भांग के गुण और उससे होने वाले आयुर्वेदिक इलाज

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परिचय (Introduction)

भांग के स्वयंजात पौधे, भारतवर्ष में सभी जगह पाये जाते हैं। विशेषकर भांग उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल एवं बिहार में प्रचुरता से पाया जाता है। भांग के नर पौधे के पत्तों को सुखाकर भांग तथा मादा पौधों की रालीय पुष्प मंजरियों को सुखाकर गांजा तैयार किया जाता है तथा भांग की शाखाओं और पत्तों पर जमे राल सदृश्य पदार्थ को चरस कहते हैं।
बाहरी स्वरूप :
भांग के वर्षायु, गंधयुक्त, रोमश क्षुप 3-8 फुट ऊंचे होते हैं। इसके पत्ते एकान्तर क्रम में व्यवस्थित होते हैं। भांग के ऊपर की पत्तियां 1-3 खंडों तथा निचली पत्तियां 3-8 खंडों से युक्त होती हैं। निचली पत्तियों में इसके पत्रवृन्त लम्बे होते हैं।

गुण (Property)

भांग बलगम को दूर करती है। यह कड़वी, ग्राही, हल्की, तीखी, गर्म और पित्त को पैदा करने वाली है। भांग के सेवन से मोह और नशा पैदा होता है, यह बेहोशी लाती है, पाचनशक्ति को बढ़ाती है। भांग गले की आवाज को साफ करती है। भांग कुष्ठ (कोढ़) को नष्ट करती है। यह मेधा (बुद्धि) को उत्पन्न करती है तथा बल और वीर्य को बढ़ाती है। भांग अग्निकारक, कफनाशक और रसायन उत्पन्न करने वाली है। यह भोजन में रुचि को पैदा करती है, मल को रोकती है तथा अन्न को पचाती है। इसके सेवन से नींद अधिक आती है, कामशक्ति (सेक्सुवल पावर) को बढ़ाती है, तथा वात और कफ को नष्ट करती है।

गांजा : गांजा पाचक होता है। यह प्यास को पैदा करता है, बल को बढ़ाता है, सेक्स की इच्छा उत्पन्न करता है, मन का उत्तेजित करता है, नींद अधिक लाता है। इसके अधिक उपयोग से गर्भ गिर जाता है। यह आपेक्ष (लकवा) को दूर करने वाला तथा मदकारक (नशे वाला) होता है।

हानिकारक प्रभाव (Harmful effects)

भांग का अधिक मात्रा में सेवन करने से शरीर में नशा चढ़ता है। जिसकी वजह से शरीर मे कमजोरी आती है, यह पुरुष को नपुंसक, चरित्रहीन और विचारहीन बनाता है। अत: इसका उपयोग सेक्स उत्तेजना या नशे के लिए नहीं करना चाहिए।

विभिन्न रोगों में उपचार (Treatment of various diseases)

अनिद्रा :

भांग का ज्यादा सेवन करने से नींद बहुत अच्छी आती है। जिस हालत में अफीम के सेवन से नींद नहीं होती है, उस परिस्थिति में भांग का सेवन अधिक अच्छा होता है, क्योंकि इसके प्रयोग से कोष्ठबद्धता (कब्ज) और मस्तक की पीड़ा नहीं होती है।

मस्तक पीड़ा :

  • भांग के पत्तों को बारीक पीसकर सूंघने से मस्तक की पीड़ा दूर हो जाती है।
  • भांग के पत्तों का रस गर्म करके कान में 2-3 बूंद की मात्रा में डालने से सर्दी और गर्मी की मस्तक की पीड़ा मिट जाती है।

हिस्टीरिया :

250 मिलीग्राम भांग को हींग के साथ देने से स्त्रियों के हिस्टीरिया रोग में बहुत लाभ मिलता है।

सिर के कीडे़ :

भांग के पत्तों का रस माथे पर लेप करने से मस्तक की मुस्सी (रूसी) मिट जाती है और कीडे़ मर जाते हैं।

पेट में दर्द :

भांग और मिर्च के चूर्ण को बराबर मात्रा में मिलाकर गुड़ के साथ आधा ग्राम बनाकर रोगी को देने से पेट दर्द मिट जाता है।

मूत्रकृच्छ :

भांग और खीरा या ककड़ी की मगज को पानी में पीसकर और छानकर ठंडई की तरह रोगी को पिलाने से मूत्रकृच्छ (पेशाब में जलन) मिट जाती है।

मासिक-धर्म का कष्ट से आना :

मासिक-धर्म के आने से पहले पेट को दस्त लाने वाली कुछ चीज खाकर साफ कर लेना चाहिए। फिर गांजा को दिन में 3 बार लेते रहने पर दर्द कम हो जाता है और मासिक-धर्म नियमानुसार होने लगता है।

बवासीर :

फूली हुई और दर्दनाक बवासीर पर 10 ग्राम हरी या सूखी भांग और 30 ग्राम अलसी की पोटली बनाकर बांधने से बवासीर का दर्द और खुजली मिट जाती है।

मूत्रेन्द्रिय :

गांजे को अरंडी के तेल में पीसकर मूत्रेन्द्रिय पर लेप करने से ताकत बढ़ती है और इन्द्री का टेढ़ापन दूर हो जाता है।

विसूचिका (हैजा) :

हैजा होने की शुरुआत में 250 मिलीग्राम गांजा या भांग, छोटी इलायची, कालीमिर्च तथा कपूर आधा-आधा घंटे या 1-1 घंटे पर उबालकर ठंडे पानी के साथ देते रहने से हैजे की बीमारी ठीक हो जाती है।

गठिया (जोड़ों का दर्द) :

भांग के बीजों के तेल की मालिश करने से गठिया का रोग दूर हो जाता है।

मलेरिया ज्वर :

1 ग्राम शुद्ध भांग के चूर्ण में 2 ग्राम गुड़ को मिलाकर 4 गोलियां बना लेते हैं। सर्दी का बुखार दूर करने के लिए 1-2 गोली 2-2 घंटे के अंतर से दें या शुद्ध भांग की 1 ग्राम गोली बुखार में एक घंटा पहले देने से बुखार का वेग कम हो जाता है।

घाव :

भांग के पत्तों के चूर्ण को घाव और जख्म पर बुरकाने से घाव जल्द ही भर जाते हैं।

चोट की पीड़ा :

भांग का एक पूरा पेड़ पीसकर नए घाव में लगाने से घाव ठीक होता है। चोट के दर्द को दूर करने के लिए इसका लेप बहुत ही लाभकारी होता है।

कांच निकलना (गुदाभ्रंश) :

भांग के पत्तों का रस निकालकर गुदाभ्रंश पर लगायें। इससे गुदाभ्रंश (कांच निकलना) बंद होता है।

कान के कीड़े :

भांग के रस को कान में डालने से कान के कीड़े खत्म हो जाते हैं।

दस्त :

3 ग्राम भांग को 2 ग्राम देशी घी में भूनकर शहद के साथ रात को खाने से पहले पीने से दस्त का आना बंद हो जाता है।

बवासीर (अर्श) :

भांग की पत्तियों को पीसकर टिकिया बना लें। टिकियों को गुदाद्वार पर रखकर लंगोट बांधने से बवासीर ठीक हो जाती है।

सिर का दर्द :

लगभग 240 मिलीग्राम भांग खाने से कफ के कारण होने वाला सिर का दर्द ठीक हो जाता है।

नींद न आना :

पैर के तलुवों पर भांग का तेल मलने से भी नींद आ जाती है।