शहद के गुण और उससे होने वाले आयुर्वेदिक इलाज

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परिचय (Introduction)

शहद प्रकृति का अनमोल वरदान है। मधुमक्खियां फूलों की मिठास तथा मधुरिमा को अपनी मेहनत द्वारा छत्ते में एकत्रित करती जाती है और वही शहद कहलाता है। शहद हर तरह की बिगड़ी (खराब) वायु को ठीक करता है, गुर्दे की पथरी तोड़ता है, पुराने बलगम को खत्म करता है, जिगर को मजबूत करता है, शरीर को साफ करता है, महिलाओं का रुका हुआ मासिक-धर्म जारी करता है और दूध को बढ़ाता है। शहद हल्का होता है, पेट मे शहद जाते ही तुरंत पचकर खून में मिल जाता है और शरीर में ताकत का संचय (जोड़) देता है। शहद को जिस चीज के साथ लिया जाये उसी तरह के असर शहद में दिखाई देते है। जैसे गर्म चीज के साथ लें तो- गर्म प्रभाव और ठंडी चीज के साथ लेने से ठंडा असर दिखाई देता है। शहद से शक्कर निकाला जाता है। शहद में शक्कर के दाने देखकर उसकी विशुद्धता पर संदेह नहीं करना चाहिए। शहद पर देश, काल स्थान का असर पड़ता हैं। इनके रूप, रंग, स्वाद में अंतर होता है। शहद में पोटैशियम होता है, जो रोग के कीटाणुओं का नाश करता है। कीटाणुओं से होने वाले रोग- जैसे आंतरिक बुखार (टायफायड) ब्रान्कोनिमानियां आदि अनेक रोगों के कीटाणु शहद से खत्म हो जाते हैं। यदि किसी मनुष्य की त्वचा पीली है, तो इसका कारण होता है खून में आयरन की कमी होना। शहद में लौह तत्त्व अधिक होता है। सुबह-शाम भोजनोपरान्त (भोजन के बाद) नींबू के रस में शहद मिलाकर अथवा दूध में शहद मिलाकर सेवन करना लाभकारी होता है। शहद में 50 प्रतिशत ग्लूकोज, फ्रक्टोज 37 प्रतिशत, सुक्रोज 20 प्रतिशत, माल्टोज बीस प्रतिशत और इतना ही डेक्सट्रिन्स, गोंद, मोंम क्लोरोफील और सुगन्ध के अंश होते हैं। विटामिन `ए´ `बी6´ `बी12´ और थोड़ी मात्रा में विटामिन `सी´ भी होता है। शहद खाने में मधुर (मीठा) लगता है। इसमें शरीर के लिए आवश्यक खनिज पदार्थ- मैगनीज, लोहा, तांबा, सिलिका, पोटाशियम, कैल्शियम, फॉस्फोरस, आयोडीन, गन्धक, कैरोटिन और एण्टीसैप्टिक तत्व आदि पाये जाते हैं।

गुण (Property)

शहद गाढ़ा, चिपचिपा, हल्के भूरे रंग का, अर्द्ध पारदर्शक, सुगन्धित, मीठा तरल पदार्थ है। यह मधुमक्खियों द्वारा प्राकृतिक रूप से तैयार किया जाता है। इसमें पानी तथा शक्कर होता है किन्तु यह चीनी बाजार में मिलने वाली कृत्रिम शक्कर जैसी नहीं बल्कि फल एवं फूलों की शर्करा होती है जो मधुमक्खियों द्वारा बड़े परिश्रम से एकत्रित किया जाता है।

हानिकारक प्रभाव (Harmful effects)

ज्यादा मात्रा में शहद का सेवन करने से ज्यादा हानि होती है। इससे पेट में आमातिसार रोग पैदा हो जाता है और ज्यादा कष्ट देता है। इसका इलाज ज्यादा कठिन है। फिर भी यदि शहद के सेवन से कोई कठिनाई हो तो 1 ग्राम धनिया का चूर्ण सेवन करके ऊपर से बीस ग्राम अनार का सिरका पी लेना चाहिए।

विभिन्न रोगों में उपचार (Treatment of various diseases)

बिस्तर में पेशाब करना :
कुछ बच्चे रात में सोते समय बिस्तर में ही मूत्र (पेशाब) कर देते हैं। यह एक बीमारी होती है। सोने से पहले रात में शहद का सेवन कराते रहने से बच्चों का निद्रावस्था में मूत्र (पेशाब) निकल जाने का रोग दूर हो जाता है।

पेट दर्द :
एक चम्मच शुद्ध शहद शीतल पानी में मिलाकर पीने से पेट के दर्द को आराम मिलता है।
एक चुटकी सौंठ को थोड़े से शहद में मिलाकर चाटने से काफी लाभ होता है। दो तुलसी की पत्तियां पीस लें। फिर इस चटनी को आधे चम्मच शहद के साथ सेवन करें।
रात्री को सोते समय एक गिलास गुनगुने पानी में एक चम्मच शहद मिलाकर पी लें। इसके इस्तेमाल से सुबह पेट साफ हो जाता है।

दस्त :
शहद में सौंफ, धनिया तथा जीरा का चूर्ण बनाकर मिला लें और दिन में कई बार चाटें। इससे दस्त में लाभ मिलता है।
अनार दाना चूर्ण शहद के साथ चाटने से दस्त बंद हो जाते हैं।

पेट में कीड़े :
अजवायन का चूर्ण एक चुटकी को एक चम्मच शहद के साथ लेना चाहिए। दिन में तीन बार यह चूर्ण लेने से पेट के कीड़े मर जाते हैं।

भूख न लगना :
सौंठ, कालीमिर्च, पीपल, सेंधानमक इन सब चीजों को मिलाकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण में से आधी चुटकी लेकर एक चम्मच शहद के साथ सुबह, दोपहर और शाम को इसका इस्तेमाल करें।
एक दो कालीमिर्च तथा दो लौंग को पीसकर शहद के साथ चाटना चाहिए।

कब्ज :
सौंफ, धनियां तथा अजवायन इन तीनों को बराबर मात्रा में लेकर पीस लें। फिर इस चूर्ण में से आधा चम्मच चूर्ण को शहद के साथ सुबह, दोपहर और शाम को इसका सेवन करना चाहिए। इससे कब्ज दूर होती है।

बवासीर :
रात्रि को सोते समय एक चम्मच त्रिफला-चूर्ण या एरण्ड का तेल एक गिलास दूध के साथ लेना चाहिए। इससे कब्ज दूर हो जाती है।

पीलिया :
त्रिफला का चूर्ण शहद के साथ सेवन करें। इससे पीलिया का रोग नष्ट हो जाता है।
गिलोय का रस 12 ग्राम शहद के साथ दिन में दो बार लें।
नीम के पत्तों का रस आधा चम्मच शहद के साथ सुबह-शाम सेवन करना चाहिए।
कलमी शोरा तथा जवाखार मिलाकर पानी के साथ दिन में तीन बार सेवन करने से पेशाब साफ आने लगता है।

सिर का दर्द :
सिर पर शुद्ध शहद का लेप करना चाहिए। कुछ ही समय में सिर का दर्द खत्म हो जायेगा।
आधा चम्मच शहद और एक चम्मच देशी घी मिलाकर सिर पर लगाना चाहिए। घी तथा शहद के सूखने के बाद दोबारा लेप करना चाहिए।
यदि पित्त के कारण सिर में दर्द हो तो दोनों कनपटियों पर शहद लगायें। साथ ही थोड़ा शहद भी चाटना चाहिए।
सर्दी, गर्मी या पाचन क्रिया की खराबी के कारण सिर में दर्द हो तो नींबू के रस में शहद को मिलाकर माथे पर लेप करना चाहिए।
कागज के टुकड़ों पर शहद और चूना को मिलाकर माथे के जिस भाग में दर्द हो उस भाग पर रख देने से सिर का दर्द दूर हो जाता है।
भोजन के साथ शहद लेने से सिर का दर्द दूर हो जाता है।

आंख में जलन :
शहद के साथ निबौंली (नीम का फल) का गूदा मिलाकर आंखों में काजल की तरह लगना चाहिए।
शुद्ध शहद को सलाई या अंगुली की सहायता से काजल की तरह आंख में लगायें।

आंखों के रोग :
एक ग्राम गुरुच का रस तथा आधा चम्मच शहद को मिला लें। फिर इसे आंखों में नियम से रोज सलाई से लगायें। आंखों की खुजली, दर्द, मोतियाबिंद तथा अन्य सभी रोगों के लिए यह उपयोगी अंजन (काजल) है।
चार ग्राम गिलोय का रस लेकर उसमें दो ग्राम शहद मिलाकर लोशन बना लें। इसे आंखों में लगायें। आंखों के सभी रोगों में इससे लाभ होगा।
रोज सुबह ताजे पानी से आंखों को छप्पा (पानी की छींटे) मारकर धोना चाहिए। इसके बाद दो बूंदे नीम का रस तथा चार बूंदे शहद मिलाकर आंखों में लगाना चाहिए।
कड़वे तेल से बना हुआ काजल शुद्ध शहद के साथ मिलाकर आंखों में लगाना चाहिए।

मुंह के छाले :
तवे पर सुहागे को फुलाकर शहद के साथ छालों पर लगाना चाहिए। इससे मुंह के छाले ठीक हो जाते हैं।
छोटी इलायची को पीसकर बारीक चूर्ण बना लें। फिर शहद में मिलाकर छालों पर लगायें।
फिटकरी को पानी में घोल लें और एक चम्मच शहद के साथ मिलाकर कुल्ला करें। यह कुल्ला भोजन करने से पहले सुबह, दोपहर तथा शाम को करना चाहिए।
पेट में गर्मी ज्यादा हो तो त्रिफला का चूर्ण शहद के साथ लेना चाहिए। केवल आंवले का चूर्ण शहद के साथ लेने से भी पेट की गर्मी शांत होती है और मुंह के छाले ठीक होने लगते हैं।

आवाज का बैठ जाना :
फूली हुई फिटकरी पीसकर शहद के साथ मिलाकर सेवन करें। इसमें पानी मिलाकर कुल्ला किया जा सकता है।
मुलहठी का चूर्ण शहद के साथ चाटना चाहिए।
कुलंजन मुंह में रखकर चूसने से भी आवाज खुल जाती है।
3 से 9 ग्राम बहेड़ा के चूर्ण को शहद के साथ सुबह और शाम सेवन करने से स्वरभंग (गला बैठना) और गले के दूसरे रोग भी ठीक हो जाते हैं।
1 कप गर्म पानी में 1 चम्मच शहद डालकर गरारे करने से आवाज खुल जाती है।

थूक के साथ बलगम आना :
छाती पर शहद की मालिश करके गुनगुने पानी से धो लें। इससे थूक के साथ बलगम का आना बंद हो जाता है।
रात्रि को सोने से पहले अजवायन का तेल छाती पर मलें।
पिसी हुई हल्दी, अजवायन और सौंठ को मिलाकर एक चुटकी लेकर शहद में मिलाकर सेवन करें।

पायरिया :
मसूढ़ों तथा दांतों पर शुद्ध शहद की मालिश करके गुनगुने पानी से कुल्ला करना चाहिए।
नींबू का रस, नीम का तेल तथा शहद मिलाकर मसूढ़ों की मालिश करके कुल्ला कर लें।
लहसुन, करेला, अदरक का रस निकालकर शहद में मिलाकर मसूढ़ों पर रोज लगाना चाहिए। तीन-चार दिन तक लगातार मालिश करने से पायरिया तथा मसूढ़ों के अन्य रोग खत्म हो जाते हैं।

काली खांसी :
सबसे पहले रोगी की कब्ज को दूर करना चाहिए। इसके लिए एरण्ड का तेल पिलाया जा सकता है। इसके बाद चिकित्सा आरम्भ शुरू करनी चाहिए। चिकित्सा के लिए शहद में लौंग के तेल की एक बूंद तथा अदरक के रस की दस बूंदे मिलाकर सुबह, दोपहर और शाम को देनी चाहिए।

पसलियों में दर्द :
सांभर सींग को पानी में घिसकर शहद के साथ मिलाकर पसलियों पर लेप करना चाहिए।

शीघ्रपतन :
स्त्री-संग सम्भोग से एक घण्टा पहले पुरुष की नाभि में शहद में भिगोया हुआ रूई का फोहा रखने से पुरुष का जल्दी स्खलन नही होता अर्थात पुरुष का लिंग शिथिल नहीं होता है।

उल्टी :
गुड़ को शहद में मिलाकर सेवन करने से उल्टी बंद हो जाती है।
उल्टी होने पर शहद को चाटने से उल्टी होना बंद हो जाती है।
शहद में लौंग का चूर्ण मिलाकर चाटने से गर्भावस्था में उल्टी आने से छुटकारा मिलता है।

आंख आना :
1 ग्राम पिसे हुए नमक को शहद में मिलाकर आंखों में सुबह और शाम लगाऐं। सोनामक्खी को पीसकर और शहद में मिलाकर आंखों में सुबह और सांय लगाए।
चन्द्रोदय वर्ति (बत्ती) को पीसकर शहद के साथ आंखों में लगाने से आंखों के रोग दूर होते हैं।

मलेरिया का बुखार :
शुद्ध शहद 20 ग्राम, सैंधानमक आधा ग्राम, हल्दी आधा ग्राम को पीसकर 80 ग्राम की मात्रा में गर्म पानी में डालकर रात को पीने से मलेरिया का बुखार और जुकाम ठीक हो जाता है।

गर्भनिरोध :
चूहे की मींगनी शहद में मिलाकर योनि में रखने से गर्भ नहीं ठहरता है।
शहद 250 ग्राम को हाथी की लीद (गोबर) का रस 250 मिलीलीटर की मात्रा में शहद के साथ ऋतु (माहवारी) होने के बाद स्त्रियों को सेवन कराने से गर्भधारण नहीं होता है।