घी के गुण और उससे होने वाले आयुर्वेदिक इलाज

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परिचय (Introduction)

आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्वति में कई प्रकार की औषधियों को बनाने के लिए घी का उपयोग किया जाता है। घी मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य बहुत अधिक लाभकारी होता है।

गुण (Property)

घी तबियत को नर्म करता है। शरीर को स्वस्थ बनाता है। घी आवाज को साफ करता है। कलेजे की खरखराहट दूर करता है। घी गले की खुश्की को मिटाता है। सूखी खांसी को ठीक करने में यह लाभकारी होता है। यह मन को प्रसन्न करता है। दिमाग को बलवान बनाता है। यह वीर्य की वृद्धि करने वाला होता है। घी को बालकों के मसूढ़े पर मलने से उनके दांत आसानी से निकल आते हैं। यह विष (जहर) के दुष्प्रभाव को खत्म करने वाला होता है।

हानिकारक प्रभाव (Harmful effects)

घी का अधिक मात्रा में उपयोग करने से पाचन शक्ति कमजोर हो सकती है तथा भूख भी खत्म हो सकती है।

विभिन्न रोगों में उपचार (Treatment of various diseases)

अल्सर:

हल्दी और मुलेठी का बारीक चूर्ण मिलाकर फिर इसे पानी में उबाल लें और ठण्डा करके रोग ग्रस्त स्थान पर लगाने से अल्सर ठीक होता है।

भूख न लगना:

हींग और जीरे को घी में भूनकर भोजन करने के साथ सेवन करने से भूख ना लगने में लाभ मिलता है।

अतिझुधा भस्मक (अधिक भूख का लगना):

घी में शहद मिलाकर मिश्रण बना लें, इस मिश्रण के सेवन से अतिझुधा भस्मक रोग ठीक हो जाता है। नोट- घी और शहद समान मात्रा में न हो।

स्मरण शक्ति बढ़ाना:

  • सिर पर शुद्ध गाय के घी की मालिश करने से स्मरण शक्ति बढ़ती है तथा सिर के रोग भी दूर हो जाते हैं।
  • बच्चों के लिए रोजाना घी का प्रयोग करने से बच्चों कि स्मरण शक्ति में वृद्धि होती है।

कब्ज:

  • रात को सोते समय 1 कप गर्म दूध में 5 मिलीमीटर घी मिलाकर, मिश्री के साथ सेवन कब्ज दूर होती है।
  • घी के साथ काकजंघा को मिलाकर पीने से कब्ज में लाभ मिलता है।
  • घी में काली मिर्च मिलाकर इसे गर्म दूध के साथ पीने से आंतों में रूका मल नर्म व ढ़ीला होके मल द्वारा बाहर हो जाता है जिसके फलस्वरूप कब्ज की समस्या भी खत्म हो जाती है।

चेहरे के काले दाग:

रात को सोते समय घी को चेहरे पर मलने से चेहरे के काले दाग-धब्बे मिट जाते हैं।

चेहरे के काले दाग:

घी में थोड़ा सा नमक मिलाकर होंठो व नाभि पर लगाने से होंठ फटना बंद हो जाता है।

नेत्रज्योति (आंखों की रोशनी बढ़ाना):

  • आंखों की रोशनी बढ़ाने के लिये गाय का ताजा घी और मिश्री मिलाकर सेवन करें इससे आंखों की रोशनी में वृद्धि होती है।
  • गाय के ताजा घी में देशी खाण्ड और कालीमिर्च मिला दें और इसमें से 1-2 चम्मच रोजाना सुबह खाली पेट सेवन करने से आंखों की रोशनी तेज होती है।

सिर का दर्द:

  • सुबह नाक के नथुनों में गाय के घी को 3-4 बूंद की मात्रा में डालने से सिर दर्द खत्म हो जाता है।
  • घी और दूध को अधिक मात्रा में लेने से पित्तजन्य (गर्मी) के कारण होने वाला सिर दर्द ठीक हो जाता है।
  • सिर पर घी को मलने और सूंघने से सिर का दर्द मिट जाता है।
  • पैरों के तलवों पर रात को सोते समय घी की मालिश करने से बिना कारण होने वाला सिर का दर्द ठीक हो जाता है।
  • नियमित रूप से भोजन के साथ ही शुद्ध देशी घी का सेवन करने से सिर के सभी रोग दूर हो जाते हैं।
  • 15 या 20 मिनट तक भैंस या गाय के शुद्ध घी से सिर या पैरों के तलवों पर मालिश करने से सिर का दर्द दूर हो जाता है।
  • गाय का घी अथवा वैसलीन में कपूर और पिसा हुआ सेंधा नमक को मिलाकर माथे या सिर पर लगाने से सिर का दर्द ठीक हो जाता है। सुबह शुद्ध देसी घी में बनी गर्म-गर्म जलेबियों को खाने के बाद गर्म-गर्म दूध पीने से सिर का दर्द दूर हो जाता है।
  • तेज सिर दर्द होने पर रात को सोते समय पैर की तलवों के नीचे देशी घी से मालिश करें इससे सिर का दर्द ठीक हो जाता है।

छाले:

रात को सोते समय छालों पर घी लगाने से लाभ मिलता है।

आधासीसी (माइग्रेन):

  • 2 चम्मच गाय के घी में आधा ग्राम शोराकलमी पीस लें फिर इसे सुघांने से आधे सिर का दर्द दूर हो जाता है।
  • गाय के घी में काली मिर्च को पीसकर मिला लें फिर सिर के दांयी ओर दर्द होने पर इसे बांयी लगाए तथा इसे सूंघे और बांयी ओर दर्द होने पर दांयी ओर लगाए और इसे सूंघे इससे आधे सिर का दर्द दूर हो जाता है।
  • लगभग एक ग्राम सफेद मिर्च को पीसकर चूर्ण बना लें। अब इस चूर्ण को गाय के घी में घोंटकर रख लें। इसमें से 2 से 3 बूंद प्रतिदिन 3-4 बार सूंघें और सांस को ऊपर की ओर खींचें। इस तरह से आधासीसी का दर्द निश्चित रूप से खत्म हो जाता है।
  • सूरज के उगने के साथ सिर दर्द घटता बढ़ता है तो ऐसी अवस्था में घी सूंघने लाभ मिलता है। सिर दर्द गर्मी का हो तो घी को ठण्डा करके और यदि बादी का हो तो गर्म घी से सिर पर मालिश करें इससे लाभ मिलेगा।

हिचकी:

  • शुद्ध घी को हल्का गर्म करके पीने से हिचकी नहीं आती है।
  • 1 चम्मच घी में चुटकी भर सेंधा नमक डालकर सूंघने से हिचकी नहीं आती है।
  • गाय का घी गुनगुना करके पीने से खुश्की के कारण आने वाली हिचकी बंद हो जाती है।

मोटापा बढ़ाना:

घी और चीनी मिलाकर कुछ दिनों तक लगातार खाने से शरीर मोटा हो जाता है।

नकसीर (नाक से खून आने पर):

  • नकसीर से पीड़ित रोगी की गर्दन को पीछे झुकाकर लिटा दें और उसके दोनों नाक के नथुने मे 5-5 बूंद देशी घी डालकर उसे सांस अन्दर की ओर खींचने के लिए कहें। इस तरह से घी को सूंघने से नकसीर का रोग ठीक हो जाता है। यह क्रिया 7 दिनों तक करनी चाहिए।
  • ताजे घी से हर हफ्ते सिर की मालिश करें इससे नाक से खून का बहना बंद हो जाता है।
  • घी, गूगल और मोम को आग में डालकर उसका धुंआ नाक में लेने से छींके आना और नाक में से गाढ़ा और खारा बलगम तथा खून बहना बंद हो जाता है।

आग से जलना:

आग से जल जाने पर जले हुए भाग पर घी लगाने से लाभ मिलता है।

बिवाइयां (एंड़ियों का फटना):

देशी घी और नमक मिलाकर बिवाइयों पर लगायें। इससे त्वचा कोमल रहती है। सर्दियों में हाथ पैर भी नहीं फटते हैं।

बिवाइयां (एंड़ियों का फटना):

पित्ती या छपाकी निकलने पर देशी घी और सेंधा नमक को मिलाकर मालिश करें। फिर कम्बल ओढ़कर पसीना निकलने दें इससे पित्ती मिट जाती है।

शराब का नशा:

शराब का नशा होने पर 2 चम्मच घी और इतनी ही चीनी मिलाकर पीने से नशा उतर जाता है।

नाक में खुश्की होना:

नाक में खुश्की तथा नथुनों पर पपड़ी जमने पर घी सूंघे और रूमाल पानी में भिगोकर सिर पर रखने से लाभ मिलता है।

सूखी खांसी:

15 से 20 ग्राम गाय या भैंस का शुद्ध घी और लगभग 20 कालीमिर्च एक कटोरी में डालकर आग पर गर्म करें। जब कालीमिर्च कड़कने लगे और ऊपर आ जाए तब इसे उतारकर ठण्डा करके इसमें 20 ग्राम पिसी हुई मिश्री या चीनी को मिला दें। इसके बाद इसे हल्का गर्म ही सेवन करें। इसके सेवन करने के 1 घंटे बाद तक कुछ भी खाना-पीना नहीं चाहिए। इसको सुबह-शाम 2-3 दिनों तक सेवन करने से सूखी खांसी आना बंद हो जाती है।

काली खांसी:

घी में भुनी हुई हींग 240 मिलीग्राम से लगभग 1 ग्राम पानी में घोलकर 2 बार सेवन करने से काली खांसी (कुकुर खांसी) ठीक हो जाती हैं।