अरबी के गुण और उससे होने वाले आयुर्वेदिक इलाज

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परिचय (Introduction)

अरबी अत्यंत प्रसि़द्ध और सभी की परिचित वनस्पति है। अरबी की प्रकृति ठंडी और तर होती है। अरबी के पत्तों से बनी सब्जी बहुत स्वादिष्ट होती है। अरबी के फल, कोमल पत्तों और पत्तों की तरकारी बनती है। अरबी वस्तुत: गर्मी के मौसम की फसल है तथा गर्मी और वर्षा की ऋतु में होती है। अरबी अनेकों किस्म की होती है जैसे- राजाल, धावालु, काली-अलु, मंडले-अलु, गिमालु और रामालु। इन सबमें काली अरबी उत्तम है। कुछ अरबी में बड़े और कुछ में छोटे कन्द लगते हैं। इससे विभिन्न प्रकार के पकवान बनाये जाते हैं। अरबी रक्तपित्त को मिटाने वाली, दस्त को रोकने वाली है।

गुण

अरबी शीतल, अग्निदीपक (भूख को बढ़ाने वाली), बल की वृद्धि करने वाली और स्त्रियों के स्तनों में दूध बढ़ाने वाली है। अरबी के सेवन से पेशाब अधिक मात्रा में होता है एवं कफ और वायु की वृद्धि होती है। अरबी के फल में धातुवृद्धि की भी शक्ति है। अरबी के पत्तों का साग वायु तथा कफ बढ़ाता है। इसके पत्तों में बेसन लगाकर बनाया गया पकवान स्वादिष्ट और रुचिकर होता है, फिर भी उसका अधिक मात्रा में सेवन उचित नहीं है।

हानिकारक प्रभाव (Harmful effects)

अरबी की सब्जी बनाकर खायें। इसकी सब्जी में गर्म-मसाला, दालचीनी और लौंग डालें। जिन लोगों को गैस बनती हो, घुटनों के दर्द की शिकायत और खांसी हो, उनके लिए अरबी का अधिक मात्रा में उपयोग हानिकारक हो सकता है।

विभिन्न रोगों में उपचार (Treatment of various diseases)

पित्त प्रकोप :

अरबी के कोमल पत्तों का रस और जीरे की बुकनी मिलाकर देने से पित्त प्रकोप मिटता है।

वायुगुल्म (वायु का गोला) :

अरबी के पत्ते डण्ठल के साथ उबालकर उसका पानी निकालकर उसमें घी मिलाकर 3 दिन तक सेवन से वायु का गोला दूर होता है।

पेशाब की जलन :

अरबी के पत्तों का रस 3 दिन तक पीने से पेशाब की जलन मिट जाती है।

फोड़े-फुंसी :

अरबी के पत्ते के डंठल जलाकर उनकी राख तेल में मिलाकर लगाने से फोड़े मिटते हैं।

महिलाओं के स्तनों में दूध की वृद्धि :

अरबी की सब्जी खाने से दुग्धपान कराने वाली स्त्रियों के स्तनों में दूध बढ़ता है।

झुर्रियां :

अरबी त्वचा के सूखेपन और झुर्रियों को भी दूर करती है। सूखापन चाहे आंतों में हो या सांस-नली में अरबी खाने से लाभ होता है।

हृदय रोग :

हृदय रोग के रोगी को अरबी की सब्जी प्रतिदिन खाते रहने से लाभ होता है।

गिल्टी (ट्यूमर) :

अरुई के पत्तों के डाली को पीसकर लेप करने से रोग में लाभ होता है।