सेब के गुण और उससे होने वाले आयुर्वेदिक इलाज

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परिचय (Introduction)

सेब एक फल है जिसकी गणना उत्तम कोटि के फलों में की जाती है। इसका मूल देश यूरोप और एशिया के ठंडे पहाड़ी प्रदेश है। सेब के गुणों की प्रशंसा में अनेक लोकोक्तियां प्रसिद्ध है जैसे सोते समय रोजाना एक सेब खाते रहे तो डाक्टर छाती पीट कर रह जायें। सेब के पेड़ की ऊंचाई ज्यादा बड़ी नही होती है। सेब की अनेक किस्में होती है। इनमें गोल्डन डिलीशन, प्रिन्स आल्बर्ट, चार्ल्स रोस, न्यूटन वन्डर, बेमले सीडलिग, लेकस्टन सुपर्व, ब्लेनहीम आरेन्ज, आरेन्ज पिपिन, रेड सोल्जर और अमेरिकन मदुर ये दस किस्में खास और प्रसिद्ध है। सेब का अचार, मुरब्बा, चटनी और शर्बत भी बनाया जाता है।

गुण (Property)

सेब में फास्फोरस होता है। अर्थात जलन करने वाला पदार्थ होता है। जिसे खाने से पेट साफ होता है और आमाशय की पुष्टि होती है।
2 सेब के छोटे-छोटे टुकड़े काटकर उस पर आधा लीटर उबलता हुआ पानी डालकर रख दें। जब वह पानी ठंडा हो जायें तो उसे छानकर पी लें। अगर उसमें मिठास की आवश्यकता हो तो उसमें मिश्री मिला लें। यह सेब का पौष्टिक और स्वादिष्ट शर्बत है। यह शर्बत जल्दी ही खून में मिलकर हृदय (दिल), मस्तिष्क (दिमाग), यकृत (जिगर) और शरीर के प्रत्येक कोष में शक्ति एवं स्फूर्ति पहुंचाती है।
दांत गलते हो, दांतो में छेद हो, मसूढ़े फूलते हों तो ऐसी दशा में भोजन के बाद रोज सेब खाने से फायदा होता है। इसके प्रयोग से दांत और मसूढ़े ठीक हो जाते हैं।

हानिकारक प्रभाव (Harmful effects)

सेब के सेवन की मात्रा 1 बार में 1 से 3 सेब तक है। गला बैठने की दशा में तथा गायक कलाकारों को सेब का सेवन नही करना चाहियें।

विभिन्न रोगों में उपचार (Treatment of various diseases)

जुकाम :
कमजोर दिमाग के कारण भी सर्दी-जुकाम बना रहता है। ऐसे रोगियों को जुकाम की दवाओं के सेवन से लाभ नही होता इसलियें ऐसे रोगियों का जुकाम ठीक करने के लिये भोजन से पहले छिलके सहित सेब खाने से दिमाग की कमजोरी दूर होकर जुकाम ठीक हो जाता है।

खांसी :
पके हुए सेब का रस 1 गिलास निकालकर मिश्री मिलाकर सुबह के समय पीते रहने से पुरानी खांसी में लाभ होता है।

सूखी खांसी :
रोजाना पके हुए मीठे सेब खाने से सूखी खांसी में लाभ होता है। मानसिक रोग, कफ (बलगम), खांसी, टी.बी रोग में सेब का रस व मुरब्बा खाने से फायदा होता है।

आंत्रज्वर (टायफायड) :
सेब का मुरब्बा 15-20 दिन लगातार खाते रहने से दिल की कमजोरी और दिल का बैठना ठीक हो जाता है।

हाई बल्डप्रैशर :
हाई बल्डप्रैशर होने पर 2 सेब रोज खाने से लाभ होता है।

याददाश्तवर्धक :
जिन लोगों के मस्तिष्क (दिमाग) और स्नायु दुर्बल हो गए हों, याददाश्त की कमी हो, उन लोगों को सेब के सेवन करने से याददाश्त बढ़ जाती है, इस हेतु 1 या 2 सेब बिना छीले खूब चबा-चबाकर भोजन से 15 मिनट पहले खायें।

पथरी :
गुर्दे और मूत्राशय में पथरियां बनती रहती हो या आपरेशन कराके पथरी निकाल देने के बाद भी पथरी रह जाती हो तो ऐसे में सेब का रस पीते रहने से पथरी बनना बंद हो जाती है तथा बनी हुई पथरी घिस-घिस कर पेशाब के रास्ते बाहर निकल जाती है। यह गुर्दो को शुद्ध करता है, गुर्दे का दर्द दूर होता है। यदि कुछ दिन रोगी केवल सेब खाकर ही रहें तो पथरी निकल जाती है। ज्यादा भूख लगे तो और दूसरी साग-सब्जी या फल खायें।

पेशाब ज्यादा आने पर :
सेब खाने से रात को बार-बार पेशाब जाना कम हो जाता है।

नींद न आने पर :
सेब का मुरब्बा खाने से नींद आने लगती है। सेब खाकर सोना भी नींद लाने में सहायक है।

शराब पीने की आदत पर :
सेब का रस बार-बार सेवन करने से अथवा अच्छी तरह पका हुआ 1-1 सेब रोजाना 3 बार खाते रहने से शराब पीने की आदत छूट जाती है। नशे के समय सेब खाने से शराब का नशा उतर जाता है। सेब का रस भी पीया जा सकता है। भोजन के साथ सेब खाने से भी शराब की आदत छूट जाती है।

भूख न लगने पर :
1 गिलास सेब के रस में स्वाद के अनुसार मिश्री मिलाकर रोजाना कुछ दिनों तक पीते रहने से भूख अच्छी तरह लगने लग जाती है। खट्टे सेब के रस में आटा गूंदकर रोटी बनाकर रोजाना खाना भी फायदेमंद है।

मलेरिया ज्वर :
मलेरिया के ज्वर (बुखार) में सेब खाने से बुखार जल्दी ठीक होता है।

बच्चों के पेट के रोगों में :
बच्चों को रोजाना सेब खिलाने से बच्चों के पेट के सभी रोग ठीक हो जाते हैं।

बच्चों के दस्त पर :
जब बच्चों को दूध नही पचता हो, दूध पिलाते ही उल्टी और दस्त आते हों तो ऐसी दशा में उनका दूध बंद करके थोड़े-थोड़े समय बाद सेब का रस पिलाने से उल्टी और दस्तों में आराम आ जाता है। पुराने दस्तों में भी सेब का रस लाभकारी है। मरोड़ लगकर होने वाली बड़ों के दस्तों में भी यह फायदेमंद है। सेब खून के दस्तों को भी बंद करता है। दस्तों में सेब बिना छिलके वाली होनी चाहियें। दस्तों में सेब का मुरब्बा भी फायदेमंद है। सेब के छिलके उतारकर छोटे-छोटे टुकड़े करके दूध में उबालें। इस दूध का आधा कप हर घण्टे के बीच रोगी को पिलाने से दस्त बंद हो जाते है।

पेट के कीड़ों पर :
2 सेब रात को सोते समय कुछ दिन यानी कम से कम 7 दिन तक खाने से कीड़े मरकर गुदामार्ग से मल के साथ बाहर आ जाते हैं। सेब खाने के बाद रात भर पानी न पीएं।

कब्ज :
खाली पेट सेब खाने से कब्ज (पेट की गैस) दूर होती है। खाना खाने के बाद सेब खाने से कब्ज होती है। सेब का छिलका दस्तावर होता है। कब्ज वाले रोगियों को सेब छिलके सहित ही खाना चाहियें।
सेब, अंगूर या पपीता खाने से कब्ज (पेट की गैस) में राहत मिलती है। सेब छिलके सहित सुबह खाली पेट खाने से कब्ज (पेट की गैस) ठीक हो जाती है।

बुखार :
सेब के पेड़ की 4 ग्राम छाल और 200 ग्राम पत्ते उबलते हुए पानी में डालकर 10-15 मिनट तक ढंक कर रखें। उसके बाद उसे छान लें। उसमें 1 टुकड़ा नीबू का रस और 10 ग्राम या 20 ग्राम चीनी मिलाकर खाने से बुखार की घबराहट, प्यास, थकान और जलन दूर होती है यह यकृत के विकार (जिगर के होने वाले रोग) से आने वाले बुखार में भी लाभदाक है। इस प्रयोग से बुखार उतरता है और मन खुश रहता है।

खांसी :
पके हुई सेब का रस निकालकर उसमें मिश्री मिलाकर रोजाना सुबह पीने से खांसी बंद हो जाती है।

मसूढ़ों का रोग :
मसूढ़े फूलते हों तो खाना खाने के बाद रोजाना 1 सेब खायें। इससे दांत व मसूढ़ों के रोग ठीक हो जाते है।

कमजोरी :
सेब का रोजाना सेवन करने से हृदय (दिल), मस्तिष्क (दिमाग) और आमाशय को समान रूप से शक्ति मिलती है। इससे कमजोरी भी मिट जाती है।
सुबह 2-3 सेब खाकर ऊपर से गर्म मीठा दूध पीने से कमजोरी दूर हो जाती है।