परिचय (Introduction)
हरड़, बहेड़ा तथा आंवला के चूर्ण को बराबर मात्रा में मिलाकर त्रिफला बनाया जाता है।
गुण (Property)
त्रिफला प्रमेह (वीर्य विकार), कफ, पित्त तथा कुष्ठ को ठीक करता है। यह दस्त लाकर पेट को साफ करने वाला होता है। आंखों के रोग को ठीक करने में यह लाभकारी होता है। यह भूख, रुचि को बढ़ाने वाला और विषम बुखार को नष्ट करने वाला होता है।
विभिन्न रोगों में उपचार (Treatment of various diseases)
आंखों के रोग :
त्रिफला को शाम को पानी में डालकर भिगो दें। सुबह उठकर इसे छान लें तथा इससे आंखों धोएं इससे हर प्रकार की आंखों की बीमारियां ठीक हो जाती है। त्रिफला के चूर्ण को कुछ घंटे तक पानी में भिगोकर, छानकर उसका पानी पीने से भी गैस की शिकायत नहीं रहती हैं।
त्रिफला के पानी से आंखों को धोने से आंखों के अंदर की सूजन दूर हो जाती है।
लगभग 5 से 10 ग्राम महात्रिफला तथा मिश्री को घी में मिलाकर सेवन करने से आंखों का दर्द, आंखों का लाल होना या आंखों की सूजन आदि दूर होते है।
4 चम्मच त्रिफला का चूर्ण 1 गिलास पानी में मिलाकर अच्छी तरह से छान लें। इस पानी से आंखों पर छीटे मारकर दिन में 4 बार धोएं। इससे लाभ मिलता है और आंखों के रोग ठीक हो जाते हैं।
त्रिफला के काढ़े की कुछ बूंदे आंखों में डालने से हर प्रकार के आंखों के रोग ठीक हो जाते हैं।
त्रिफला के पानी से रोजाना 2 से 3 बार आंखों को धोने से कनीनिका की जलन दूर होती है। आंखों के रोगों को ठीक करने के लिए 30 ग्राम त्रिफला चूर्ण को रात के समय में 100 मिलीलीटर पानी में मिलाकर रखें। सुबह इसे कपड़े से छानकर आंखों को धोएं।
10 ग्राम त्रिफला, 5-5 ग्राम सेंधानमक और फिटकरी और 100 ग्राम नीम के पत्ते इन सबको लेकर 300 मिलीलीटर पानी में उबालें तथा इसे कपड़े से छानकर आंखों को धोने से आंखों की सूजन ठीक हो जाती है।
मोतियाबिंद :
ठंडे पानी या त्रिफला के काढ़े से आंखों को धोने से मोतियाबिंद दूर होता है। त्रिफला चूर्ण एवं यष्टीमूल चूर्ण को 3 से 6 ग्राम शहद या घी के साथ दिन में 2 बार लेने से मोतियाबिंद ठीक हो जाता है।
मोतियाबिंद को ठीक करने के लिए 6 से 12 ग्राम त्रिफला चूर्ण को 12 से 24 ग्राम घी के साथ दिन में 3 बार लेना चाहिए।
दिनौंधी (दिन में दिखाई न देना) :
त्रिफला के काढे़ में 12 से 24 ग्राम शुद्ध घी मिलाकर इसे 150 मिलीलीटर गुनगुने पानी के साथ दिन में 3 बार लेने से लाभ मिलता है।
त्रिफले के पानी से आंखों को रोजाना धोने और त्रिफले का चूर्ण घी या शहद के साथ सुबह और शाम 3 से 6 ग्राम खाने से दिनौंधी रोग में लाभ मिलता है।
दिनौंधी को ठीक करने के लिए रोजाना सुबह और शाम 10 ग्राम त्रिफला चूर्ण को ताजे पानी के साथ सेवन करें और त्रिफला के पानी से आंखों और सिर को धोयें।
रतौंधी (रात में न दिखाई देना) :
त्रिफला के पानी से रोजाना सुबह और शाम आंखों और सिर को अच्छी तरह से धोना चाहिए। इससे रतौंधी रोग ठीक होने लगता है।
उच्च रक्तचाप (हाईब्लड़ प्रेशर) :
1 चम्मच त्रिफला के चूर्ण को गर्म पानी के साथ रात के समय में सोने से पहले लेने से लाभ उच्च रक्तचाप समान्य हो जाता है।
10 ग्राम त्रिफला का चूर्ण पानी में मिलाकर रात को किसी बर्तन में रख दें। सुबह इस मिश्रण को छानकर इसमें थोड़ी-सी मिश्री मिला दें और इसे पी लें। इससे उच्च रक्तचाप (हाईब्लड प्रेशर) कम होता है।
बालों का झड़ना :
त्रिफला का चूर्ण लगभग 2 से 6 ग्राम तथा लौह की भस्म (राख) 125 मिलीग्राम को मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से बालों का झड़ना बंद हो जाता है।
कामला (पीलिया) :
त्रिफला, वासा, गिलोय, कुटकी, नीम की छाल और चिरायता को मिलाकर पीस लें। इस मिश्रण की 20 ग्राम मात्रा को लगभग 160 मिलीलीटर पानी में पका लें। जब पानी चौथाई बच जायें तो इस काढ़े में शहद मिलाकर सुबह और शाम के समय सेवन करने से पीलिया रोग ठीक हो जाता है।
त्रिफला, पलाश तथा कुटज को मिलाकर सेवन करने से पीलिया रोग में लाभ मिलता है।
पीलिया का उपचार करने करने के लिए 40 मिलीलीटर त्रिफला के काढ़े में 5 ग्राम शहद मिलाकर सेवन करने से लाभ मिलता है।
त्रिफला का रस एक तिहाई कप इतना ही गन्ने का रस मिलाकर दिन में 3 बार पीने से पीलिया की बीमारी दूर होती है।
हल्दी, त्रिफला, बायबिडंग, त्रिकुटा और मण्डूर को बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बनाकर रख लें। फिर उस चूर्ण को घी और शहद के साथ मिलाकर खाने से पीलिया रोग ठीक हो जाता है।
आधा चम्मच त्रिफला का चूर्ण, आधा चम्मच गिलोय का रस, आधा चम्मच नीम का रस। इन सबकों मिलाकर शहद के साथ चाटें। लगभग 12 से 15 दिन तक इसका सेवन करने से रोग ठीक हो जाता है।
टायफाइड :
त्रिफला का काढ़ा लगभग 10-20 मिलीलीटर बुखार आने से 1 घण्टे पहले पीने टायफाइड रोग में लाभ मिलता है।
लगभग 20 मिलीलीटर त्रिफला के काढ़े या गिलोय के रस को पीने से टायफाइड ठीक होने लगता है।
वजन बढ़ाने के लिए :
1 चम्मच त्रिफला चूर्ण को रात में लगभग 200 ग्राम पानी में मिलाकर रख दें। सुबह के समय इस पानी को उबालें। जब पानी आधा बच जाए तो इसको छानकर रख लें। इसके बाद 2 चम्मच शहद मिलाकर गुनगुना पीने से कुछ ही दिनों में ही कई किलो वजन में बढ़ोत्तरी होती हैं।
मलेरिया का ज्वर :
मलेरिया ज्वर को ठीक करने के लिए त्रिफला और पीपल को बराबर भाग में लेकर चूर्ण बना लें, इसमें शहद मिलाकर चाटने से लाभ मिलता है।
त्रिफला 3 ग्राम, नागरमोथा 3 ग्राम, निशोथ 3 ग्राम, त्रिकुटा 3 ग्राम, इन्द्रजौ 3 ग्राम, कुटकी 3 ग्राम, पटोल के पत्ते 3 ग्राम, चित्रक 3 ग्राम और अमलतास को 3 ग्राम की मात्रा में कूटकर चूर्ण बना लें। जब काढ़ा ठंडा हो जाये तब शहद मिलाकर रोगी को पिलाए इससे मलेरिया बुखार ठीक हो जाता है।
फेफड़ों में पानी भर जाना :
1 ग्राम त्रिफला का चूर्ण और 1 ग्राम शिलाजीत को 7 से 14 मिलीमीटर गाय के मूत्र (पेशाब) में मिलाकर दिन में दो बार सेवन करने से यह रोग ठीक हो जाता है।
कब्ज :
कब्ज को दूर करने के लिए त्रिफला का चूर्ण 5 ग्राम रात में हल्के गर्म दूध के साथ लेने से लाभ मिलता है।
1 चम्मच त्रिफला के चूर्ण को गर्म पानी के साथ सोने से पहले सेवन करने से कब्ज की समस्या दूर होती है।
त्रिफला का चूर्ण 5 ग्राम की मात्रा में लेकर हल्का गर्म पानी के साथ रात को सोते समय लेने से कब्ज दूर हो जाती है।
त्रिफला का चूर्ण 6 ग्राम शहद में मिलाकर रात में खा लें, फिर ऊपर से गर्म दूध पीएं। ऐसा कुछ दिनों तक करने से कब्ज की समस्या खत्म हो जाती है।
त्रिफला 25 ग्राम, सनाय 25 ग्राम, काली हरड़ 25 ग्राम, गुलाब के फूल 25 ग्राम, बादाम की गिरी 25 ग्राम, बीज रहित मुनक्का 25 ग्राम, कालादाना 25 ग्राम और वनफ्शा 25 ग्राम इस सब को पीसकर चूर्ण बना लें। इस मिश्रण को गर्म दूध के साथ लेने से कब्ज समाप्त हो जाती है।
50 ग्राम त्रिफला, 50 ग्राम सोंफ, 50 ग्राम बादाम की गिरी, 10 ग्राम सोंठ और 30 ग्राम मिश्री को अलग-अलग जगह कूट लें। इन सबकों मिलाकर इसमें से 6 ग्राम रात को सोने से पहले सेवन करें।
त्रिफला गुग्गुल की दो-दो गोलियां दिन में 3 बार (सुबह, दोपहर और शाम) गर्म पानी के साथ लेने से पुरानी कब्ज की शिकायत दूर हो जाती है।
पेट की गैस बनना :
त्रिफला और राई को पीसकर चूर्ण बना लें। इसे थोड़ी-सी मात्रा में गर्म पानी के साथ लेने से लाभ मिलता है।
पेट में दर्द :
त्रिफला का चूर्ण 3 ग्राम तथा 3 ग्राम मिश्री को मिलाकर गर्म पानी के साथ सेवन करने से पेट का दर्द ठीक हो जाता है।
त्रिफला को बारीक पीसकर चूर्ण बना लें। फिर इस चूर्ण को गर्म पानी के साथ सेवन करें। इससे पेट का दर्द ठीक हो जाएगा।
पेट के सभी प्रकार के रोग :
200 ग्राम त्रिफला चूर्ण में लगभग 120 ग्राम खांड (कच्ची चीनी) मिला लें। इसमें से 5 ग्राम की मात्रा दिन में सुबह और शाम पानी के साथ लेने से पेट के सभी रोग ठीक हो जाते हैं।
पेट फूलना :
त्रिफला 10 ग्राम, 20 ग्राम सनाय और 50 ग्राम चूक को कूट छानकर नींबू के रस में मिलाकर छोटी-छोटी एक समान भाग में गोलियां बनाकर छांया में सुखा लें। रात को सोते समय 1 से 2 गोली लेने से पेट हल्का हो जाता है।
मोटापा :
त्रिफला का चूर्ण लगभग 12 से 14 ग्राम की मात्रा में सोने से पहले रात को हल्के गर्म पानी में डालकर रख दें। सुबह इस पानी को छानकर इसमें शहद को मिलाकर सेवन करें। ऐसा कुछ दिनों तक लगातार लेने से मोटापा कम होने लगता है।
त्रिफला, चित्रक, त्रिकुटा, नागरमोथा तथा वायविंडग को मिलाकर काढ़ा बना लें और इसमें गुगुल मिलाकर सेवन करें। इसे कुछ दिनों तक लेने से मोटापा कम होने लगता है।
मोटापा कम करने के लिए त्रिफला का चूर्ण शहद के साथ 10 ग्राम की मात्रा में दिन में 2 बार लेने से लाभ मिलता है।
2 चम्मच त्रिफला को 1 गिलास पानी में उबालकर इच्छानुसार मिश्री मिला लें और इसका सेवन करें। इसे रोज लेने से मोटापा दूर होता है।
त्रिफला का चूर्ण और गिलोय का चूर्ण 1-1 ग्राम की मात्रा में शहद के साथ चाटने से मोटापा कम होता है।
त्रिफला और गिलोय को मिलाकर काढ़ा बनाकर शहद के साथ सेवन करने से मोटापा कम होने लगता है।
जुकाम :
जुकाम को ठीक करने के लिए 3 ग्राम त्रिफला के चूर्ण को शहद मिलाकर चाटने से खांसी और जुकाम भी ठीक हो जाता है।
स्तनों के दूध का विकार :
त्रिफला, चिरायता पंचांग (जड़, तना, पत्ता, फल और फूल), कटुकी प्रकन्द, मुस्तकमूल को बराबर मात्रा में लेकर काढ़ा बना लें, फिर इसी काढ़े को एक दिन में 14 मिली लीटर से लेकर 28 मिली लीटर की मात्रा में सुबह और शाम पीने से स्तनों के दूध के विकारों में लाभ मिलता हैं।