पुदीना के गुण और उससे होने वाले आयुर्वेदिक इलाज

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परिचय (Introduction)

पोदीने की मूल उत्त्पत्ति का स्थान भूमध्य सागरीय प्रदेश है, परंतु आजकल संसार के अधिकतर देशों में पोदीने का उत्पादन हो रहा है। पोदीने की एक प्रकार की पहाड़ी की किस्म भी होती है। भारत के लगभग सभी प्रदेशों में पोदीना उगाया जाता है। पोदीने में अधिक तेज खुशबू होती है। पोदीने की चटनी अच्छी बनती है। पोदीने का उपयोग कढ़ी में और काढ़ा बनाने में किया जाता है। दाल-साग आदि में भी इसका प्रयोग किया जाता है। यदि हरा व ताजा पोदीना उपलब्ध न हो तो उसके पत्तों को सुखाकर उपयोग में लाया जा सकता है। पोदीने में से रस निकाला जाता है। पोदीने की जड़ को जमीन में बोकर पोदीने की उत्त्पति की जाती है। पोदीना किसी भी मौसम में उगाया जा सकता है। घरों के बाहर लॉन में, बड़े गमलों में पोदीने को उगा सकते हैं। पोदीने के पत्तों से भीनी-भीनी सुगंध आती है।

गुण (Property)

पोदीना भारी, मधुर, रुचिकारी, मलमूत्ररोधक, कफ, खांसी, नशा को दूर करने वाला तथा भूख को बढ़ाने वाला है। यह हैजा, संग्रहणी (अधिक दस्त का आना), अतिसार (दस्त), कृमि (कीड़े) तथा पुराने बुखार को दूर करने वाला होता है। यह मन को प्रसन्न करता है, हृदय और गुर्दे के दोषों को दूर करता है, हिचकियों को रोकता है, बादी को समाप्त करता है, पेशाब और पसीना लाता है, बच्चा होने में सहायता करता है, इसके सूंघने से बेहोशी दूर हो जाती है। पोदीना अजीर्ण (अपच), मुंह की बदबू, गैस की तकलीफ, हिचकी, बुखार, पेट में दर्द, उल्टी, दस्त, जुकाम, खांसी आदि रोगों में लाभदायक होता है। पोदीना का प्रयोग अर्क (रस) सूप, पेय के रूप में किया जाता है। यह चेहरे के सौंदर्य को बढ़ाने वाला, त्वचा की गर्मी दूर करने वाला, रोगों के कीटाणुओं को नष्ट करने वाला और दिल को ठंडक पहुंचाने वाला है। यह जहरीले कीड़ों के काटने पर और प्रसूति ज्वर में भी लाभकारी होता है।

हानिकारक प्रभाव (Harmful effects)

पोदीना धातु के लिए हानिकारक होता है। पित्तकारक प्रकृति होने के कारण पित्त प्रवृति के लोगों को पोदीने का सेवन कम मात्रा में कभी-कभी ही करना चाहिए। नियमित रूप से अधिक मात्रा में इसका सेवन करना लाभदायक होता है।

विभिन्न रोगों में उपचार (Treatment of various diseases)

आंतों के कीड़े:

पोदीने का रस रोगी को पिलाने से आंतों के कीड़े समाप्त हो जाते हैं।

बिच्छू के काटने पर:

बिच्छू के काटने पर पोदीने का लेप करने और पानी में पीसकर रोगी को पिलाने से लाभ होता है।

पेट में दर्द व अरुचि (भूख का लगना):

3 ग्राम पोदीने के रस में हींग, जीरा, कालीमिर्च और थोड़ा सा नमक डालकर गर्म करके पीने से पेट के दर्द और अरुचि (भोजन की इच्छा न होना) रोग ठीक हो जाते हैं।

त्वचा के रोग:

खाज-खुजली आदि त्वचा के रोगों में हल्दी और पोदीने का रस बराबर की मात्रा में मिलाकर लगाने से लाभ होता है।

सर्दी और खांसी:

पोदीने की पत्तियों और कालीमिर्च को मिलाकर गर्म-गर्म चाय रोगी को पिलाने से सर्दी-खांसी, जुकाम, दमा और बुखार में आराम मिलता है।

पेट में कीड़े (कृमि):

आधा कप पोदीने का रस दिन में 2 बार नियमित रूप से कुछ दिनों तक पिलाते रहने से पेट के कीड़े समाप्त हो जाते हैं।

बदहजमी (भोजन का न पचना), भूख की कमी:

4-6 मुनक्का के साथ 8-10 पोदीने की पत्तियां सुबह-शाम खाने के बाद नियमित रूप से चबाते रहने से आराम मिलेगा।

खांसी:

चौथाई कप पोदीना का रस इतने ही पानी में मिलाकर रोजाना 3 बार पीने से खांसी, जुकाम, कफ-दमा व मंदाग्नि में लाभ होता है।

त्वचा की गर्मी:

हरा पोदीना पीसकर चेहरे पर बीस मिनट तक लगाने से त्वचा की गर्मी दूर हो जाती है।

जुकाम:

  • पोदीना, कालीमिर्च के पांच दाने और नमक इच्छानुसार डालकर चाय की भांति उबालकर रोजाना तीन बार पीने से जुकाम, खांसी और मामूली ज्वर में लाभ मिलता है।
  • पोदीने के रस की बूंदों को नाक में डालने से पीनस (जुकाम) के रोग में लाभ होता है।
  • पोदीने की चाय बनाकर उसके अंदर थोड़ा-सा नमक डालकर पीने से खांसी और जुकाम में लाभ मिलता है।
  • पोदीने के रस की 1-2 बूंदे नाक में डालने से पीनस (जुकाम) रोग नष्ट हो जाता है।

रक्त (खून) का जमना:

चोट लग जाने से रक्त जमा हो जाने (गुठली-सी बन जाने पर) पुदीना का अर्क (रस) पीने से गुठली पिघल जाती है।

पित्ती:

पोदीना 10 या 20 ग्राम को 200 मिलीलीटर पानी में उबालकर छानकर पिलाने से बार-बार उछलने वाली पित्ती ठीक हो जाती है।

बिच्छू के डंक:

पोदीने का रस पीने से या उसके पत्ते खाने से बिच्छू के डंक मारने से होने वाला कष्ट दूर होता है।

सिर का दर्द:

  • सिर पर हरे पोदीने का रस निकालकर लगाने से सिर दर्द दूर हो जाता है।
  • पोदीने की पत्तियों को पानी में पीसकर माथे पर लेप करने से सिर का दर्द खत्म हो जाता है।

बच्चों के रोग:

कान में दर्द हो तो पोदीना का रस डालें या हरी मकोय का रस कान में डालना चाहिए।

हैजा:

  • पोदीने का रस पीने से हैजा, खांसी, वमन (उल्टी) और अतिसार (दस्त) के रोग में लाभ होता है। इससे पेट में से गैस और कीड़े भी समाप्त हो जाते हैं।
  • हैजा होने पर पोदीना, प्याज और नींबू का रस मिलाकर रोगी को देने से लाभ मिलता है।
  • किसी व्यक्ति को हैजा होने पर उस व्यक्ति को प्याज का रस पिलाने से हैजे के रोग में आराम आता है।
  • 30 पुदीने की पत्तियां, 4 कालीमिर्च, काला-नमक 2 चुटकी, 2 भुनी हुई इलायची, 1 चोई इमली पकी। इन सब चीजों में पानी डालकर चटनी बना लें। इस चटनी को बार बार रोगी को चाटने के लिए दें।
  • पोदीना की 30 पत्तियां, कालीमिर्च के दाने 3 नग, कालानमक 1 ग्राम, भुनी हुई 2 छोटी इलायची, कच्ची अथवा पकी इमली 1 ग्राम इन सबको पानी के साथ पीसकर चटनी-सी बना लें। यह चटनी हैजे के रोगी को चटाने से पेट दर्द, उल्टी, दस्त तथा प्यास आदि विकार दूर हो जाते हैं।
  • 10-10 मिलीलीटर पोदीने, प्याज और नींबू का रस मिलाकर थोड़ी-थोड़ी मात्रा में रोगी को पिलाने से हैजे के रोग में बहुत लाभ होता है। इससे वमन (उल्टी) भी जल्दी बंद हो जाती है।

वायु के रोग:

पोदीना, तुलसी, कालीमिर्च और अदरक का काढ़ा पीने से वायु रोग (वात रोग) दूर होता है और भूख भी बहुत लगती है।

आंतों के रोग:

पोदीना का ताजा रस शहद के साथ सेवन करने से आंतों की खराबी और पेट के रोग मिटते हैं। आंतों की बीमारी से पीड़ित रोगियों के लिए पोदीने के ताजे रस का सेवन करना बहुत ही लाभकारी है।