मक्के के गुण और उससे होने वाले आयुर्वेदिक इलाज

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परिचय (Introduction)

मक्के को उगाना अत्यन्त सरल है और इसकी देखभाल भी कम करनी पड़ती है, फिर भी उत्त्पादन अच्छा होता है। मक्के के टिक्कड़ बनते हैं। मक्के के टिक्कड़ और उड़द के आटे की भुजिया का भोजन में प्रयोग आदिवासी वाले लोग करते हैं। मक्के से पकौडे़ तथा पकवान बनते हैं। मक्के के नर्म हरे भुट्टे सेंककर खाने से उसके दाने बड़े स्वादिष्ट लगते हैं और पौष्टिक भी होते हैं। मक्के के सूखे दाने की खील खाने में अच्छी होती है।

गुण (Property)

मक्का अत्यन्त रूक्षा (रूखा), कफ और पित्तनाशक, रुचि को बढ़ाने वाला, दस्तों को रोकने वाला होता है। मक्के के टिक्कड़ मुश्किल से पचने वाले और वायु पैदा करने वाले (बढ़ाने वाले) होते हैं।

हानिकारक प्रभाव (Harmful effects)

यह पचने में भारी है। अत: जिसका शरीर बलवान हो और जिसकी जठराग्नि (पाचन शक्ति) तेज हो, उसी को यह पचता है। कमजोर पाचन-शक्ति वालों के लिए मक्का हानिकारक है। यह शरीर की नसों को शिथिल करता है।

विभिन्न रोगों में उपचार (Treatment of various diseases)

शक्तिवर्धक:

मक्का खाने से शरीर को काफी लाभ मिलता है। इसे मक्का आमाशय को मजबूत बनता है। मक्का खून को बढ़ाने वाला (रक्त-वर्धक) होता है।

मक्का के तेल को निकालने की विधि:

ताजी दूधिया मक्का के दाने पीसकर कांच की शीशी में भरकर खुली हुई शीशी धूप में रखें। इससे दूध सूखकर उड़ जाएगा और तेल शीशी में रह जाएगा। इस तेल को छानकर दूसरी साफ शीशी में भरकर सुरक्षित रख लें और इस तेल से मालिश किया करें। इस तेल की कमजोर बच्चों के पैरों पर मालिश करने से बच्चे के पैरों में शक्ति आती है और बच्चा जल्दी चलने लगता है। 1 चम्मच तेल में शर्बत मिलाकर पीने से बल भी बढ़ता है।

खांसी, कुकर-खांसी और जुकाम:

मक्का के भुट्टे को जलाकर उसकी राख पीस लें, इसमें स्वादानुसार सेंधानमक मिला लें, फिर रोजाना 4 बार चौथाई चम्मच लेकर गर्म पानी से फंकी लें। इसके सेवन से लाभ मिलता है।

पेशाब में जलन होना:

ताजा मक्का के भुट्टे को पानी में उबालकर उस पानी को छानकर मिश्री मिलाकर पीने से पेशाब की जलन और गुर्दों की कमजोरी दूर होती है।

यक्ष्मा (टी.बी.):

टी.बी. के रोग से पीड़ित व्यक्ति को मक्का की रोटी खिलाने से लाभ होता है।

पथरी:

  • मक्का के भुट्टे और जौ को जलाकर राख कर लें। दोनों को अलग-अलग पीसकर अलग-अलग शीशियों में भरकर रख लें। उन शीशियों में से दो चम्मच मक्का की राख और दो चम्मच जौ की राख को एक कप पानी में घोल लें, फिर छानकर इस पानी को पी लें। ऐसा करने से पथरी गल जाती है और पेशाब खुलकर आता है।
  • मक्के को तथा जौ को अलग-अलग जलाकर भस्म (राख) बनाकर पीस लें तथा अलग-अलग बर्तन में रखें। रोजाना सुबह मक्के का 2 चम्मच भस्म (राख) 1 कप पानी में मिलाकर पीयें तथा शाम को जौ का भस्म (राख) 2 चम्मच एक कप पानी में मिलाकर पीने से पथरी ठीक हो जाती है।

उल्टी:

मक्का के भुट्टे में से दाने निकालकर उन्हें जलाकर राख कर लें, फिर इस राख को आधा ग्राम लेकर शहद के साथ चाटें। इससे कै (उल्टी) आना तुंरत ही बन्द होती है।

काली खांसी:

मक्का के बीज निकाले हुए भुट्टे को जलाकर राख कर लें। इसके 1-2 ग्राम राख को शहद के साथ दिन में 2 बार सेवन करने से काली खांसी दूर हो जाती है।

खांसी:

  • मक्का को जलाकर उसकी राख को इकट्ठा कर लें फिर इसमें लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग की मात्रा में पिसा हुआ कोयला और कालानमक मिलाकर रख दें। इसे शहद के साथ सुबह-शाम चाटने से कालीखांसी और कुकुर खांसी भी दूर हो जाती है।
  • मक्का के भुट्टे को जलाकर उसकी राख को पीस लें। इसमें थोड़ा-सा सेंधानमक मिला दें। इसके आधा-आधा चम्मच चूर्ण गर्म पानी के साथ सेवन करने से खांसी में लाभ मिलता है।

जुकाम:

मक्के के भुट्टे को पूरी तरह से जलाकर उसकी राख बना लें, फिर इसमें स्वाद के अनुसार सेंधानमक मिलाकर रोजाना 4 बार फंकी लें। इससे जुकाम ठीक हो जाता है।

मूत्ररोग:

लगभग 30 ग्राम मक्का के सुनहरी बालों को 250 ग्राम पानी में उबालें और जब 60 ग्राम रह जाये तो छानकर ठंडा करके पी लें इससे पेशाब खुलकर आता है।

गुर्दे के रोग:

मक्के के भुट्टे के 20 ग्राम बालों को 200 मिलीलीटर पानी में डालकर उबालें। जब 100 मिलीलीटर पानी ही शेष बचे तब छानकर पीने से गुर्दे के रोग ठीक हो जाते हैं।

प्रदर रोग:

मक्का की छूंछ की राख शहद के साथ सेवन करने से प्रदर रोग में लाभ होता है।

दिल की कमजोरी:

मक्का के दाने निकली हुई भुट्टे की डण्डी को जलाकर इसकी राख को पीसकर रख लें। इसके आधा ग्राम चूर्ण को ताजा मक्खन के साथ खाने से दिल की कमजोरी दूर होती है।