परिचय (Introduction)
सुगन्धा वासुरई, एलापर्णी रास्ना, रामसन और रासोन ये रास्ना के नाम हैं।
गुण (Property)
यह पेट रोग (उदर रोग), खांसी, बुखार, सूजन, कफ तथा आम वातनाशक, गर्म, तीखा, पाचक, दस्तावर, विषनाशक, भारी तथा सिध्म कुष्ठ (एक प्रकार का कुष्ठ रोग) को भी खत्म करता है।
विभिन्न रोगों में उपचार (Treatment of various diseases)
वायु का विकार :
50 ग्राम रास्ना, 50 ग्राम देवदारू, 50 ग्राम एरण्ड की जड़ को मोटा-मोटा पीसकर 12 खुराक बना लें। रोजाना रात को 200 मिलीलीटर पानी में एक खुराक को भिगो दें। सुबह इसे उबाल लें, जब पानी थोड़ा-सा बच जाये तब हल्का गुनगुना करके पीने से वायु विकार (गैस के रोग) समाप्त हो जाते हैं।
कब्ज :
रास्ना के पत्तों को पीसकर पीने से कब्ज में राहत मिलती है।
कमरदर्द :
10-10 ग्राम रास्ना, पुनर्नवा, सोंठ, गिलोय और एरण्ड की जड़ की छाल की लेकर 2 कप पानी में उबाल लें। जब आधा कप पानी शेष रह जाये। तो इसे छानकर 1 से 2 चम्मच तक रोजाना सेवन करने से कमर दर्द मिट जाता है।
आंव रक्त (पेचिश) होने पर :
रास्ना की जड़ को पीसकर उसमें शहद के साथ रोजाना 2 से 3 बार लेने से पुराने खून वाले पेचिश के रोगी को लाभ मिलता है।
योनि का दर्द :
3 ग्राम रास्ना, 3 ग्राम गोक्षुर और 3 ग्राम वसा को लेकर अच्छी तरह से पीसकर मिश्रण (कल्क) बनाकर दूध में मिलाकर प्रयोग करने से योनि की पीड़ा से छुटकारा मिलता हैं।
गठिया रोग :
रास्ना, गिलोय, एरंड की जड़, देवदारू, कपूर तथा गोरखमुण्डी को 5-5 ग्राम की मात्रा में लेकर पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को 200 ग्राम गुड़ में मिलाकर बेर के बराबर गोली बना लें। रोजाना 1-1 गोली गर्म पानी के साथ सुबह-शाम खाएं। यह जोड़ों के दर्द ठीक करने में लाभकारी होता है।
कम्पवात (शरीर का कांपना) :
शरीर का कम्पन (कांपना) दूर करने के लिए रसोन 60 से 120 ग्राम तथा सैन्धव 1 से 2 ग्राम के साथ दिन में 2 बार सेवन करने से जल्द आराम मिलता है।