परिचय (Introduction)
सफेद पेठे को उगाने के लिए साफ-सुथरी जमीन सही रहती है। सफेद पेठे छोटे और बड़े तथा गोल, लम्बे-गोल आदि प्रकार अनेकों किस्म के होते हैं। साग-सब्जियों में लाल कुम्हड़े का उपयोग होता है। लाल सफेद में शर्करा की मात्रा अधिक होती है। सफेद या भूरे सफेद का उपयोग हलुआ पाक और पेठा बनाने में होता है तथा औषधियां बनाने में भी सफेद या भूरे पेठे का ही प्रयोग होता है।
गुण (Property)
भूखे पेट पेठा खाने से शरीर में लचीलापन और स्फूर्ति रहती है। असाध्य रोग- दिल का रोग, बवासीर, दमा, अल्सर में रोजाना 3 बार पेठे का रस पीना लाभदायक है। पेठे की सब्जी भोजन पचाने की शक्ति को बढ़ाती है, पेठे का रस, खून, मांस, चर्बी तथा वीर्य को बढ़ाता है। दिल की बीमारियों में यह लाभदायक है, मस्तिष्क को ताकत देता है, याददाश्त की कमी में सहायक होता है। पेठा पित्तशामक होने के कारण पेट की जलन, छाती की जलन, प्यास, अम्लपित्त (एसिडिटिज) और उल्टी की बीमारी में लाभकारी होता है, पेठा और उसके बीज़ों का रस पौरुषग्रंथि के लिये उपयोगी है। पेठा का रस पेशाब की मात्रा बढ़ाने वाला है। पेठा का सेवन करने से पेशाब खुलकर आता हैं। पेठा उन्माद (पागलपन), दाह (जलन), पुराने बुखार और रक्त-पित्त को शांत करता है। पेठा खांसी और दमे के रोग के लिए भी उपयोगी है। यह शरीर की सूजन, पथरी और मधुमेह (डायबिटीज) में भी यह पर आरामदायक होता है। सफेद पेठा अधिक मात्रा में लेने से दस्त साफ आते हैं और नींद अच्छी आती है।
हानिकारक प्रभाव (Harmful effects)
सफेद पेठा खाने में भारी है। इसलिए इसका अधिक मात्रा में उपयोग शरीर के लिए हानिकारक होता है।
विभिन्न रोगों में उपचार (Treatment of various diseases)
अम्लपित्त (एसिडिटीज):
- पेठे का रोज सेवन करने से अम्लपित्त के रोगी के शरीर के अंदर का अम्ल बाहर निकल जाता है। पेठा आमाशय की नली और भोजन की नली की जलन को दूर करता है। सुबह-शाम भोजन के बाद में 2 पेठे (पेठे की मिठाई) रोजाना खाने से पित्त कुपित नहीं होता है।
- कुम्हड़े (सफेद पेठा) के रस में शर्करा डालकर पीने से अम्लपित्त (एसिडिटीज) का रोग मिट जाता है।
- अम्लपित्त रोगी जब भी खाना खाये, खाना खाने के बाद 2 डली पेठा खाने से अम्लपित्त ठीक हो जाता है।
बवासीर:
पेठा खाने से बवासीर और कब्ज का रोग ठीक हो जाता है।
मूत्रकृच्छ (पेशाब करने में कष्ट या जलन):
1 कप पेठे का रस और 1 चम्मच पिसी हुई हल्दी को मिलाकर पीने से मूत्रकृच्छ (पेशाब करने मे जलन) में लाभ होता है। पेठे के रस की मात्रा धीरे-धीरे बढ़ाने से ये पेशाब खुलकर आता है।
पथरी:
- मूत्राशय, वृक्क (गुर्दे) और पित्त की थैली की पथरी को पेठा बाहर निकालता है। पेठे के 1 गिलास रस में थोड़ा-सा जवाखार और हींग मिलाकर 2 बार पीने से पथरी निकल जाती है। पेठे का सेवन करने से पथरी का दर्द ठीक हो जाता है।
- कुम्हड़े (सफेद पेठा) के रस में हींग और जवाखार मिलाकर रोगी को पिलाने से पथरी दूर होती है।
- सफेद पेठा में विटामिन `बी´ और `सी´ मिलता है जो पथरी रोग में उपयोगी होता है।
- पेठे का रस निकालकर उसमें जवाखार तथा गुड़ मिलाकर प्रतिदिन सुबह-शाम पीयें। इससे पेशाब की रुकावट, शर्करा तथा पथरी रोग ठीक होता है।
सूजन और जलन:
सफेद पेठा गर्मी से बचाकर जलन (प्रदाह) और सूजन को ठीक करता है। पेठे का रस पीने से पेशाब की जलन दूर होती है।
पीलिया:
सफेद पेठा यकृत (जिगर) की गर्मी को निकालता है। इसका सेवन करने से पीलिया के रोग में लाभ होता है। पेठे को चबाकर खाने से या उसका रस भी पीना लाभकारी होता है।
दमा या श्वास का रोग:
- लगभग 3 ग्राम पेठे के चूर्ण को गर्म पानी के साथ लेने से पुराने से पुराना खांसी रोग खत्म हो जाता है।
- पेठे की जड़ का चूर्ण गरम पानी के साथ मिलाकर लेने से खांसी और दमा ठीक हो जाता है।
- पेठे को खाने से दमा के रोगी का इन्हेलर का सेवन छूट जाता है और उसे आराम मिलता है।
टी.बी. (क्षय रोग) :
- पेठे का रस पीने से क्षय (टी.बी.) रोग से पीड़ित रोगियों के फेफड़ों की जलन में आराम होता है।
- पेठे के रस में शहद मिलाकर दिन में 3-4 बार लेना चाहिए। बाजार में बिकने वाली पेठे की मिठाई भी टी.बी. के रोग के लिए लाभदायक होती है।
नकसीर (नाक से खून का आना):
- 50 ग्राम पेठे को रात को एक मिट्टी के सिकोरे में पानी भरकर भिगो दें। सुबह पेठा खाकर यह पानी भी पी जाने से नकसीर (नाक से खून बहना) चलना बंद हो जाती है।
- पेठे के रस में इच्छानुसार नींबू या आंवले का रस मिलाकर पीने से नकसीर के रोग में लाभ होता है तथा फेफड़ों का खून का बहना भी ठीक हो जाता है। रोजाना पेठे की मिठाई खाने से नकसीर (नाक से खून बहना) का रोग ठीक हो जाता है।
- रात को सोते समय पेठे की मिठाई के 2 टुकड़ों को 1 गिलास पानी में डालकर रख दें। सुबह उठते ही पेठे को खाकर और उसके पानी को भी पीने से ही दिनों में नकसीर (नाक से खून बहना) रुक जाती है।
पेट के कीड़े:
- कुम्हड़े के बीज के बीच के भाग को दूध में पीसकर व छानकर और उसमें थोड़ा-सा शहद मिलाकर पिलाने से या सफेद पेठे के बीज के बीच के भाग के 12 ग्राम तेल को 2-2 घंटे के अंतराल से 3 बार दूध के साथ पिलाने और उस पर एरण्ड तेल का विरेचन (द्रव्य के रूप में) देने से पेट के भीतर रुके हुए कृमि (कीड़े) निकल जाते हैं।
- पेठे की सब्जी और मिठाइयों का सेवन करने से भी पेट के कीड़े मर जाते हैं।
गर्भपात (गर्भ का न ठहरना) :
गर्भवती औरतों को पेठा खिलाने से या उसका रस पिलाने से गर्भपात के होने से बचने में सहायता मिलती है, तथा बच्चे की सेहत भी अच्छी होती है।
साइटिका:
सफेद पेठे का रस का सेवन करने से साइटिका और आधेसिर के दर्द में लाभ मिलता है।
स्नायु (नर्वस सिस्टम) और मिर्गी:
रोगी को अचानक मिर्गी आने पर या स्नायु (नर्वस सिस्टम) हो जाने पर पेठा खाना लाभ करता है।
मधुमेह (डाइबिटिज़):
पेठे का सेवन अग्नाशय को ठीक करके मधुमेह (डायबिटीज) के रोग में लाभ करता है।
उच्च रक्तचाप (हाई ब्लडप्रेशर):
उच्च रक्तचाप के रोग में पेठे के सेवन से लाभ होता है। पेठा रक्तचाप और गर्मी से बचाता है।
हृदय (दिल) के रोग:
हृदय (दिल) के रोगी को बाईपास सर्जरी कराने से पहले 1 बार पेठा जरूर खाना चाहिए। पेठा एंजाइना का दर्द तुरंत दूर करता है, रुकी हुई धमनियों को खोलता है। हृदय (दिल) के रोगों में पेठे का रस रोजाना 3 बार पीने से लाभ होता है।
श्वेत प्रदर:
औरतों के प्रदर रोग, अधिक मासिक-धर्म का स्राव (बहना), खून की कमी आदि रोगों में पेठे का साग घी में भूनकर खाने या उसके रस में चीनी को मिलाकर सुबह-शाम आधा-आधा गिलास पीने से आराम मिलता है।
मासिक-धर्म में अधिक खून का आना:
- भूरे कुम्हड़े के साग को घी में बनाकर खाने से या उसका रस निकालकर उसमें शक्कर मिलाकर सुबह-शाम आधा-आधा कप पीने से औरतों के मासिक-धर्म के समय खून जाना, शरीर में जलन और खून की कमी के रोगों में मदद मिलती है।
- मासिक-धर्म आने से 15 दिन पहले से ही 1 गिलास पेठे का रस रोजाना पीने से मासिक-धर्म के समय आने वाला खून कम हो जाता है। खाना खाने के बाद 2 डली पेठा खाना लाभकारी होता है। सावधानी : मासिकस्राव के दिनों में पेठे का सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिए। मासिकस्राव काल में पेठे का सेवन करना हानिकारक है।
वीर्यवर्धक (धातु को बढ़ाने वाला):
पेठे की मिठाई और सब्जी खाने से वीर्य बढ़ जाता है। पेठा औरतों के श्वेतप्रदर को बंद करता है और मोटापे को कम करता है।
ताकत को बढ़ाने वाला:
भोजन करने के बाद पेठे की मिठाई खाने से शरीर पुष्ट और सुडौल (मजबूत और ताकतवर) बनता है। पित्त विकार में 2-2 पेठे के टुकड़े रोजाना खाने से लाभ होता है।
उन्माद (पागलपन):
- पागलपन के रोग में जब रोगी की आंखें लाल और नाड़ी की गति तेज हो जाये तो रोगी को पेठे का 1 गिलास रस पिलाने से रोगी शांत हो जाता है।
- लगभग 0.576 ग्राम पेठे के बीजों का चूर्ण और लगभग 0.144 ग्राम कूठ के चूर्ण को 4 ग्राम शहद के साथ मिलाकर चटाने से पागलपन या उन्माद का रोग खत्म हो जाता है।
- पेठा, शंखाहूली और ब्राह्मी को गाय के कच्चे दूध के साथ मिलाकर पिलाने से उन्माद या पागलपन दूर हो जाता है।
- लगभग 28 मिलीलीटर से 112 मिलीलीटर पेठा (भूरा कुम्हड़ा) का रस पिलाने से उन्माद दूर हो जाता है।
बिच्छू के काटने पर:
शरीर में जिस स्थान पर बिच्छू ने काटा हो वहां पर कुम्हड़ें (सफेद पेठा) को पानी में घिसकर लगाने से बिच्छू के काटे हुए का जहर उतर जाता है।