चीकू के गुण और उससे होने वाले आयुर्वेदिक इलाज

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परिचय (Introduction)

चीकू का पेड़ मूल रूप से दक्षिण अफ्रीका के उष्ण कटिबंध का वेस्टंइडीज द्वीप समूह का है। वहां यह `चीकोज पेटी` के नाम से प्रसिद्ध है। परन्तु चीकू वर्तमान समय में सभी देशों में पाया जाता है। चीकू मुख्य रूप से तीन प्रकार के होता है। 1. लम्बा गोल। 2. साधारण लम्बा गोल। 3. गोल। कच्चे चीकू बिना स्वाद के और पके चीकू बहुत मीठे और स्वादिष्ट होते हैं। गोल चीकू की अपेक्षा लम्बे गोल चीकू श्रेष्ठ माने जाते हैं। पके चीकू का नाश्ते और फलाहार में उपयोग होता है। कुछ लोग पके चीकू का हलुवा बनाकर खाते हैं। इसका हलुवा बहुत ही स्वादिष्ट होता है। चीकू खाने से शरीर में विशेष प्रकार की ताजगी और फूर्ती आती है। इसमें शर्करा की मात्रा अधिक होती है। यह खून में घुलकर ताजगी देती है। चीकू खाने से आंतों की शक्ति बढ़ती है और आंतें अधिक मजबूत होती हैं।

गुण (Property)

चीकू के फल शीतल, पित्तनाशक, पौष्टिक, मीठे और रुचिकारक हैं। इसमें शर्करा का अंश ज्यादा होता है। यह पचने में भारी होता है। चीकू ज्वर के रोगियों के लिए पथ्यकारक है। भोजन के बाद यदि चीकू का सेवन किया जाए तो यह निश्चित रूप से लाभ प्रदान करता है।

हानिकारक प्रभाव (Harmful effects)

चीकू के फल में थोड़ी सी मात्रा में “संपोटिन“ नामक तत्व रहता है। चीकू के बीज दस्तावर और मूत्रकारक माने जाते हैं। चीकू के बीज में सापोनीन एवं संपोटिनीन नामक कड़वा पदार्थ होता है।

विभिन्न रोगों में उपचार (Treatment of various diseases)

  1. दस्त : चीकू की छाल का काढ़ा बनाकर पीने से दस्त और बुखार आदि रोग समाप्त हो जाते हैं।

    2. धातुपुष्टि : चीकू को शर्करा के साथ खाने से शरीर में धातु की पुष्टि होती है।

    3. पेशाब की जलन : चीकू के सेवन करने से पेशाब की जलन शान्त हो जाती है।

    4. पित्त प्रकोप : चीकू को रातभर मक्खन में भिगोकर सुबह के समय खाने से पित्त प्रकोप शांत होता है तथा यह बुखार में भी लाभकारी होता है।

    5. खून की कमी : शरीर में खून की कमी को दूर करने के लिए रोजाना 3 से 4 चीकू 8 से 10 दिन तक लगातार खाने से लाभ होता है।