परिचय (Introduction)
रस चाहे फलों का हो या सब्जियों का दोनों ही लाभदायक हैं। रस पीने से शारीरिक व मानसिक कमजोरी दूर होती है और शरीर स्वस्थ रहता है। बीमारी की स्थिति में रस पीने से रोग जल्दी ठीक हो जाते हैं। कच्ची साग-सब्जी एवं फलों के रस के सभी पी सकते हैं। कमजोर रोगियों को भाप से पकाई हुई सब्जियों का रस देना लाभकारी होता है। रसों में जीवन पोषक तत्व होते हैं जो आसानी से खून में मिल जाते हैं। इससे पाचन अंगों पर भार नहीं पड़ता है। रस के समर्थकों का कहना है कि रस से ही हमारा शरीर साफ होता है, पानी की मात्रा ज्यादा होने के कारण ये पचने में हल्के होते हैं और हमारी किडनी के लिये भी लाभकारी होते हैं। कुछ लोग रसाहार के खिलाफ हैं उनका कहना है कि रस में इसके पोषक तत्त्व कम हो जाते हैं और पेट में तुरन्त जाने से पेट फूलता है। रस में ऑक्सीकरण भी होने से इसके पोषक तत्त्व कम हो जाते हैं या नष्ट हो जाते हैं। कुछ लोगों का विश्वास है कि फलों का रस अधिक लेने से फलाहार पर रहने से पेट में हाइड्रोक्लोरिक एसिड (तेजाब) बनता है जो आमाशयिक घाव के रोगी के लिए हानिकारक है। यह कथन सही नहीं है।
गुण (Property)
आंतों एवं व्रण (जख्म) के रोगी फलों का रस पी सकते हैं। भोजन में प्रोटीनयुक्त पदार्थ अधिक होने पर हाइड्रोक्लोरिक एसिड झरता है। आंतों और व्रण के रोगियों को दाले तथा अंडे खाना छोड़ देना चाहिए। रसों में खनिज तत्त्व पर्याप्त मात्रा में मिलते हैं। ताजा सब्जियों के रसों में खनिज तत्त्व अधिक मिलते हैं। रसाहार से किया गया व्रत (उपवास) अधिक लाभदायक है। व्रत काल में शरीर में जमा कचरा जलता है और बाहर निकलने का प्रयास करता है। रसों द्वारा इस सफाई की क्रिया को तेज किया जा सकता है। शरीर से यूरिक एसिड बाहर निकल जाता है। रसों की शर्करा हृदय को सुदृढ़ (मजबूत) करती है।
विभिन्न रोगों में उपचार (Treatment of various diseases)
मोटापा दूर करना :
मोटापा कम करने के लिए 6 से 8 महीने तक फलों का रस आहार के रूप में लेना लाभदायक होता है। इसके सेवन से किसी भी प्रकार के दुष्परिणामों का सामना नहीं करना पड़ता है। फलों का रस शरीर की कैलोरी को कम करता है, जिससे स्वाभाविक रूप से वसा कम हो जाती है। शरीर का वजन और मोटापा कम करने के लिए 7 दिन में कम से कम 1 बार रस पर उपवास करना चाहिए। रसोपवास से मोटापा घटता है। गाजर, ककड़ी पत्तागोभी, टमाटर, तरबूज, सेब व प्याज का रस फायदेमंद होता है।
मासिक-धर्म की तकलीफ :
पपीते, अनन्नास, गाजर और अंगूर के रस के साथ-साथ हरी सब्जियों के मिक्स जूस से भी मासिक-धर्म की परेशानियों में राहत मिलती है। इस रोग में मूली के मुलायम पत्तों का रस भी बहुत लाभकारी है।
पेट में कीड़े :
प्याज व लहसुन का रस गर्म पानी में मिलाकर पीने से पेट के कीड़े समाप्त हो जाते हैं।
कब्ज :
कब्ज (गैस) होने पर सेब, अमरूद, संतरे, पालक व गाजर का जूस लाभकारी होता है या अंजीर, बेल, आंवले का रस अथवा ईसबगोल भी फायदेमंद रहता है।
अपच :
सुबह खाली पेट गुनगुने पानी में नींबू व खाने से पहले अदरक का रस पीने से अपच (भोजन का न पचना) के रोग में लाभ होता है।
नींद न आने पर :
अमरूद, आलू, पालक, गाजर व सेब का रस मिलाकर पीने से नींद न आने का रोग दूर हो जाता है और अच्छी नींद आने लगती है।
पथरी :
ककड़ी, नारियल, गाजर का पानी व हरी पत्तेदार सब्जियों का रस पीने से पथरी गलकर निकल जाती है।
गठिया व जोड़ों का दर्द :
खीरा, लहसुन, केला, टमाटर का रस पीने से गठिया (घुटनों का दर्द) में आराम आता है।
दमा :
अंजीर, बेल, अंगूर, आंवला, लहसुन, संतरा या पुदीना, अदरक, नारियल, पालक, सहजना व शहद मिलाकर पीने से दमा रोग में काफी लाभ मिलता है।
मधुमेह :
जामुन, टमाटर, अंगूर, आंवला व सलाद के पत्तों का रस पीने से मधुमेह (डायबटीज) कम हो जाता है।
अम्लता :
अंगूर, नारियल, आलू के रस में शहद मिलाकर पीने से अम्लता (एसिडिटीज) के रोग में आराम मिलता है।
उच्च रक्तचाप :
नीबू, लहसुन व सेब का रस पीने से उच्च रक्तचाप का रोग ठीक हो जाता है।
रस कैसे पियें :
सर्दियों में सभी फल और सब्जियों का रस लाभकारी है। गर्मी में साग-सब्जी कम मिलती है। जो कुछ साग-सब्जी मिलती है। उनका रस पियें। मूंग भिगोकर, उबालकर, छानकर उसका पानी पीकर रस की कमी को पूरा कर सकते हैं। इस तरह रसों से रोगों से मुक्ति एवं उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति की जा सकती है।
खून को साफ करना :
खून में अम्लता बढ़ने से व्यक्ति बीमार रहने लगता है। फल, सब्जियां क्षार को बढ़ाते हैं। चर्बीयुक्त चीजें चीनी, तेल, अम्लता बढ़ती है। भोजन में फल-सब्जियां अधिक खानी चाहिए। इससे आयु (उम्र) बढ़ती है। बुढ़ापा दूर भागता है। फलों के रस से खून साफ होता है। फलों का रस पीने से बालों की लम्बाई भी बढ़ती है।
लकवा :
लकवा होने पर अंगूर, नाशपाती और सेब के रसों को बराबर मात्रा में मिलाकर पीना चाहिए। इससे लकवा ठीक हो जाता है। यह रस कुछ महीनों तक रोगी को लगातार पिलाना चाहिए।
स्त्री रोग :
अगर स्त्रियां रोज गाजर और चुकन्दर का रस मिलाकर पीयें तो स्त्री रोगों में लाभ होता है। चुकन्दर जिगर को ठीक करता है। शुरुआत में चुकन्दर का रस अनुकूल न पड़े तो केवल 75 मिलीलीटर रस से शुरुआत करें। गाजर का रस अधिक और चुकन्दर का रस कम लेना ठीक रहता है। चुकन्दर से पेट भी साफ होता है। स्त्रियों की मासिक-धर्म की शिकायतें भी इसके सेवन से दूर हो जाती हैं। लगभग 80 मिलीलीटर चुकन्दर का रस स्त्रियों पी सकती हैं। यह रस दिन में 2 बार लें। चुकन्दर में लौहा अधिक नहीं है, जो यह उच्च कोटि का है।
फोड़े-फुंसी :
300 मिलीलीटर गाजर का रस और 112 मिलीलीटर पालक के रस को मिलाकर पीने से फोड़े-फुंसी, कैंसर, श्वासनलीशोथ, मोतियाबिन्द, जुकाम लगना, कब्ज (पेट में गैस), आंखों के रोग, गलगण्ड, बवासीर, हार्निया, फ्लू, गुर्दे के रोग, पीलिया, हृदयशूल (दिल में दर्द) और वात रोग ठीक हो जाते हैं।
सांस की दुर्गंध :
250 मिलीलीटर गाजर का रस, 125 मिलीलीटर पालक का रस, 125 मिलीलीटर ककड़ी का रस मिलाकर पीने से श्वास (सांस) में बदबू आनी बंद हो जाती है।