कृमि (कीड़े) रोगों का नाश करती है। पीपल की छाल का लेप सूजनों को मिटाता है, नासूर के लिए लाभकारी है तथा घावों को भरता है। पीपल के सूखे हुए पत्तों को पानी में डालकर पीने से जी मिचलाना और उल्टी बंद हो जाती है। पीपल की जड़ की छाल का प्रयोग करने से वीर्य अधिक गाढ़ा होता है और कमर को बलवान बनाता है। 6 ग्राम पीपल के पेड़ की जड़ के चूर्ण को 5 कालीमिर्च के साथ बारीक पीसकर और छानकर पीने से और इसी की टिकिया बनाकर श्वेत कुष्ट (कोढ़) में लगाने से श्वेत कोढ़ दूर होता है।

हानिकारक प्रभाव (Harmful effects)

पीपल का अधिक मात्रा में उपयोग करने से सिर दर्द पैदा हो सकता है।

विभिन्न रोगों में उपचार (Treatment of various diseases)

बच्चों के आवाज को साफ करने के लिए:

पीपल के पके हुए फलों को बच्चे को खिलाने से बच्चे की आवाज साफ हो जाती है।

बच्चों के आवाज को साफ करने के लिए:

पीपल की सूखी छाल की राख बनाकर फोड़े पर लगाने से फोड़े सूखकर ठीक हो जाते हैं।

उल्टी:

  • पीपल की सूखी लकड़ी की राख को पानी में घोलकर, कई बार रोगी को पिलाने से हिचकी और उल्टी तुरंत बंद हो जाती है।
  • किसी रोगी को उल्टी होने और ज्यादा प्यास लगने पर पीपल की छाल को आग में जलाकर 1 गिलास पानी में डाल दें। फिर उस पानी को छानकर 20-20 मिलीलीटर पीने से उल्टी और प्यास दोनों कम हो जाती है।

उरू (थाई) में रुके हुए खून को साफ करने के लिए:

पीपल के पत्ते और डठलों को पीसकर उनका रस शहद के साथ रोगी को पिलाने से थाई में रुका हुआ खून साफ हो जाता है।

मुंह के छाले:

  • बच्चों के मुंह के छालों में पीपल के ताजे पत्ते और छाल को बारीक पीसकर शहद के साथ दिन में 3 बार थोड़ा-थोड़ा खिलाने से मुंह के छाले दूर हो जाते हैं।
  • पीपल की छाल के काढ़े से सुबह-शाम गरारे करने और छाल के चूर्ण को शहद में मिलाकर छालों पर लगाने से छालों में आराम मिलता है।
  • छोटी पीपल को बारीक पीसकर शहद मिलाकर जीभ पर रगड़े और लार को बाहर निकलने दें। इससे मुख के छाले ठीक होते हैं।

अफीम का विष:

पीपल की छाल का काढ़ा रोगी को पिलाने से अफीम का जहर उतर जाता है।

क्षत (घाव) कास और उर:क्षत :

पीपल की लाख का चूर्ण शहद और घी के साथ देने से लाभ मिलता है।

स्तनों के रोग:

पीपल की छाल को जलाकर पानी में मिला लें, बाद में एक लोहे के टुकड़े को बार-बार गर्म करके उसमें डालें। यह पानी रोगी को सुबह-शाम पीने को दें और इन्द्रवरुणा की जड़ को पानी में घिसकर औरत के स्तनों पर लेप करने से स्तनों के रोग दूर हो जाते हैं।

हिचकी का रोग:

  • 1 ग्राम की मात्रा में पीपल का चूर्ण शहद या शर्करा के साथ चाटने से हिचकी आना बंद हो जाती है।
  • पीपल के पेड़ की छाल पानी में घोलकर कुछ देर छोड़ दें। फिर इसके पानी को निथारकर पीने से हिचकी ठीक हो जाती है।
  • पीपल के पेड़ की छाल के कोयले का बुझा हुआ पानी पीने से हिचकी बंद हो जाती है।
  • पीपल के चूर्ण में शक्कर मिलाकर खाने से हिचकी नहीं आती है।
  • पीपल का चूर्ण कुछ दिनों तक शहद के साथ सेवन करने से हिचकी में लाभ होता है।
  • पीपल, सोंठ, आंवला को एक साथ पीसकर चूर्ण बना लें और इसे शहद में मिलाकर चाटें। इससे हिचकी नहीं आती है।
  • छोटी पीपल, आंवला, सोंठ का चूर्ण बराबर मात्रा में लें। अपनी इच्छानुसार इसमें शहद-घी डालकर सेवन करने से हिचकी की बीमारी से राहत मिलती है।
  • छोटी पीपल पिसी को 5 ग्राम शहद में मिलाकर चाटने से हिचकी में लाभ होता है।
  • छोटी पीपल का चूर्ण और शक्कर का बूरा बराबर मात्रा में लेकर सूंघने से हिचकी मिट जाती है।
  • 5 ग्राम छोटी पीपल का चूर्ण 6 ग्राम शहद के साथ मिलाकर चाटने से हिचकी मिट जाती है।
  • 10-10 ग्राम छोटी पीपल, आंवला, अजवायन, सोंठ को एक साथ बारीक पीस लें। फिर इसे 3-3 ग्राम सुबह-शाम शहद में मिलाकर चाटने से हिचकी में लाभ होता है।
  • पीपल की छाल को जलाकर पानी में ठंडा कर लें और इसे खटाई में पीसकर छाती पर लेप करने से हिचकी आना बंद हो जाती है।
  • 1 ग्राम पीपल की लाख का चूर्ण शहद में मिलाकर रोगी को चटाने से हिचकी का रोग दूर हो जाता है।
  • 50-100 ग्राम पीपल की छाल को कोयलों से बुझे हुए पानी में मिलाकर पीने से हिचकी आना बंद हो जाती है।

रक्तातिसार (खूनी दस्त):

  • पीपल के नर्म डंठल, धनिया और शक्कर को बराबर मात्रा में लेकर मुंह में रखें और दांतों से चबाकर इसका रस गले में निगलने से खूनी दस्त के रोग में आराम मिलता है।
  • पीपल की कोमल टहनियां, धनिये के बीज तथा मिश्री को बराबर मात्रा में मिलाकर 3-4 ग्राम रोजाना सुबह-शाम सेवन कराने से खूनी दस्त के रोग में लाभ होता है।

अरुचि (भोजन की इच्छा न करना):

पीपल के पके फलों का सेवन करने से कफ, पित्त, रक्तदोष, विष (जहर), दाह (जलन), वमन (उल्टी) तथा अरुचि का नाश होता है।

मूत्र (पेशाब) विकार:

पीपल की छाल का काढ़ा या फांट रोगी को पिलाने से मूत्रकृच्छ (पेशाब करने में कष्ट या जलन) मिट जाते है।

उपदंश (धातु सम्बंधी विकार):

पीपल के तने की 50 ग्राम सूखी छाल की राख, उपदंश पर छिड़कने से उपदंश के घाव ठीक हो जाते हैं।

पेट में दर्द:

  • पीपल के मुलायम 3 पत्तों को बारीक पीसकर गुड़ को मिलाकर छोटी-छोटी गोली बना लें। इन गोलियों को सुबह-शाम 1-1 गोली खुराक के रूप में खाने से पेट के दर्द में लाभ हो जाता है।
  • पीपल के पत्तों को पीसकर सेंधानमक डालकर पीने से लाभ होता हैं।

क्षय (टी.बी.):

  • पीपल की लाख का चूर्ण घी और शहद में मिलाकर रोगी को पिलाने से टी.बी का रोग ठीक हो जाता है।
  • 500 मिलीलीटर बकरी के दूध में 500 मिलीलीटर पानी मिलाकर इसमें 3 पीपल डालकर उबालें। जब पानी जल जाये तब इसमें से पीपल को निकालकर खा लें। फिर ऊपर से हल्का गर्म दूध पी लें। 10 दिनों तक 1-1 पीपल बढ़ाकर दूध में गेरे तथा 11 वें दिन से 1-1 पीपल घटाते जाएं। 3 पीपल पर लाकर खत्मकर बंद कर दें।

बच्चों के फोड़े:

पीपल की छाल और ईंट को पानी में घिसकर बच्चों के फोड़ों पर लेप करने से फोड़े ठीक हो जाते हैं।

नीलमेह:

नीलमेह के रोग में पीपल की छाल का काढ़ा बनाकर रोगी को पिलाने से लाभ मिलता है।

पालतू जानवरों के घाव में कीड़े पड़ जाने पर :

पीपल की छाल को रोटी में डालकर पालतू जानवरों को खिलाने से उनके जख्म ठीक होकर उनमें पड़े कीड़े समाप्त हो जाते हैं।

हनुग्रह (मुंह को अचल कर देने वाला रोग) :

पीपल की छाल के रस को पानी में मिलाकर उसमें पीपल का चूर्ण मिलाकर रोगी को पिलाने से लाभ होता है।

रक्तपित्त (खूनी पित्त):

  • 10 ग्राम पीपल के पत्तों का रस 60 ग्राम हीरा बोल (एक प्रकार का गोंद) में 2 गुनी मात्रा में शहद को मिलाकर पिलाने से हृदय के अंदर रुका हुआ खून का नाश हो जाता है।
  • पीपल के चूर्ण और मिश्री को बराबर मात्रा में मिलाकर रख लें, फिर इसे 1 चम्मच की मात्रा में दिन में 3 बार ठंडे पानी से लेने पर कुछ ही दिनों में खूनी पित्त में लाभ होता हैं।