पर्णबीज के गुण और उससे होने वाले आयुर्वेदिक इलाज

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परिचय (Introduction)

पर्णबीज एक लम्बी आयु का पौधा होता है। यह वनस्पति पूरे भारत में सभी उद्यानों में लगाई जाती है।

गुण (Property)

पर्णबीज की बूटी आकार में छोटी, रूखी, कषैली, खट्टी, मधुर, ठण्डी प्रकृति की होती है। पर्णबीज पथरी को काटने वाला, बस्तिशोधक, भेदक (तोड़ने वाला) तथा त्रिदोश (वात, पित्त तथ कफ) को शांत करने वाला, बवासीर (अर्श), वायुगोला, और व्रण (अल्सर) रोग को समाप्त करने वाला होता है। पर्णबीज के पत्ते व्रणरोपक (घावरोपक) व रक्तस्तंभक होते हैं। वर्णबीज का रक्तस्राव (खून का बहना), चोट, अतिसार (दस्त) तथा विसूचिका (हैजा) आदि रोगों में सेवन करने से लाभ मिलता है। पेशाब में जलन और कष्ट तथा मूत्राघात (पेशाब में धातु का आना) आदि रोगों में पर्णबीज बहुत आराम पहुंचाता है।

विभिन्न रोगों में उपचार (Treatment of various diseases)

नेत्र (आंखों) की पीड़ा:

पर्णबीज के पत्तों का रस आंखों के चारों तरफ लेप करने से आंखों के सफेद भाग का दर्द दूर हो जाता है।

सिर का दर्द (शिरोवेदना) :

पर्णबीज के पत्तों को पीसकर सिर पर लेप करने से सिर के दर्द में लाभ पहुंचता है।

उच्च रक्तचाप (हाईब्लडप्रेशर):

पर्णबीज के हवाई अंगों का 5-10 बूंद का सेवन करने से रक्तचाप में लाभ मिलता है।

दमा (श्वास) :

50 से 60 मिलीलीटर पर्णबीज की पत्तियों का काढ़ा दमा और श्वांस के रोगियों को पिलाने से आराम मिलता है।

पेट में दर्द (उदर शूल) :

  • 5 मिलीलीटर पर्णबीज के पत्तों के रस में इच्छानुसार शक्कर (चीनी) मिलाकर सुबह-शाम रोगी को पिलाने से पेट के दर्द में राहत मिलती है।
  • पर्णबीज का 50 मिलीलीटर काढ़ा रोगी को पिलाने से पेट के दर्द में आराम मिलता है।
  • 10 मिलीलीटर पर्णबीज के रस में आधा से 1 ग्राम सौंठ डालकर रोगी को पिलाने से पेट का दर्द दूर हो जाता है।

पाचन क्रिया का मंदा होना (मंदाग्नि):

5 से 10 मिलीलीटर पर्णबीज के पत्तों के रस को एक दिन में 2 बार भोजन के 1 घंटा पहले सेवन करने से पुरानी मंदाग्नि (भूख का कम लगना) का रोग समाप्त हो जाता है।

पथरी (अश्मरी):

40 मिलीलीटर पर्णबीज के पत्तों के काढ़े में लगभग आधा ग्राम शिलाजीत और 2 ग्राम शहद मिलाकर सुबह-शाम रोगी को पिलाने से पित्त की पथरी नष्ट हो जाती है।

प्रमेह (वीर्य का विकार):

5 मिलीलीटर पर्णबीज के पत्तों के रस को पीने से प्रमेह, तृषा (प्यास), आध्यमान (पेट का फूल जाना, अफारा), पेट दर्द, श्वास (दमा), जीर्ण कास (पुरानी खांसी), अपस्मार (मिर्गी) और मूत्र संस्थान में अवरोध (पेशाब के दौरान रुकावट) आदि रोगों में लाभ मिलता है।

पेशाब के रोग :

पर्णबीज के पत्तों का 40 से 60 मिलीलीटर रस का काढ़ा बनाकर उसमें 2 ग्राम शहद मिलाकर सुबह-शाम पिलाने से पुरुषों के पेशाब से सम्बंधित रोगों में आराम मिलता है।

योनिस्राव (योनि से खून आना) :

पर्णबीज के पत्तों के 40-60 मिलीलीटर काढ़े में 2 ग्राम शहद को मिलाकर खाने से योनिस्राव के रोग में राहत मिलती है।

खूनी दस्त (रक्ततिसार):

पर्णबीज के पत्तों के 3-6 मिलीलीटर रस में जीरा और दुगुनी मात्रा में घी मिलाकर दिन में 3 बार सेवन करने से खूनी दस्त बन्द हो जाता है।

पेशाब करने में जलन व परेशानी:

पर्णबीज की मूल (जड़) का 40 मिलीलीटर काढ़ा दिन में 1 दिन 2 बार पिलाने से पेशाब करते समय की परेशानी दूर हो जाती है।

खून का कैंसर (रक्त कैंसर):

पर्णबीज के हवाई अंगों के 5 से 10 बूंद को चाटने से कैंसर के रोग में लाभ मिलता है।

हैजा (विसूचिका):

5 से 10 मिलीलीटर पर्णबीज के पत्तों के रस का सेवन करना हैजे के रोग में लाभकारी होता है।

घाव (जख्म):

  • चोट, मोच, फोड़े तथा कीटदंष (कीड़ों के काटने पर) पर पर्णबीज के पत्तों को थोड़ा सा गर्म करके, पीसकर जख्म वाली जगह पर बांधने से जख्म की सूजन, घाव और दर्द कम होता है।
  • पर्णबीज के पत्तों को थोड़ा सा गर्म करके पीसकर चोट लगी हुई जगह पर बांधने से घाव जल्दी भर जाता है।

नशा उतारने के लिए:

पर्णबीज के पत्तों के रस का अधिक मात्रा में सेवन करने से नशा उतर जाता है।