इलायची के गुण और उससे होने वाले आयुर्वेदिक इलाज

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परिचय (Introduction)

इलायची हमारे भारत देश तथा इसके आसपास के गर्म देशों में ज्यादा मात्रा में पायी जाती है। इलायची ठण्डे देशों में नहीं पायी जाती है। इलायची मालाबार, कोचीन, मंगलौर तथा कर्नाटक में बहुत पैदा होती है। इलायची के पेड़ हल्दी के पेड़ के समान होते हैं। मालाबार में इलायची खुद ही पैदा होती है। मालाबार से हर वर्ष बहुत सी इलायची इंग्लैण्ड तथा दूसरे देशों के लिए भेजी जाती है। इलायची स्वादिष्ट होती है। आमतौर पर इसका उपयोग खाने के पदार्थों में किया जाता है। इलायची छोटी और बड़ी दो प्रकार की होती है। छोटी इलायची कड़वी, शीतल, तीखी, लघु, सुगन्धित, पित्तकर, गर्भपातक और रूक्ष होती है तथा वायु (गैस), कफ (बलगम), अर्श (बवासीर), क्षय (टी.बी.), विषदोष, बस्तिरोग (नाभि के नीचे का हिस्सा), कंठ (गले) की बीमारी, मूत्रकृच्छ (पेशाब करने में कष्ट या जलन होना), अश्मरी (पथरी) और जख्म का नाश करती है। इलायची को रात को नहीं खाना चाहिए। रात को इलायची खाने से कोढ़ (कुष्ठ) हो जाता है। बड़ी इलायची तीखी, रूक्ष, रुचिकारी, सुगन्धित, पाचक, शीतल और पाचनशक्तिवर्द्धक होती है। यह कफ, पित्त, रक्त रोग, हृदय रोग, विष दोष, उल्टी, जलन और मुंहदर्द तथा सिर के दर्द को दूर करता है।

गुण (Property)

छोटी इलायची कफ, खांसी, श्वास, बवासीर और मूत्रकृच्छ नाशक है। यह मन को प्रसन्न करती है। घाव को शुद्ध करती है। हृदय और गले की मलीनता को दूर करती है। हृदय को बलवान बनाती है। मानसिक उन्माद, उल्टी और जीमिचलाना को दूर करती है। मुंह की दुर्गन्ध को दूर करके सुगन्धित करती है और पथरी को तोड़ती है। बड़ी इलायची के गुण भी छोटी इलायची के गुण के समान होते हैं। पीलिया, बदहजमी, मूत्रविकार, सीने में जलन, पेट दर्द, उबकाई, हिचकी, दमा, पथरी और जोड़ों के दर्द में इलायची का सेवन लाभकारी होता है।

हानिकारक प्रभाव (Harmful effects)

छोटी इलायची का अधिक मात्रा में उपयोग आन्तों के लिए हानिकारक होता है तथा इलायची को रात को नहीं खाना चाहिए। रात को इलायची खाने से कोढ़ हो जाता है।

विभिन्न रोगों में उपचार (Treatment of various diseases)

स्वप्नदोष:

आंवले के रस में इलायची के दाने और ईसबगोल को बराबर मात्रा में मिलाकर 1-1 चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करने से स्वप्नदोष में लाभ होता है।

आंखों में जलन होने अथवा धुंधला दिखने पर:

इलायची के दाने और शक्कर बराबर मात्रा में लेकर पीस लें। फिर इसके 4 ग्राम चूर्ण में एरंड का चूर्ण डालकर सेवन करें। इससे मस्तिष्क और आंखों को ठण्डक मिलती है तथा आंखों की रोशनी तेज होती है।

रक्त-प्रदर, रक्त-मूल-व्याधि :

इलायची के दाने, केसर, जायफल, वंशलोचन, नागकेसर और शंखजीरे को बराबर मात्रा में लेकर उसका चूर्ण बना लें। इस 2 ग्राम चूर्ण में 2 ग्राम शहद, 6 ग्राम गाय का घी और तीन ग्राम चीनी मिलाकर सेवन करें। इसे रोजाना सुबह और शाम लगभग चौदह दिनों तक सेवन करना चाहिए। रात के समय इसे खाकर आधा किलो गाय के दूध में चीनी डालकर गर्म कर लें और पीकर सो जाएं। इससे रक्त-प्रदर, रक्त-मूल-व्याधि (खूनी बवासीर) और रक्तमेह में आराम होगा। ध्यान रहे कि तब तक गुड़, गिरी आदि गर्म चीजें न खाएं।

कफ:

इलायची के दाने, सेंधानमक, घी और शहद को मिलाकर पीने से लाभ मिलता है।

वीर्यपुष्टि:

इलायची के दाने, जावित्री, बादाम, गाय का मक्खन और मिश्री को मिलाकर रोजाना सुबह सेवन करने से वीर्य मजबूत होता है।

मूत्रकृच्छ (पेशाब करने में कष्ट या जलन):

इलायची के दानों का चूर्ण शहद में मिलाकर खाने से मूत्रकृच्छ (पेशाब में जलन) में लाभ मिलता है।

उदावर्त (मलबंध) रोग पर:

थोड़ी सी इलायची लेकर घी के दिये पर सेंकने के बाद उसको पीसकर बने चूर्ण में शहद को मिलाकर चाटने से उदावर्त रोग में लाभ मिलता है।

मुंह के रोग पर:

इलायची के दानों के चूर्ण और सिंकी हुई फिटकरी के चूर्ण को मिलाकर मुंह में रखकर लार को गिरा देते हैं। इसके बाद साफ पानी से मुंह को धो लेते हैं। रोजाना दिन में 4-5 बार करने से मुंह के रोग में आराम मिलता है।

सभी प्रकार के दर्द:

इलायची के दाने, हींग, इन्द्रजव और सेंधानमक का काढ़ा बना करके एरंड के तेल में मिलाकर देना चाहिए। इससे कमर, हृदय, पेट, नाभि, पीठ, कोख (बेली), मस्तक, कान और आंखों में उठता हुआ दर्द तुरन्त ही मिट जाता है |

सभी प्रकार के बुखार:

इलायची के दाने, बेल और विषखपरा को दूध और पानी में मिलाकर तक तक उबालें जब तक कि केवल दूध शेष न रह जाए। ठण्डा होने पर इसे छानकर पीने से सभी प्रकार के बुखार दूर हो जाते हैं।

कफ-मूत्रकृच्छ:

गाय का पेशाब, शहद या केले के पत्ते का रस, इन तीनों में से किसी भी एक चीज में इलायची का चूर्ण मिलाकर पिलाने से लाभ होता है।

उल्टी:

  • इलायची के छिलकों को जलाकर, उसकी राख को शहद में मिलाकर चाटने से उल्टी में लाभ मिलता है।
  • चौथाई चम्मच इलायची के चूर्ण को अनार के शर्बत में मिलाकर पीने से उल्टी तुरन्त रुक जाती है।
  • 4 चुटकी इलायची के चूर्ण को आधे कप अनार के रस में मिलाकर पीने से उल्टी होना बंद हो जाती है।

हैजा:

  • 5-10 बूंद इलायची का रस उल्टी, हैजा, अतिसार (दस्त) की दशा में लाभकारी है।
  • 10 ग्राम इलायची को एक किलो पानी में डालकर पकायें, जब 250 मिलीलीटर पानी रह जाए तो उसे उतारकर ठण्डाकर लेते हैं। इस पानी को घूंट-2 करके थोड़ी-2 से देर में पीने से हैजे के दुष्प्रभाव, प्यास तथा मूत्रावरोध आदि रोग दूर हो जाते हैं।

जमालघोटा का विष:

इलायची के दानों को दही में पीसकर देने से लाभ मिलता है।