सूरजमुखी के गुण और उससे होने वाले आयुर्वेदिक इलाज

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परिचय (Introduction)

सूरजमुखी दिनभर सूर्य के चारों ओर घूमता रहता है। जिस दिशा में सूर्य होता है, सूरजमुखी का फूल उसी दिशा में अपना मुंह कर लेता है। इसके फूल सूर्योदय पर खिलते हैं तथा सूर्यास्त के समय बंद हो जाते हैं। इसके पौधे गांवों के आस-पास बगीचों में, भूमि में, सड़कों के किनारे तथा जोते हुए खेतों में मिलते हैं। बैंगनी फूल का सूरजमुखी खासकर बिहार एवं उड़ीसा से लेकर गुजरात तथा दक्षिणी भारत में पाया जाता है। सूरजमुखी के फूल तीन प्रकार के होते हैं सफेद, बैगनी और पीले। गुण-कर्म की दृष्टि से तीनों ही तरह के सूरजमुखी अक्सर पाये जाते हैं।

गुण (Property)

यह वात और बलगम को खत्म करता है। इसके पंचांग के अल्कोहल सत्त्व में कैंसर विरोधी क्रिया पाई जाती है यह जलन, पाचन, दर्द और पेट के कीड़ों को नष्ट करता है। तीनों तरह के सूरजमुखी स्थानिक प्रयोग से राई की तरह क्रिया करते है, ये शरीर की जलन को खत्म करता है तथा उत्तेजक, पूतिहर, वेदना स्थापना है।

विभिन्न रोगों में उपचार (Treatment of various diseases)

उपदंश :
सूरजमुखी के पत्तों को खटाई की तरह घोंटकर उनको बांधने से उपदंश रोग नष्ट हो जाता है।

कोलेस्ट्राल :
सूरजमुखी के बीजों को अंकुरित कर खाया जा सकता है, इससे कोलेस्ट्राल की मात्रा रोजाना रहती है।

ज्वर :
सूरजमुखी की मूल (जड़) को कान में बांधने से भूत बुखार खत्म हो जाता है।
सूरजमुखी के पत्ते और काली मिर्च को बराबर मात्रा में पीसकर काली मिर्च के बराबर गोलियां बना लें। इन गोलियों में से 1-1 गोली 3 दिन तक सुबह, दोपहर तथा शाम को लेने से शीतबुखार खत्म हो जाता है।
सूरजमुखी की 10 मिलीलीटर जड़ का काढ़ा बनाकर सुबह-शाम रोगी को पिलाने से हल्का बुखार खत्म हो जाता है।
सूरजमुखी के पत्तों का काढ़ा 60 मिलीलीटर की मात्रा दिन में 2 बार रोगी को पिलाने से पैरटायफाइड या पानीझारा बुखार खत्म हो जाता है।
वातपित्तनुग श्वास में इसके पंचांग का चूर्ण त्रिकटु, दूध तथा घी के साथ खिलाकर उसके बाद चावल तथा घी खिलाने से श्वास (दमा) रोग में लाभ होता है।

आधाशीशी (माइग्रेन) :
सूरजमुखी के पत्तों के रस में सूरजमुखी के बीजों को गर्म करके सिर पर 2-3 दिन तक लेप करने से आधाशीशी की वेदना (आधे सिर का दर्द) दूर हो जाती है।

कर्णरोग (कान के रोग):
कान में कीड़ा चला गया हो तो सूरजमुखी के पत्तों के रस में थोडी सी सौंठ, काली मिर्च, पीपल का चूर्ण मिलाकर गुनगुना कर 1-2 बूंदें कान में डालने से कान के कीड़े मर जाते हैं।
कर्णशूल (कान का दर्द) एवं पूतिकर्ण में सूरजमुखी के पत्तों और चूर्ण को पकाकर बने तेल को कान में डालने से लाभ होता है। इसका पत्तों का रस अकेला भी इस्तेमाल किया जाता है

गलगंड (घेंघा) :
सूरजमुखी की जड़ और लहसुन को पीसकर, टिकिया बनाकर गले पर बांधने से गलगंड (घेंघा) फूट जाता है और बह कर साफ हो जाता है मगर इससे दर्द बहुत होता है।

उदरशूल (पेट का दर्द) :
बच्चों के पेट का दर्द तथा आध्मान (गैस) में सूरजमुखी के फूलों के रस की 10 बूंदे दूध में मिलाकर पिलाने से लाभ होता है।

रेचन (दस्त) :
रेचन (दस्त) के लिए सूरजमुखी के बीजों के तेल की 1 बूंद नाभि में गिराने से रेचन क्रिया होकर पेट साफ हो जाता है।

मूत्रकृच्छ :
सूरजमुखी के बीजों को बारीक पीसकर बासी पानी के साथ पीने से मूत्रकृच्छ (पेशाब मे जलन) में लाभ होता है।

बवासीर :
3 ग्राम सूरजमुखी के बीजों के चूर्ण को लेकर उसमें 3 ग्राम चीनी मिलाकर रोजाना सुबह-शाम सेवन करने से वायु की वजह से होने वाला बवासीर रोग खत्म हो जाता है, मगर पथ्य में घी, खिचड़ी और छाछ का ही प्रयोग करना चाहिए।

योनिदाह :
सूरजमुखी की जड़ को मांड में घिसकर लगाने से योनि की जलन में आराम मिलता है।

अश्मरी (पथरी) :
सूरजमुखी की जड़ को गाय के दूध में पीसकर पिलाने से अश्मरी (पथरी) जल्दी निकल जाती है।

सूजन :
फोड़े के ऊपर सूरजमुखी के पत्ते बांधने से उनकी सूजन बिखर जाती है।
फोड़े-फुन्सियों को इसके सूरजमुखी के पत्तों के काढ़े से धोने से लाभ होता है। जीर्ण श्लीपद आदि में सूरजमुखी की पत्तियों को पीसकर लेप करते हैं, जिससे स्फोट निकलते हैं और फोड़ा फूटने पर पानी निकलने से सूजन कम हो जाती है।

कान का बहना :
सरसों के तेल में सूरजमुखी के पत्तों का रस मिलाकर कान में डालने से कान में से मवाद बहना और कान का दर्द बंद हो जाता है।

बवासीर (अर्श) :
सूरजमुखी के बीजों में उससे 2 गुणा चीनी मिलाकर चूर्ण बना लें। इस 2 ग्राम चूर्ण को रोजाना सुबह-शाम खाने से बादी और खूनी दोनो बवासीर ठीक हो जाती है।

पेट के कीड़ों में :
सूरजमुखी के लगभग 4 ग्राम बीजों को पीसकर खाने से पेट के कीड़ें मरकर मल के द्वारा बाहर निकल जाते हैं।

रक्तप्रदर :
सूरजमुखी का काढ़ा शहद में मिलाकर दिन में 2 बार सेवन करने से रक्त प्रदर मिट जाता है।

आधासीसी (माइग्रेन) अधकपारी :
लगभग 5 ग्राम सूरजमुखी के बीजों को लगभग 10 मिलीलीटर सूरजमुखी के फलों के रस में पीसकर माथे पर लेप की तरह लगाने से आधे सिर का दर्द खत्म हो जाता है।

सिर का दर्द :
सूरजमुखी के चूर्ण को सूरजमुखी के रस में पीसकर सिर पर लेप की तरह लगाने से सिर दर्द के साथ ही साथ आधासीसी (आधे सिर का दर्द) का दर्द भी दूर हो जाता है।