पान के गुण और उससे होने वाले आयुर्वेदिक इलाज

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परिचय (Introduction)

भारत में पान केवल खाने के लिए ही नहीं बल्कि पूजा, यज्ञ, हवन, सांस्कृतिक कार्यों, मेहमानों का स्वागत आदि कार्यो में इस्तेमाल किया जाता है। पान बिहार, पश्चिम बंगाल, बनारस, सांची आदि जगहों में पैदा की जाती है। विभिन्न स्थानों में पैदा होने के कारण पान मद्रासी, बंगला, कपूरी, महोबा, बनारसी, मालवी, विओला, महाराजपुर, देशी आदि नामों से जाने जाते हैं। इन सभी में बनारस का पान सबसे अधिक अच्छा होता है।

गुण (Property)

पान मन को खुश करता है, दिल, जिगर, मेदा (आमाशय) और दिमाग को बलवान करता है, आनंद और प्रसन्नता को पैदा करता है, पेशाब खुलकर लाता है और दोषों को नष्ट करता है, गले की आवाज को साफ करता है, दांत और मुंह के दोषों को समाप्त करता है, धातु को बलवान बनाता है और भूख को बढ़ाता है।

हानिकारक प्रभाव (Harmful effects)

गर्म स्वभाव वालों व्यक्तियों को सुबह खाली पेट बंगला पान नहीं खाना चाहिए। पान का अधिक सेवन करने से आंखों, दांतों के रोग, पुरुषार्थ शक्ति की कमी और भूख न लगना जैसे रोग पैदा होते हैं। फेफड़ों में शुष्कता (सूखापन) और आंतों में विषोत्पति पान में कत्थे की अधिकता के कारण होती है। पान में चूने की अधिकता से दांतों को हानि होती है तथा पान में सुपारी की अधिकता से अरिकेन विष उत्पन्न होता है। तम्बाकू मिलाकर सेवन किया गया पान कैंसर जैसे रोगों को पैदा करता है। इसके सेवन से स्त्रियों की प्रजनन-शक्ति कमजोर होकर उनका गर्भपात भी हो सकता है। पान भूखे पेट सेवन करना हानिकारक होता है। कमजोर, जहर खाये व्यक्ति या जिसको बेहोशी हो और वह रोगी जिसके मुंह, नाक, कान या कहीं से भी खून बहता हो उसे पान खाना छोड़ देना चाहिए।

विभिन्न रोगों में उपचार (Treatment of various diseases)

स्तनों के रोग:

स्त्रियों के स्तनों पर पान के रस से मालिश करके सिंकाई करने से स्तनों की सूजन दूर होकर स्तनों का दूध साफ होता है।

स्तनों की सूजन:

जिन औरतों का बच्चा मर गया हो और उनके स्तनों में दूध जमा होने की वजह से सूजन आ गई हो तो उन औरतों के स्तनों पर पान को गर्म करके बांधने से उनके स्तनों की सूजन कम हो जाती है और स्तनों में जमा हुआ दूध निकल जाता है।

गर्भ निरोध हेतु:

पान का रस और शहद बराबर की मात्रा में मिलाकर संभोग करने से पहले योनि को धोने से और पान की जड़ को कालीमिर्च के साथ बराबर मात्रा में पीसकर 1 चम्मच की मात्रा में रोजाना सुबह-शाम सेवन करने से गर्भधारण नहीं होता है।

मुंह के छाले:

  • पान के पतों का रस शहद में मिलाकर छालों पर रोजाना 2-3 बार लगाने से लाभ होता है।
  • मुंह में छाले हो जाने पर पान की पत्ती को सुखाकर चबाएं।

बिच्छू के काटने पर:

पान के रस में सोंठ को घिसकर बिच्छू के काटे हुए स्थान पर लगाने से राहत मिलती है।

प्यास:

  • पान के रस में थोड़ी-सी पिपरमिंट को मिलाकर सेवन करने से प्यास मिटती है।
  • पान खाने से प्यास कम लगती है।

खांसी:

  • सूखी खांसी में पान के सादे पत्ते में 1-2 ग्राम अजवायन रखकर उसे खाकर उसके ऊपर से गर्म पानी पीकर सो जाने से सूखी खांसी, दमा और सांस का रोग ठीक हो जाता है।
  • पान के फलों को शहद के साथ मिलाकर रोजाना 2-3 बार चाटने से खांसी में लाभ मिलता है।
  • पान के साथ 240 मिलीग्राम जायफल को घिसकर सेवन करने से खांसी के रोग में आराम आता है।
  • 3 मिलीलीटर पान के रस को शहद के साथ चटाने से बच्चों की खांसी में बहुत लाभ होता है।
  • पान के रस में शहद मिलाकर दिन में 1-2 बार सेवन करने से खांसी का अंत होता है।
  • सूखी खांसी को दूर करने के लिए हरे पान के पत्ते पर दो चुटकी अजवायन रखकर पान को चबाएं तथा रस को धीरे-धीरे गले के नीचे उतारते जाएं।
  • खांसी बार-बार चलती हो तो सेंकी हुई हल्दी का टुकड़ा पान में डालकर खाना चाहिए। यदि खांसी रात को ज्यादा देर तक चलती हो तो पान में अजवाइन डालकर खाएं तथा पान का पीक निगलते जाएं।
  • पान के फल को पीसकर बनाये गये चूर्ण को शहद के साथ रोगी को खिलाने से बलगम बाहर निकलकर खांसी में आराम मिलता है।
  • पान के पत्ते में 1 लौंग, सिंकी हुई हल्दी का टुकड़ा व थोड़ी-सी अजवायन डालकर 2 से 3 बार खाने से खांसी में आराम मिलता है।

नपुंसकता (नामर्दी):

पुरुष के लिंग (शिश्न) पर पान के पत्ते बांधने से और पान के पत्ते पर मालकांगनी का तेल 10 बूंद लगाकर दिन में 2 से 3 बार कुछ दिन खाने से नपुंसकता दूर होती है। इस प्रयोग के दौरान दूध और घी का अधिक मात्रा में सेवन कर सकते हैं।

चोट:

  • पान के पत्ते पर चूना और कत्था लगाकर उसमें थोड़ा-सा तम्बाकू डालकर पीस लें फिर गुनगुना करके चोट पर बांधे। इससे दर्द दूर होता है और जख्म जल्दी भर जाता है।
  • पान के रस में थोड़े से चूने को मिलाकर सूजन पर पट्टी बांधने से दर्द और सूजन कम होता है।
  • पान के पत्ते को चोट लगी हुई जगह पर लगाने से लाभ होता है।

बच्चों के पेट में कब्ज का होना:

पान के डंठल में थोड़ा सा घी और नमक लगाकर गुदा में लगाने से दस्त चालू हो जाएंगे और कब्ज का रोग दूर हो जायेगा।

श्वास या दमा:

  • लगभग 5 से 10 मिलीलीटर पान के रस को शहद के साथ या अदरक के रस के साथ प्रतिदिन 3-4 बार रोगी को देने से दमा या श्वास का रोग ठीक हो जाता है।
  • गजपीपली का चूर्ण पान में रखकर सेवन करने से श्वास रोग मिट जाता है।
  • बंगाली पान को कूट-पीसकर कपड़े में निचोड़कर 500 मिलीलीटर की मात्रा में रस निकाल लें। इसी तरह अदरक और अनार का रस 500-500 मिलीलीटर की मात्रा में लें। इसके साथ ही कालीमिर्च 60 ग्राम और छोटी पीपल 80 ग्राम लेकर सभी को एक साथ कूट-पीसकर 1 किलो मिश्री मिलाकर धीमी आंच पर रखकर चासनी बना लें। प्रतिदिन इस चासनी को 10-10 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से खांसी, श्वास और बुखार आदि रोग दूर हो जाते हैं तथा भूख बढ़ने लगती है।
  • जावित्री को पान में रखकर खाने से दमा के रोग में लाभ होता है। पान में चूना और कत्था बराबर मात्रा में लगाकर 1 इलायची और 2 कालीमिर्च को डालकर धीरे-धीरे चबाकर चूसते रहने से दमा के रोग में आराम मिलता है।

गला बैठने पर:

पान की जड़ के टुकड़े को मुंह में रखकर 3-4 बार चूसते रहने से गले में बैठी आवाज खुल जाती है और गला साफ हो जाएगा।

ज्वर (बुखार):

  • पान के रस को गर्म करके 1 चम्मच की मात्रा में दिन में 3 बार रोगी को पिलाने से बुखार में बहुत लाभ होता है।
  • लगभग 3 मिलीलीटर पान के रस को गर्म करके दिन में 2-3 बार रोगी को पिलाने से बुखार आना बंद हो जाता है।
  • 6 मिलीलीटर पान का रस, 6 मिलीलीटर अदरक का रस और 6 ग्राम शहद को मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से बुखार दूर हो जाता है।

हृदय रोग:

  • हृदय की अनियमित गति, उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) के रोग में 1 चम्मच पान का रस तथा इतनी ही मात्रा में मिश्री मिलाकर सेवन करने से हृदय की गति नियंत्रित होकर, रक्तचाप कम हो जाता है।
  • दिल की कमजोरी में पान का प्रयोग लाभदायक है। डिजिटैलिस के स्थान पर इसका प्रयोग कर सकते हैं।
  • पान का शर्बत पीने से हृदय का बल बढ़ता है, कफ और मंदाग्नि (भूख कम लगने का रोग) मिटती है।

पित्ती:

पान खाने वाले 3 पान (नागरबेल) और 1 चम्मच फिटकरी को पानी में डालकर, पीसकर, पित्ती (गर्मी के कारण शरीर में निकलने वाले चकत्ते) निकलती हुई जगह मालिश करने से पित्ती रोग ठीक हो जाता है।

गुर्दा के रोग:

पान का सेवन वृक्क (गुर्दे) के रोगों में लाभदायक है।

यकृत (जिगर) के दर्द:

छाती (सीने) पर पान का तेल लगाकर गर्म करके बांधने से यकृत (जिगर) के दर्द और सांस की नली की सूजन में लाभ होता है।

खांसी-जुकाम:

पान में लौंग डालकर खायें। अगर खांसी बार-बार चलती हो तो सेंकी हुई हल्दी का टुकड़ा पान में डालकर पान खायें। खांसी रात को अधिक चलती हो तो पान में अजवायन डालकर खायें। बच्चों को सर्दी लगने पर पान के पत्ते पर तेल लगाकर गर्म करके सीने पर बांधने से लाभ होता है।

फोड़ा:

फोड़ों पर पान के पत्तों को गर्म करके बांधने से सूजन व दर्द कम होकर जल्दी ही ठीक हो जाता है।

मीठी आवाज:

  • पान की जड़ चूसने से आवाज मीठी होती है। गले में जमा हुआ कफ निकालने व स्वर भंग में आवाज की खराबी ठीक करने के लिए कुलंजन (पान की जड़) अत्यंत लाभकारी है।
  • पान खाने से गले की आवाज मीठी हो जाती है।