केसर के गुण और उससे होने वाले आयुर्वेदिक इलाज

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परिचय (Introduction)

केसर की खेती भारत के कश्मीर की घाटी में अधिक की जाती है। यहां की केसर हल्की, पतली, लाल रंग वाली, कमल की तरह सुन्दर गंधयुक्त होती है। असली केसर बहुत महंगी होती है। कश्मीरी मोंगरा सर्वोतम मानी गई है। विदेशों में भी इसकी पैदावार बहुत होती है और भारत में इसकी आयात होती है।

केसर का पौधा बहुवर्षीय होता है और यह 15 से 25 सेमी ऊंचा होता है। इसमें घास की तरह लंबे, पतले व नोकदार पत्ते निकलते हैं। इसमें बैगनी रंग की अकेले या 2 से 3 की संख्या में फूल निकलते हैं। एक फूल से केसर के तीन तन्तु प्राप्त होती है। इसके बीज आयताकार, तीन कोणों वाले होते हैं जिनमें से गोलकार मींगी निकलती है।

आयुर्वेद के अनुसार : आयुर्वेदों के अनुसार केसर उत्तेजक होती है और कामशक्ति को बढ़ाती है। यह मूत्राशय, तिल्ली, यकृत (लीवर), मस्तिष्क व नेत्रों की तकलीफों में भी लाभकारी होती है। प्रदाह को दूर करने का गुण भी इसमें पाया जाता है।

वैज्ञानिकों के अनुसार : केसर की रासायनिक बनावट का विश्लेषण करने पर पता चला हैं कि इसमें तेल 1.37 प्रतिशत, आर्द्रता 12 प्रतिशत, पिक्रोसीन नामक तिक्त द्रव्य, शर्करा, मोम, प्रोटीन, भस्म और तीन रंग द्रव्य पाएं जाते हैं। अनेक खाद्य पदार्थो में केसर का उपयोग रंजन पदार्थ के रूप में किया जाता है।

असली केसर की पहचान : असली केसर पानी में पूरी तरह घुल जाती है। केसर को पानी में भिगोकर कपड़े पर रगडने से यदि पीला केसरिया रंग निकले तो उसे असली केसर समझना चाहिए और यदि पहले लाल रंग निकले व बाद में पीला पड़े तो नकली केसर समझना चाहिए।

विभिन्न रोगों में उपचार (Treatment of various diseases)

आंखों से कम दिखाई देना:

गुलाबजल में केसर घिसकर आंखों में नियमित डालने से आंखों की रोशनी बढ़ती है।

नपुंसकता:

केसर, जायफल और जावित्री पान में रखकर दिन में 2 से 3 बार खाने से नपुसंकता दूर होती है।

मूत्राघात:

घी के साथ केसर मिलाकर प्रतिदिन खाने से मूत्रघात (पेशाब में वीर्य आना) रोग ठीक होता है।

सर्दी-जुकाम, खांसी:

  • केसर को दूध में घोटकर दिन में 3 बार नियमित रूप से कुछ दिनों तक पीने से सर्दी, जुकाम और खांसी नष्ट होती है।
  • बच्चों को सर्दी-खांसी के रोग में लगभग 24 से 36 मिलीग्राम केसर को गर्म दूध में मिलाकर सुबह-शाम पिलाएं और केसर को पीसकर मस्तक और सीने पर लेप करें। इससे खांसी के रोग में आराम आता है।

अंजनहारी:

  • केसर को घिसकर ठंडे पानी में मिलाकर आंखों में लगाने से `अंजनहारी´ (गुहेरी) दूर होती है।
  • केसर और अफीम को गुलाबजल में घिसकर आंखों पर लेप करने से आंखों का लाल होना ठीक होता है।
  • निमोनिया: बच्चे को सर्दी लगकर निमोनिया की शिकायत हो तो 240 से 480 मिलीग्राम केसर को गर्म दूध में मिलाकर बच्चे को पिलाएं। इसके साथ मस्तक व सीने पर केसर के लेप से मालिश भी करें। इससे निमोनिया में जल्दी लाभ मिलता है।

अफारा (गैस का बनना):

केसर 120 से 240 मिलीग्राम की मात्रा में शहद के साथ पीने से अफारा ठीक होता है। यह दस्त और उल्टी के लिए भी लाभकारी है।

गर्भधारण:

  • केसर और नागकेसर 4-4 ग्राम की मात्रा में मिलाकर चूर्ण बना लें और मासिकधर्म शुरू होने के तुरंत बाद खाएं। इससे गर्भधारण होता है।
  • गजकेसर की जड़, पीपल की दाढ़ी और शिवलिंगी के बीज 6-6 ग्राम की मात्रा में कूट-छान लें और इसमें 18 ग्राम की मात्रा में चीनी मिला लें। यह 5 ग्राम मात्रा में सुबह के समय बछडे़ वाली गाय के 250 मिलीलीटर कच्चे दूध में मिलाकर मासिकधर्म खत्म होने के बाद लगभग एक सप्ताह तक खाएं। इसके सेवन से स्त्रियां गर्भधारण के योग्य बन जाती है।

कब्ज:

आधा ग्राम केसर को घी में पीसकर खाने से 1 साल पुरानी कब्ज़ दूर होती है।

दस्त:

  • असली केसर के 1 से 2 रेशे को देशी घी में मिलाकर सेवन करने से बच्चों को होने वाले पतले दस्त रोग ठीक होता है।
  • असली केसर 2 ग्राम की मात्रा में लेकर चावल के साथ देशी घी में मिलाकर बच्चे को चटाने से दस्तों का बार-बार आना बंद होता है।
  • हींग, अफीम और केसर को मिलाकर शहद के साथ खाने से अतिसार रोग ठीक होता है।
  • केसर 120 से लेकर 240 मिलीग्राम की मात्रा में शहद के साथ खाने से दस्त, पेट का फूलना और पेट का दर्द समाप्त होता है।

बहरापन:

केसर, गुलाबी फिटकरी और एलुवा 3-3 ग्राम की मात्रा में लेकर बारीक पीस लें और तुलसी के 50 मिलीलीटर रस में मिलाकर 3-4 बूंद की मात्रा में कान में डालें। इससे कुछ दिन तक लगातार प्रयोग करने से बहरापन दूर होता है।

कष्टार्तव (मासिक धर्म का कष्ट के साथ आना):

200 मिलीग्राम केसर को दूध में मिलाकर दिन में 2 से 3 बार पीने से मासिकधर्म की पीड़ा दूर होती है।

मासिकधर्म की अनियमितता:

केसर और अकरकरा को पीसकर गोलियां बनाकर खाने से मासिकधर्म नियमित होता है।

रक्तप्रदर:

केसर का चूर्ण 60 से 180 मिलीग्राम की मात्रा में मिश्री मिले शर्बत में मिलाकर पीने से रक्तप्रदर रोग ठीक होता है।

स्तनों में दूध बढ़ाना:

पानी में केसर को घिसकर स्तनों पर लेप करने से स्तनों में दूध की वृद्धि होती है।

शीघ्रपतन:

केशर को दूध में डालकर पीने से शीघ्रपतन रोग दूर होता है।

पेट के कीड़े:

  • केसर और दालचीनी को बराबर-बराबर मात्रा में बारीक पीस लें और फिर इसकी छोटी-छोटी गोलियां बना लें। यह 1-1 गोली प्रतिदिन सुबह-शाम सेवन करने से आंतों के कीड़े समाप्त होते हैं और पेट का दर्द ठीक होता है।
  • कपूर और केसर 60-60 मिलीग्राम की मात्रा में लेकर एक चम्मच दूध में अच्छी तरह मिलाकर दिन में 3 बार पिलाएं। इससे पेट के कीड़े नष्ट होते हैं।
  • 120 मिलीग्राम केसर को पीसकर दूध के साथ कुछ दिनों तक प्रयोग करने से पेट के कीड़े खत्म होते हैं।

पेट का दर्द:

  • 3 ग्राम केसर को 3 ग्राम दालचीनी के साथ पीसकर गर्म पानी के साथ सेवन करने से पेट का दर्द समाप्त होता है।
  • केशर 120 से लेकर 240 मिलीग्राम की मात्रा में सुबह-शाम खाने से और पानी में मिलाकर पेस्ट के रूप में पेट पर लगाने से दर्द, अफारा (गैस) और दस्त में लाभ होता है।
  • केसर और कपूर को 120 मिलीग्राम की मात्रा में गर्म दूध के साथ सेवन करने से दर्द पेट का दर्द ठीक होता है।

हृदय की दुर्बलता:

120 मिलीग्राम केसर को 50 मिलीलीटर पानी में मिलाकर मिट्टी के बर्तन में रात को भिगो दें। सुबह 20-25 किशमिश खाकर इस पानी को पीएं। इसका सेवन 15 दिनों तक करने से हृदय की कमजोरी दूर होती है।

हिस्टीरिया:

केसर, वच और पीपलामूल 10-10 ग्राम की मात्रा में लेकर कूट-पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को 5 ग्राम की मात्रा में पानी के साथ लेने से हिस्टीरिया रोग ठीक होता है।

शीतला (मसूरिका):

  • चेचक निकलने की शुरुआत अवस्था में ही 60 मिलीग्राम केसर को बारीक पीसकर बिना बीज के मुनक्के के साथ रोगी को खिलाने से चेचक जल्दी ही बाहर निकलकर ठीक हो जाता है।
  • 240 से 480 मिलीग्राम केसर को कच्चे नारियल के पानी के साथ सुबह-शाम सेवन कराने से चेचक (माता) के दाने जल्दी बाहर निकलकर ठीक हो जाते हैं।

सूखा रोग:

सुबह सूर्योदय से पहले काली गाय का पेशाब 10 ग्राम और 10 ग्राम केसर को मिलाकर शीशी में भरकर रख लें। सूखा रोग से पीड़ित बच्चे को यह 5 बूंदे सुबह-शाम मां के दूध के साथ देने से सूखा रोग (रिकेट्स) ठीक होता है।

बच्चों के विभिन्न रोग:

  • केसर को पीसकर और शहद में मिलाकर आंखों में लगाने से आंखों की जलन दूर होती है।
  • फलकटेरी के फूलों के रस, केसर और शहद मिलाकर चटाने से बच्चों की खांसी दूर होती है।
  • यदि बच्चे को ठण्ड लग गई हो तो थोड़ी सी केसर को दूध में मिलाकर पिलाएं। सर्दियों में 3 से 4 दिन के बाद केसर को दूध में घोलकर पिलाना बहुत ही फायदेमंद है।
  • बच्चों के पेट में कीड़े होने पर केसर और कपूर चौथाई चम्मच की मात्रा में खिला कर दूध पिलाने से पेट के कीड़े नष्ट होते हैं।
  • केसर, मुलेठी, पीपल और निशोथ का काढ़ा बनाकर चिकनी मिट्टी में भिगोकर सुखा लें। इस तरह चार बार भिगोएं और सुखाएं और फिर यह मिट्टी बच्चे को खिलाएं। इसको खाने से बच्चे के पेट की मिट्टी बाहर निकल जाती है।

सिर का दर्द:

  • 5 ग्राम केसर, 25 ग्राम गाय के घी और 50 ग्राम सेमल की पुरानी रुई को मिलाकर जलाएं और इसके धुएं को सिर दर्द के रोगी को सूंघना चाहिए। इससे सिर दर्द के साथ आधासीसी का रोग भी ठीक होता है।
  • केसर को घी में भूनकर और मिश्री डालकर सूंघने से सिर का दर्द ठीक होता है।
  • हवा या वात के कारण होने वाले सिर दर्द में केसर और सौंठ को मिलाकर सिर या माथे पर लेप करें। इससे सिर का दर्द ठीक होता है।
  • केसर और चन्दन को पीसकर लेप बना लें और इस लेप को सिर पर लगाएं। इससे सिर दर्द दूर होता है।
  • गाय के दूध में केसर और बादाम को पीसकर सूंघने से सिर का दर्द ठीक होता है।

आधे सिर का दर्द (माइग्रेन):

केसर और चीनी को घी में भूनकर सूंघने से आधे सिर का दर्द ठीक होता है।

चेहरे की सुन्दरता:

  • असली केसर की चार-पांच पंखुड़ियां तथा एक छोटी इलायची को 250 मिलीलीटर दूध में उबालकर प्रतिदिन पीने से चेहरे का रंग साफ होता है। सर्दियों में एक से दो महीने तक यह दूध पीना चाहिए।
  • दूध में थोड़ा सा केसर मिलाकर पीने से भी काले रंग वाले लोगों का रंग गोरा हो जाता है।

शरीर की सूजन:

केसर को पानी के साथ पीसकर लेप करने से यकृत बढ़ने के कारण होने वाली सूजन दूर होती है।