करेला के गुण और उससे होने वाले आयुर्वेदिक इलाज

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परिचय (Introduction)

करेला गर्मी और बरसात के महीनों में होता है। करेला लगभग पूरे भारत में उगाया जाता है। इसकी बेल (लता) को करेली और फल को करेला कहा जाता है। करेले के फूल पीले रंग के होते हैं और फल हरे रंग के होते हैं। करेले दो प्रकार के होते हैं- बड़ा करेला और छोटा करेला। करेले की खेती की जाती है। सब्जी के रूप में लम्बे करेले का प्रयोग अधिक किया जाता है। जंगली करेले की बेल अपने आप उगती है और झाड़ियों पर फैल जाती है और इसमें गोल-गोल फल लगते हैं जिसे बाड़ करेला कहते हैं। इसकी भी सब्जी बनाकर खाई जाती है। लम्बे करेले के अपेक्षा बाड़ करेला अधिक कडुवा होता है। सब्जी बनाते समय करेले को छिलके को छीलकर उतार देते हैं। करेले की कड़वाहट कम करने के लिए सब्जी में नमक, नींबू, मसाले आदि मिलाए जाते हैं।

हानिकारक प्रभाव (Harmful effects)

करेले का अधिक सेवन करना हानिकारक होता है। यदि करेले का अधिक सेवन करने से किसी प्रकार की कोई परेशानी हो तो चावल व घी खाएं।

करेले से विभिन्न रोगों का उपचार (Treatment of various diseases)

पक्षाघात (लकवा, फालिस): लकवा से पीड़ित रोगी को करेले की सब्जी बनाकर खिलाना फायदेमंद होता है।

पाचनशक्ति: करेले की सब्जी या रस पीने से पेट की गैस दूर होती है और पाचनशक्ति मजबूत होती है।

हैजा (विसूचिका):

  • करेले की जड़ का काढ़ा लगभग 1 ग्राम के चौथाई भाग की मात्रा में बनाकर तिल के तेल के साथ विसूचिका के रोगी को पिलाने से रोग शांत होता है।
  • करेले के चौथाई कप रस, पानी व स्वादा के अनुसार नमक मिलाकर हैजा से ग्रस्त रोगी को बार-बार पिलाएं। इससे हैजा रोग में लाभ मिलता है और उल्टी, दस्त बंद होता है।
  • करेले का रस निकालकर तेल में मिलाकर पीने से हैजा रोग ठीक होता है।

गुर्दे या मूत्राशय की पथरी:

गुर्दे या मूत्राशय की पथरी से पीड़ित रोगी को 2 करेले का रस प्रतिदिन पीना चाहिए और इसकी सब्जी खाना चाहिए। इससे पथरी गलकर पेशाब के साथ बाहर निकल जाती है।
करेले के 20 ग्राम रस में शहद मिलाकर कुछ दिनों तक पीने से पथरी गल जाती है और पेशाब के रास्ते निकल जाती है।

प्लीहा का बढ़ना (तिल्ली): 1 कप पानी में 25 ग्राम करेले का रस मिलाकर प्रतिदिन पीने से प्लीहा का बढ़ना कम होता है।

गठिया:

  • गठिया रोग से पीड़ित रोगी को करेले का रस दर्द वाले स्थान पर लगाना चाहिए और इसकी सब्जी बनाकर खानी चाहिए।
  • करेले के पत्तों का रस निकालकर जोड़ों पर मालिश करने से दर्द दूर होता है।
  • करेले का रस निकालकर दर्द वाले स्थान पर लगाएं। इससे गठिया की सूजन व दर्द कम होता है। करेले के रस में राई का तेल मिलाकर मालिश करने से भी दर्द में आराम मिलता है।

खून को साफ करना:

  • करेले का रस 60 ग्राम की मात्रा में कुछ दिनों तक पीने से दूषित खून साफ होता है।
  • करेले की कड़वाहट दूर किए बिना ही सब्जी बनाकर खाने से खून साफ होता है।

भूख न लगना: लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग करेले के रस को मट्ठे के साथ दिन में 1 से 2 बार पीने से भूख बढ़ती है।

आंखों के रोग: आंखों के फूल जाने और रतौंधी होने पर उपचार के लिए जंग लगे लोहे के बर्तन में करेले के पत्तों का रस और एक कालीमिर्च का थोड़ा सा हिस्सा मिलाकर घिस लें और इसे आंखों की पलकों पर लगाएं।

कान का दर्द: करेला के ताजे फल या पत्तों का रस गर्म करके कान में डालने से कान का दर्द ठीक होता है।

गले की सूजन: सूखे करेले को सिरके में पीसकर गर्म करके गले पर लेप करने से गले की सूजन दूर होती है।

वातरक्त रोग:

करेले की जड़ के ऊपरी छाल को निकालकर काढ़ा बना लें और इस काढ़े में गया का घी मिलाकर रोगी को सेवन कराएं। इससे वातरक्त रोग में लाभ होता है।
वातरक्त के रोगी के लिए करेले की सब्जी बनाकर प्रतिदिन खानी चाहिए।

ठंडा बुखार: ठंड लगने से उत्पन्न बुखार को दूर करने के लिए करेले के 10 से 15 मिलीलीटर रस में जीरे का चूर्ण मिलाकर दिन में 3 बार पिलाएं। इससे ठंड लगने से होने वाला बुखार ठीक होता है।

दमा (सांस) रोग:

दमा या सांस रोग से पीड़ि़त व्यक्ति को करेले की सब्जी खानी चाहिए। इससे दमा रोग में लाभ मिलता है।
एक चम्मच करेले के रस में चुटकी भर सेंधानमक डालकर सेवन करने से दमा रोग ठीक होता है।

रतौंधी (रात में दिखाई न देना): करेले के पत्तों के रस और कालीमिर्च को पीसकर आंखों में लगाने से रतौंधी दूर होता है।

कब्ज: करेले का एक चम्मच रस, जीरा आधा चम्मच और सेंधानमक दो चुटकी मिलाकर चटनी बना लें। इसके सेवन से कब्ज दूर होती है।

गर्भ निरोध: करेले का रस सेवन करने से गर्भ नहीं ठहरता।

पेट में गैस बनना: करेला की सब्जी बनाकर खाने से पेट की गैस दूर होती है।

मुंह के छाले:

मुंह के छालों को ठीक करने के लिए करेले का रस निकालकर पिसी हुई फिटकरी डालकर हल्का गर्म करके कुल्ला करें। इससे दिन में 2 बार कुल्ला करने से छाले ठीक होते हैं।
करेले का रस और चाक मिट्टी को एक साथ पीसकर पेस्ट की तरह बनाकर दांतों पर मलने से छाले खत्म होते हैं।

पेशाब में खून आना: करेले को पानी में घोटकर 250 से 500 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से पेशाब में खून का आना बंद होता है। रोगी को गरिष्ठ व गर्म खाना नहीं खाना चाहिए।