फूलगोभी के गुण और उससे होने वाले आयुर्वेदिक इलाज

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परिचय (Introduction)

फूलगोभी खाने में ठंडी और तर होती है। इसकी सब्जी बनाकर खायी जाती है। यह कम कैलोरी वाली सब्जी है, जिसमें 90 प्रतिशत नमी और थोड़ी सी प्रोटीन होती है। इसके अतिरिक्त फूलगोभी में फॉस्फोरस, लौह तत्व, पोटैशियम, गंधक, नियासीन और विटामिन `सी´ आदि तत्व अधिक मात्रा में पाये जाते हैं।

गुण (Property)

फूलगोभी में गंधक बहुत मिलता है। गंधक खुजली, कुष्ठ (कोढ़) आदि चर्म (त्वचा) रोगों में हितकारी होती है। फूलगोभी खून को साफ करती है। अत: फूल-गोभी भाप में उबालकर खानी चाहिए। यह पानी में उबालने से गैस पैदा करती है। फूलगोभी नाखून और बालों के रोगों को नष्ट करती है। कच्ची गोभी का रस ही लाभ करता है। फूलगोभी को पकाकर खाने पर लाभ नहीं मिलता है। फूलगोभी का रस पीने से गैस बनती है इससे बचने के लिए फूलगोभी के रस के साथ बराबर मात्रा में गाजर का रस मिलाकर पीना चाहिए। इसके उपयोग से गैस बने तो एनिमा का प्रयोग किया जा सकता है। गोभी का रस पीते रहने से जोड़ों और हडि्डयों का दर्द, अपच (भोजन का न पचना), आंखों की कमजोरी और पीलिया आदि रोगों में लाभ मिलता है।

विभिन्न रोगों में उपचार (Treatment of various diseases)

खूनी बवासीर और वादी बवासीर: फूलगोभी खाने से खूनी बवासीर और साधारण (वादी) बवासीर ठीक हो जाती है।

रक्त (खून) की उल्टी: फूलगोभी की सब्जी खाने से या इसे कच्ची ही खाने से खून की उल्टी होना बंद हो जाती है। टी.बी. (क्षय) के रोगी के लिए भी यह बहुत ही हितकारी है।

पेशाब की जलन होने पर: फूलगोभी की सब्जी का सेवन करने से पेशाब की जलन दूर हो जाती है।

कोलाइटिस के रोग: सुबह खाली पेट एक तिहाई कप गोभी का रस रोजाना पीने से कोलाइटिस, कैंसर और कब्ज तथा जख्म आदि रोगों में लाभ होता है।

कब्ज: रात को सोते समय आधा गिलास गोभी का रस पीने से कब्ज के रोग में लाभ होता है।

रक्तशोधक (खून को साफ करने वाला): गोभी में क्षारीय तत्व होते हैं। गोभी में पाया जाने वाला सल्फर और क्लोरीन का मिश्रण श्लैष्मिक झिल्ली तथा आंतों की सफाई करता है।

पेट की गैस बनना : कच्ची गोभी व गाजर के रस को समान मात्रा में मिलाकर पीने से पेट में गैस नहीं रुकती है।

त्वचा के रोग : फूलगोभी की सब्जी खाने से पेट की आंत और खून की सफाई हो जाती है और चमड़ी के रोग भी समाप्त हो जाते हैं।