जायफल के गुण और उससे होने वाले आयुर्वेदिक इलाज

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परिचय (Introduction)

जायफल का पेड़ काफी बड़ा होता है। इसकी 80 जातियां मानी जाती हैं। भारत व मालद्वीप में कुल 30 जातियां पायी जाती हैं। जायफल मूल रूप से एशिया महाद्वीप के पूर्व में स्थिति मलाका द्वीप का पेड़ है। जायफल के पेड़ दो तरह के होते हैं नर और मादा। मादा जाति के जायफल के फूल छोटी-छोटी मंजरियों पर आते हैं और पत्ते भाले के जैसे चौड़े होते हैं। नर जाति के जायफल के पत्ते बड़े होते हैं और उनको अंग्रेजी में मिरिस्टिका मेक्रोफिला कहते हैं। इन पत्तों को मसलने से कुछ सुगन्ध आती है। इन पेड़ों पर फूल तो होते हैं पर पुष्प-कोष नहीं होता है।

हानिकारक प्रभाव (Harmful effects)

अधिक मात्रा में जायफल के उपयोग करने से मादक (नशीला) प्रभाव उत्पन्न होता है। इसके अलावा प्रलाप, चक्कर आना, मूढ़ता (बांझपन), वीर्य का पतला होकर नपुंसकता आना, यकृत और फेफड़ों पर दुष्प्रभाव होना, सिर दर्द और बेहोशी तक उत्पन्न हो सकती है। गर्म प्रकृति के लोगों को इसका सेवन नहीं करना चाहिए।

विभिन्न रोगों में उपचार (Treatment of various diseases)

हिचकी:

  • तुलसी के रस में जायफल को घिसकर एक चम्मच की मात्रा में 3 बार खायें। इससे हिचकी बंद हो जाती है।
  • चावल के धुले पानी में जायफल को घिसकर पीने से हिचकी व उल्टी बंद हो जाती है।

सिर दर्द:

  • कच्चे दूध में जायफल घिसकर सिर में लगाएं। इससे बहुत आराम मिलेगा।
  • सिर में दर्द होने पर जायफल को पानी में घिसकर माथे पर लेप की तरह लगाने से सिर का दर्द ठीक हो जाता है।

मुंह के छाले:

  • जायफल के काढे़ से 3-4 बार गरारें करें। इससे मुंह के छाले नष्ट हो जाते हैं।
  • जायफल के रस में पानी मिलाकर कुल्ले करने से छाले ठीक हो जाते हैं।

बच्चों के दस्त:

जायफल को पानी में घिसकर आधा-आधा चम्मच 2-3 बार पिलाएं। इससे बच्चों का दस्त बंद हो जाता है।

दस्त:

  • जायफल को पानी में घिसकर दिन में खुराक के रूप में पीने से सर्दी लगने से बच्चों को होने वाले दस्त में लाभ होता है।
  • जायफल में गुड़ को मिलाकर छोटी-छोटी गोलियां बनाकर 1-1 गोली को 2-2 घंटे के बाद खाने से कब्ज और बदहजमी के कारण होने वाले दस्त दूर होता है।
  • जायफल को पानी में घिस लें, फिर उसमें पिसी हुई सौंफ को अच्छी तरह मिला लें। इसे पानी के साथ छोटे बच्चों को 1 दिन में 2 से 3 बार खुराक के रूप में देने से अतिसार यानी टट्टी के लगातार आने में रुकावट होती है।
  • 1 ग्राम जायफल के चूर्ण को आधे कप पानी के साथ दिन में सुबह और शाम पीयें इससे पेट का फूलना, पेट में दर्द और पतले दस्त बंद हो जाते हैं।
  • जायफल 1 ग्राम, केशर 1 ग्राम और तज 1 ग्राम, छोटी इलायची 480 मिलीग्राम, लौंग 480 मिलीग्राम, खड़िया मिट्ठी 5 ग्राम और चीनी (शक्कर) 9 ग्राम की मात्रा में मिलाकर चूर्ण बनाकर रख लें, इस चूर्ण को चाटने से अतिसार (दस्त) समाप्त हो जाता है।
  • जायफल को भूनकर 240 मिलीग्राम से लेकर 960 मिलीग्राम की मात्रा में लेकर सेवन कराने से लाभ होता है। ध्यान रहे कि इससे अधिक मात्रा में लेने से चक्कर और बेहोशी (सन्यास) भी हो सकती है।
  • जायफल के बारीक चूर्ण को देशी घी और चीनी के साथ चटाने से आमातिसार में लाभ होता है।
  • जायफल को घिसकर चाटने से बच्चों के दांत के निकलते समय होने वाले दस्त में आराम मिलता है।
  • जायफल के पिसे हुए चूर्ण को लगभग 500 मिलीग्राम से लेकर 1 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से अतिसार समाप्त हो जाता है।

नींद न आना:

  • गाय के घी में जायफल घिसकर पैर के तलुवों और आंखों की पलकों पर लगाएं, इससे नींद अच्छी आएगी।
  • जायफल को जल या घी में घिसकर पलकों पर लेप की तरह लगाने से नींद जल्दी आ जाती है।

सर्दी व जुकाम:

  • जायफल को पानी में घिसकर लेप बना लें। इस लेप को नाक पर, नथुनों पर और छाती पर मलने से जल्दी आराम मिलेगा। साथ ही जायफल का चूर्ण सोंठ के चूरन के बराबर की मात्रा में मिलाकर एक चौथाई चम्मच 2 बार खिलायें। इससे सर्दी और जुकाम का रोग दूर हो जाता है।
  • जायफल पिसा हुआ एक चुटकी की मात्रा में लेकर दूध में मिलाकर देने से सर्दी का असर ठीक हो जाता है। इसे सर्दी में सेवन करने से सर्दी नहीं लगती है।

मुंहासे:

कच्चे दूध में जायफल घिसकर रोजाना सुबह और रात में पूरे चेहरे पर लगाएं। इससे मुंहासें के अलावा चेहरे के काले धब्बे भी दूर होंगे और चेहरा भी निखर जायेगा।

गैस, कब्ज की तकलीफ:

नींबू के रस में जायफल घिसकर 2 चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम भोजन के बाद सेवन करने से गैस, कब्ज की तकलीफ दूर होगी।

मुंह की दुर्गन्ध और फीकापन:

  • जायफल के छोटे-छोटे टुकड़ों को दिन में 2-3 बार चूसते रहने से मुंह की दुर्गन्ध और फीकापन दूर हो जाता है।
  • जायफल के टुकड़े 240 से 360 मिलीग्राम की मात्रा में चबाने से मुंह की दुर्गन्ध दूर होती है। इसके सेवन से चक्कर एवं मुर्च्छा (बेहोशी) के लक्षण प्रकट हो सकते हैं।

दांत दर्द:

रूई से जायफल का तेल दांत की जड़ में लगाने और खाली भाग में फोहा भर कर दबाए रखने से दर्द में आराम मिलेगा।

कमर दर्द:

  • पान में जायफल का टुकड़ा डालकर खाने और जायफल को पानी में घिसकर बने लेप को गर्म-गर्म ही कमर में लगाकर मालिश करें। इससे कमर का दर्द समाप्त हो जाता है।
  • जायफल को घिसकर रात में कमर पर इसका लेप करने से कमर दर्द मिट जाता है।
  • जायफल को पानी के साथ सिल पर घिस लें। फिर उसे 200 मिलीलीटर तिल्ली के तेल में अच्छी तरह गर्म करें। ठण्डा होने पर कमर की मालिश करें। इससे कमर दर्द से छुटकारा मिलता है।

बच्चों के दूध न पचने पर:

मां का दूध छुड़ाकर ऊपरी दूध पिलाने पर यदि शिशु को न पच रहा हो, तो दूध में एक जायफल डालकर खूब उबालें। फिर ठण्डा करके पिलाएं। इससे दूध आसानी से हजम होगा और मल बंधा हुआ दुर्गन्ध रहित होगा।

भूख न लगना:

शहद के साथ एक ग्राम जायफल का चूरन सुबह-शाम खिलाएं। इससे भूख का लगना बंद हो जाता है।

जोड़ों का दर्द:

एक भाग जायफल का तेल और चार भाग सरसों का तेल मिलाकर जोड़ों के दर्द, सूजन, मोच पर 2-3 बार मालिश करें। इससे आराम मिलेगा।

नपुंसकता और शीघ्रपतन:

  • जायफल का चूर्ण एक चौथाई चम्मच सुबह-शाम शहद के साथ खायें और इसका तेल सरसों के तेल में मिलाकर शिश्न (लिंग) पर मलें। इससे नपुंसकता और शीघ्रपतन का रोग समाप्त हो जाता है।
  • जायफल का चूर्ण आधा ग्राम शाम को पानी के साथ खाने से 6 हफ्ते में ही धातु (वीर्य) की कमी और मैथुन की कमजोरी दूर होगी।

दुर्बलता:

जायफल और जावित्री 10-10 ग्राम और अश्वगन्धा 50 ग्राम मिलाकर पीस लें। एक-एक चम्मच सुबह-शाम दूध के साथ नियमित लें।

घाव:

जायफल के तेल का मरहम बनाकर घाव पर लगाएं। इससे घाव में लाभ पहुंचेगा।

दांत के कीडे़:

जायफल के तेल को दान्तों के नीचे रखने से दांत के कीड़े मरते हैं और दर्द भी खत्म हो जाता है।

आंख आना:

जायफल को पीसकर दूध में मिलाकर आंखों में सुबह और शाम लगाने से लाभ मिलता है।

दमा:

  • लगभग एक ग्राम की मात्रा में जातिफलादि के चूर्ण को एक ग्राम पानी के साथ सुबह-शाम के समय लेने से दमा ठीक हो जाता है।
  • एक ग्राम जायफल और एक ग्राम लौंग के चूर्ण में 3 ग्राम शहद और एक रत्ती बंगभस्म मिलाकर खाने से श्वास रोग में लाभ मिलता है।