ककड़ी के गुण और उससे होने वाले आयुर्वेदिक इलाज

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परिचय (Introduction)

ककड़ी, खीरा की ही एक प्रजाति है जो हरे रंग की और खीरे की अपेक्षा अधिक लम्बी व पतली होती है। ककड़ी को छिलके समेत कच्ची ही खाई जाती है। ककड़ी की बेल (लता) होती है जो खेतों में लगाई जाती है। इसकी खेती लगभग हर मौसम में की जाती है परन्तु गर्मी के मौसम में पैदा होने वाली ककड़ी सबसे अच्छी होती है। ककड़ी आसानी से हजम होती है और पाचनशक्ति को बढ़ाती है।

गुण (Property)

ककड़ी भूख को बढ़ाती है और मन को शांत करती है। इसके सेवन से दस्त रोग में लाभ मिलता है। यह गर्मी को शांत करती और बेहोशी को दूर करती है। पकी ककड़ी का उपयोग करने से गर्मी शांत होती है एवं पाचनशक्ति बढ़ती (अग्निवर्द्धक) है। यह पित्त से उत्पन्न दोषों को दूर करती है। इसका सेवन अधिक मात्रा में करने से वातज्वर और कफ पैदा हो सकता है।

हानिकारक प्रभाव (Harmful effects)

ककड़ी अधिक मात्रा में सेवन करने से गैस पैदा हो सकती है।

विभिन्न रोगों में उपचार (Treatment of various diseases)

  1. ककड़ी खाने या जूस पीने से शराब का नशा उतरता है।
  2. ककड़ी खाने या इसका जूस पीने से पायरिया ठीक होता है।
  3. ककड़ी से त्वचा चिकनी  होती है।
  4. ककड़ी का रस चेहरे पर लगायें, दाग धब्बे साफ होंगे।
  5. चेहरे पर मुंहासे होने से रोकता है।
  6. कक़ड़ी केशवर्धक है। ककड़ी में सिलिकन और सल्फर अधिक मात्रा में होता है जो बाल को बढ़ाता है। ककड़ी के रस से बालों को धोयें, इसमें गाजर, पालक का रस मिलाकर पियें बाल बढ़ेंगे। अगर ये सब उपलब्ध ना हों तो इनमें जो मिले वहीं पियें, ये नाखून को स्वस्थ बनाता है।